कबड्डी में खोए गोल्ड की कुछ भरपाई कर दी एथलीटों ने

कबड्डी और पुरुष हाकी के सेमीफाइनल में हारने की पीड़ा पर इस बार देश के एथलीटों ने काफी हद तक मरहम लगाने की काम किया है। विदेश की धरती पर 19 पदक भारत ने एथलेटिक्स में कभी नहीं जीते। भारत में दो बार आयोजित इन खेलों में 1951 में भारत ने 31 पदक जीते जिनमें 10 स्वर्ण पदक थे देश के लिए इतने पदक एथलेटिक्स में फिर कभी नहीं आए। 1982 में नौवें खेल फिर दिल्ली (भारत) में आयोजित किए गए। इस बार भारत ने एथलेटिक्स में कुल 20 पदक पाए जिनमें से चार स्वर्ण थे।

जहां तक स्वर्ण पदकों का प्रश्न है भारत ने 1951 के बाद 1978 बैकांक में सात, 1998 बैकांक में सात , 2002 बुसान में सात और 2018 में फिर सात स्वर्ण पदक जीते।

इस बार जकार्ता में जब देश ईरान के हाथों भारतीय पुरुषों की कबड्डी टीम की 18-27 की हार से उबरने की कोशिश में था तो उसी समय भारत के तेजिंदर पाल सिंह तूर ने गोला फैंक स्पर्धा में 20.75 मीटर गोला फैंक कर भारत को एशियाई खेलों का स्वर्ण पदक दिला दिया। इसके बाद युवा एथलीट नीरज चोपड़ा ने भाला फैंक प्रतियोगिता में 88.05 मीटर तक भाला फैंक कर देश की झोली में दूसरा स्वर्ण पदक डाला।

इससे पूर्व भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट ने कुश्ती मुकाबलों में दो स्वर्ण पदक जीत कर देश पर परचम लहराया। देश के युवा निशानेबाज भी पीछे नहीं रहे। सौरव चैधरी ने 10 मीटर एयर पिस्टल निशानेबाजी में स्वर्ण पदक पर निशाना साधा तो महिला निशानेबाज राही सरनोबत ने 25 मीटर एयर पिस्टल में यह कमाल कर दिखाया। भारत को एक स्वर्ण पदक नौकायन और एक टेनिस के पुरुष युगल मुकाबलों में मिला। 30 अगस्त तक भारत की झोली में 13 स्वर्ण, 21 रजत और 25 कांस्य पदक यानी कुल 59 पदक पड़ चुके थे। इन 13 स्वर्ण पदकों में से सात स्वर्ण पदक अकेले एथलेटिक्स में आए थे। देश के लिए स्वपना बर्मन ने हेप्टथलॉन स्पर्धा में इतिहास रचा वह शाटपुट, हाई जंप और जैवलिन थ्रो में पहले लंबी कूद में दूसरे और 800 मीटर में तीसरे स्थान पर रही। उसने कुल 6026 अंक अर्जित किए जो उसे स्वर्ण पदक दिलाने के लिए काफी थे। इसके साथ ही अरपिंदर पाल सिंह ने त्रिकूट में 6.77 मीटर छलांग लगा कर देश को स्वर्ण पदक दिलाया।

पुरुषों की 800 मीटर दौड़ बहुत ही रोमांचक रही। इसके फाइनल में दो भारतीय धावक भी थे। इनमें जिंनसन जॉनसन को स्वर्ण पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। दूसरे धावक मनजीत सिंह पर लोगों की निगाहें भी नहीं थी। दौड़ शुरू होते ही भारत के दोनों धावक पिछड़ गए लगते थे। मंजीत तो छठे स्थान पर था। आखिर मोड़ तक आते-आते भारतीय धावक आगे बढ़े। 750 मीटर की दौड़ पूरी होने तक मंजीत से पदक की कोई आस नही लग रही थी, लेकिन अंतिम 50 मीटर में मंजीत ने जो फर्राटा लगाया उसने न केवल सभी विदेशी धावकों को पीछे छोड़ दिया अपितु वह अपने साथी जिनसन जॉनसन को भी पछाड़ कर सोने का पदक ले उड़ा। जॉनसन को दूसरा स्थान मिला।

1500 मीटर में भी इन दोनों ने काफी जोर लगाया लेकिन इस दौड़ में जॉनसन की बढ़त को कोई कम नहीं कर सका और स्वर्ण पदक भारत के जॉनसन के गले की शोभा बना। मंजीत सिंह को चैथा स्थान मिला।

पुुरुष हाकी में निराशा

पूल मैचों में रिकार्ड तोड़ गोल दागने वाली भारतीय पुरुष हाकी टीम सेमीफाइनल में अंतिम क्षणों में सब कुछ ही गंवा बैठी। अंतिम पलों तक 2-1 की बढ़त पर चल रही भारतीय हाकी टीम ने मलेशिया के खिलाफ अंतिम पलों में पेनाल्टी कार्नर दे दिया और मलेशिया ने इसे गोल में डाल कर 2-2 की बराबरी हासिल कर ली। पर पेनाल्टी शूट आउट में 6-7 से हार कर न केवल स्वर्ण पदक की दौड़ से बाहर हो गया, बल्कि उसके 2020 के टोक्यो ओलंपिक में टीम के भाग लेने पर भी एक प्रश्न चिन्ह लग गया। ओलंपिक में खेलने के लिए अब उसे क्वालीफाइंग टूर्नामेंट खेलने होंगे। पुरुष तो दौड़़ ये बाहर हुए लेकिन महिलाएं चीन को 1-0 से हरा कर फाइनल में प्रवेश कर गईं। फाइनल में उसकी टक्कर जापान से है जिसने पांच बार के चैंपियन दक्षिण कोरिया को 2-0 से परास्त का दिया।

पुरुष हाकी टीम ने पूल के पांच मैचों में कुल 76 गोल किए थे, जबकि उनके खिलाफ मात्र तीन गोल हुए। महिलाओं ने पूल में खेले चार मैचों में 38 गोल किए जबकि उनके खिलाफ मात्र एक गोल हुआ। इसी दौरान पुरुषों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर के एक मैच में सर्वाधिक गोल करने का अपना रिकार्ड भी बेहतर किया 1932 में लास एजिंलेस ओलंपिक में भारत ने अमेरिका को 24-1 से हराया था। इस बार उन्होंने हांगकांग को 26-0 से परास्त का नया रिकार्ड कायम किया है।

खेलों का छठा दिन देश के नौकायन के इतिहास में नया अध्याय लाया। चार सदस्यों वाली रोईंग टीम ने स्वर्ण पदक जीत लिया। इस टीम में स्वर्ण सिंह, दत्तू मोकनल, सुखमीत सिंह और ओमप्रकाश शामिल थे। इसके अलावा दुष्यंत चौहान ने लाइट वेट सिंगल स्कल मुकाबले में कांस्य और भगवान सिंह और रोहित कुमार ने लाइट वेट डबल स्कल में कांस्य पदक जीते। इस तरह रोइंग में उस दिन एक स्वर्ण और दो कांस्य पदकों के साथ भारत को तीन पदक मिल गए।

टेनिस में रोहन बोपन्ना और दिविज शारण ने देश को स्वर्ण पदक दिलाया। निशानेबाजी में हिना सिंधू ने 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा का कांस्य पदक जीता। कबड्डी के लिए यह दिन भी खराब रहा। भारतीय महिला टीम फाइनल में ईरान से पिट कर रजत पदक ही जीत पाई। टेनिस में ही एक कांस्य पदक प्राजनेश गुन्नेस्वरण को मिला। इसके साथ ही देश के 25 पदक हो गए।

सातवां दिन स्क्वैश का रहा। इस दिन भारत के सौरव घोषाल, दीपिका पालीकल और जोशना चिनअप्पा ने कांस्य पदकों पर कब्जा जमाया। पर इस दिन असली खबर एथलेटिक्स के मैदान से आई जहां तेजिंदर पाल सिंह तूर ने 20.75 मीटर गोला फेंक कर देश को एथलेटिक्स का पहला स्वर्ण पदक दिलाया।

घुड़सवारी में भारत को रजत पदक दिलाया फौद मिजऱ्ा ने । ध्यान देने की बात यह है कि 1982 के दिल्ली एशियाड के बाद घुड़सवारी में भारत का यह पहला व्यक्तिगत पदक है। इसके बाद मिजऱ्ा, राकेश कुमार, आषीश मलिक और जतिंदर सिंह ने घुड़सवारी की टीम स्पर्धा में भी रजत पदक जीत लिया। ट्रैक से एक अच्छी खबर आई और हिमा दास ने राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़ते हुए महिलाओं की 400 मीटर दौड़ में रजत पदक जीता। मोहम्मद अनास ने भी 400 मीटर की दौड़ में रजत पदक जीता। ट्रैक का तीसरा रजत दुत्तीचंद ने 100 मीटर की दौड़ में पाया। 100 मीटर महिला दौड़ में यह पदक 20 साल के बाद आया है। इसके साथ देश को दो कांस्य पदक ब्रिज में मिले।

अगले दिन भारत को सायना नेहवाल से फाइनल में पहुंचने की उम्मीद थी पर वह ताय तेजु यिंग जैसी मज़बूत दीवार को नहीं लांघ पाई और उसे कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा। देश को 11 वां रजत पदक धरुन अप्पासामी ने पुरुषों की 400 मीटर बाधा दौड़ में दिलवाया। उसने 48.96 सेकेंड का समय निकाल कर राष्ट्रीय रिकार्ड भंग किया। यह दिन सुधा सिंह का भी था। उसने महिलाओं की 3000 मीटर स्टीपल चेज़ में दूसरा स्थान प्राप्त कर रजत पदक जीत लिया। जबकि लंबी कूद का रजत पदक भारत की नीना वराकिल ने पाया। भारत के शिविर में उस समय खुशी की लहर दौड़ गई जब नीरज चोपडा ने आशा अनुसार प्रदर्शन करते हुए भाला फेंक स्पर्धा में 88.06 मीटर की थ्रो के साथ राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़ते हुए स्वर्ण पदक जीत लिया।

खेलों के 10 वें दिन पीवी सिंधू से स्वर्ण पदक की आशा टूट गई और यिंग के खिलाफ वह आसानी से हार गई। उसे रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा। उधर भारतीय पुरुष और महिला तीरांदाजी टीमों के तीर बहुत नाजुक समय पर निशाना चूके और उन्हें रजत पदक ही हासिल हुए।

नए खेल ‘कुराशÓ में 53 किलोग्राम भार वर्ग में पिंकी बलहारा ने चांदी का मेडल पाया। इसी स्पर्धा के पुरुष वर्ग में एमवाई जाधव ने कांस्य पदक पाया। उस दिन का चमत्कारी प्रदर्शन तो पुरुषों की 800 मीटर दौड़ में हुआ जहां भारत में मंजीत सिंह ने अप्रत्याशित रूप से स्वर्ण पदक जीत लिया। लगभग 750 मीटर तक पदकों की दौड़ से बाहर लग रहे मंजीत ने अंतिम 50 मीटर में अपने साथी जिनसन जॉनसन समेत चार धावकों को काटकर यह पदक जीता। इस स्पर्धा का रजत पदक जिनसन जॉनसन को मिला। भारत की 4 400 मीटर मिश्रित रिले की टीम भी रजत पदक लेने में कामयाब रही। इस दौड़ में भारत की ओर से मोहम्मद अनास, हिमादास, पुनामा राजू और राजीव अरोकिया ने भाग लिया था।