ओमिक्रोन का असर: बाज़ारों में सन्नाटा

देश में ओमिक्रोन के बढ़ते मामलों को लेकर एक ओर जनमानस डर रहा है । वहीं दिल्ली के बाजारों में भय का माहौल है। व्यापारियों ने तहलका संवाददाता को बताया कि 2020 से कोरोना के कहर के चलते भारत ही नहीं बल्कि तामाम देशों ने बेरोजगारी और महगांई का दंश झेला है।

लेकिन 2021 के जून से कोरोना का कहर कम होने से तामाम अर्थव्यवस्थायें उभरने के लिये लगी थी। बाजारों में रौनक बढ़ी थी। लेकिन अब ओमिक्रोन की दस्तक के साथ लोगों में एक भय और डर का माहौल बढ़ रहा है। जो निश्चित तौर पर बेरोजगारी और महगांई को ले जा सकता है। चांदनी चौक के व्यापारी अमन गुप्ता का कहना है कि जो छोटे –बडे व्यापारियों के दिल्ली से खरीददारी के लिये देश के शहर और गांवों से आँडर आते थे। वो कम होने लगे है।

लोगों के अंदर ये भय है कि कहीं कोरोना की तीसरी लहर आ गयी तो उनके व्यापार का क्या होगा। क्योंकि जिस तरह ओमिक्रोन को लेकर वातावरण बन रहा है। वो ठीक नहीं है। दिल्ली सदर बाजार के व्यापारी राकेश कुमार का कहना है कि  व्यापारियों में खुशी का वातावरण बन रहा था कि कोरोना लगभग चला सा गया है।

वहीं किसान आंदोलन खत्म हो रहा है।  क्योंकि किसानों पर देश का व्यापार काफी हद तक निर्भर है।लेकिन जिस तरह से कोरोना का नया स्वरूप जो बढ़ रहा है। इससे व्यापार के साथ अर्थ व्यवस्था पर काफी चोट पहुंचने लगी।जिससे बेरोजगारी और महगांई बढ़ना निश्चित है।

दिल्ली के व्यापारियों का कहना है कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो महगांई की मार चलती रहेगी। क्योंकि पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से वैसे ही किराया-भाड़ा बढ़ा है।दिल्ली के कपड़ा व्यापारी परम लाल अग्रवाल ने बताया कि अभी सिर्फ ओमिक्रोन की दस्तक ही है।

लेकिन बाजारों में ग्राहक कम आने लगें है। उनका कहना है कि सर्दी के मौसम में और इन दिनों शादियां की लगन है फिर भी बाजार में खरीददार कम दिखने शुरू हो गये है। वजह साफ है कि एक तो लोगों के पास पैसा का अभाव है उस पर, ओमिक्रोन का भय है। सो लोग पैसा कम से कम खर्च करना चाह रहे है। जिसकी वजह से बाजारों से सन्नाटा बढ रहा है।