कठुआ रेप-मर्डर में ३ को उम्र कैद

तीन पुलिसवालों को ५-५ साल की कैद, सभी को जुर्माना भी

जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ बर्बर दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में अदालत ने तीन दोषियों को उम्र कैद और सबूत मिटाने वाले पुलिस कर्मियों को ५-५ साल की कैद और जुर्माना सुनाया है।
पिछले साल इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। मासूम की रेप और हत्या के मामले में पठानकोट की विशेष अदालत ने सोमवार सुबह सभी ६ लोगों को दोषी करार दिया था। शाम को अदालत ने घटना के मास्टरमाइंड सांझी राम, परवेश और दीपक खजूरिया को उम्र कैद की सजा सुनाई है। उन पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
इनके अलावा तीनों पुलिसकर्मियों को, जिन्होंने सबूत मिटाने में मदद की थी, कोर्ट ने  ५-५ साल कैद की सजा सुनाई है। उनपर ५०-५० हजार का जुर्माना भी लगाया गया है और जुर्माना न चुकाने पर इन्हें जेल में ६ महीने ज्यादा गुजारने होंगे।
अदालत ने इस मामले में तीनों पुलिसकर्मियों को आईपीसी की धारा २०१ (सबूत मिटाने) का दोषी करार दिया है। वहीं, मुख्य आरोपी सांझी राम पर आईपीसी की धारा ३०२ (हत्या), ३७६ (रेप), ३२८ (अपराध करने के आशय से जहर या नशीला पदार्थ खिलाना), ३४३ (तीन या उससे अधिक दिन के लिए बंदी बनाए रखना) लगाई गई हैं।
अदालत ने सोमवार सुबह अपने फैसले में कठुआ केस में कोर्ट ने मुख्य आरोपी सांझी राम समेत ६ आरोपियों को दोषी करार दिया था। एसपीओ दीपक खजुरिया, पुलिस ऑफिसर सुरेंद्र कुमार, रसाना गांव का परवेश कुमार, असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता, हेड कांस्टेबल तिलक राज और सांझी राम का भतीजा (जिसे नाबालिग बताया गया) को दोषी करार दिया गया है जबकि सांझी राम के बेटे विशाल को बरी कर दिया गया है। उसपर एक मुकदमा जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में भी चल रहा है।
बचाव पक्ष के वकील मास्टर मोहनलाल के मुताबिक, मुख्य आरोपी सांझी राम के बेटे विशाल को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है। विशाल मेरठ यूनिवर्सिटी में पढ़ता है, जिरह के दौरान ये साबित नहीं हो पाया कि वह घटना के वक्त मौजूद था।