एम–बाई फैक्टर किसके लिये है उपयोगी

राजनीति में प्रयोग और संयोग का ऐसा संगम होता है कि जो अक्सर सामने आ ही जाता है। जैसा कि आजकल उत्तर प्रदेश के विधानसभा के चुनाव में देखने को मिल रहा है। उत्तर प्रदेश की सियासत में समाजवादी पार्टी (एमबाई) पर ये जुमला खूब चलता है कि समाजवादी पार्टी मुस्लिम–यादव (एम-बाई) फैक्टर की राजनीति करती है।

अब यही जुमला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) चल रहा है कि भाजपा भी एम बाई फैक्टर पर चल रही है। यानि मोदी और योगी। यहां के लोगों का कहना है कि प्रदेश में असली मुकाबला तो सपा और भाजपा के बीच है। दोनों दलों के बीच एम बाई फैक्टर का जादू चल रहा है। लेकिन ये तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे कि कौन सी पार्टी का एम-बाई फैक्टर का जादू चला है।

उत्तर प्रदेश की सियासत के जानकार संजय गौतम का कहना है कि राजनीति में तरह–तरह के प्रयोग होते रहते है। लेकिन संयोग भी कभी कभार बनकर सामने आ जाते है। जैसा कि सपा और भाजपा के बीच एम-बाई का फैक्टर सामने आ गया है। क्योंकि भाजपा मोदी और योगी के नाम पर चुनाव लड़ रही है। यानि कि किसके लिये एम-बाई फैक्टर होता है उपयोगी।

बताते चलें, उत्तर प्रदेश की सियासत में जाति–धर्म की चुनावी जंग पुरानी है। लेकिन संयोग इस बार बना कि भाजपा और सपा के बीच एम-बाई फैक्टर एक साथ सामने आया है।कांग्रेस और बसपा को लेकर भी जुमले है। लेकिन संयोग इस बार भाजपा और सपा के बीच ही बना है। जिसको लेकर लोगों में बड़ी दिलचस्पी देखने को मिल रही है।