एम्स में प्रशासन की मनमर्जी से पोस्टिंग के विरोध में कर्मचारी

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कोरोना काल में, इस समय प्रशासन और कर्मचारियों के बीच परस्पर तालमेल के अभाव में मामला इस कदर गरमाता जा रहा है। कि कर्मचारियों को इसकी शिकायत सीधी केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाँ हर्षवर्धन  से की है।एम्स के कर्मचारियों ने तहलका संवाददाता को बताया कि प्रशासनिक लापरवाही के कारण सैकडों स्वास्थ्य कर्मचारियों को कोरोना जैसी बीमारी से जूझना पडा है।बताते चले एम्स में तमाम पदों पर , पदों के विरूद्ध सैकडों कर्मचारी कार्य को अंजाम दे रहे है।इसकी पुष्टि एम्स की वेबसाइट पर प्रशासन द्वारा विभिन्न कैडर की वरीयता  सूची में साफ झलक रहा है।गत 6 माह पहले ही प्रोजेक्ट कार्य में बरसों से काम कर रहे तीन दर्जन से अधिक कर्मियों को न्यायालय के आदेशों से स्थायी किया गया है।नियमानुसार यह पोस्ट अस्पताल की किचन में होती है और इन्हें नियुक्ति के साथ ही सीधे वहां पदस्थापित किया जाना था ।परन्तु इन सभी को एम्स प्रशासन के भर्ती कार्यालय में लंबे समय तक पदस्थापन की प्रतीक्षा में रखा गया । जबकि  वहां मात्र बामुश्किल से दस ही कर्मी  ही बैठाये जा सकते है। चौकाने वाली बात ये है कि इनमें ज्यादात्तर को कुक, मशालची बेयर्स पद पर नियुक्ति दी गई थी।जबकि प्रोजेक्ट में यह अन्य पदों पर कार्यरत थे।सबसे गंभीर बात एम्स में इस ये बात उभर कर आयी है कि एम्स में ऐसी घटनाओं के होने से एम्स की साख और विश्वसीनता को धक्का लगता है।

कमोबेश स्थिति ये बहुत से कैडर के कर्मी के साथ है।एम्स के कर्मचारी प्रसासन पर अपनी मनमर्जी से अपने चहेतों को पोस्टिंग देते रहे है।मेडिकल रिकार्ड का काम देखने की बजाय मेडिकल रिकार्ड तकनीशियन एग्जाम सेक्शन , स्थापना कार्यालय व अन्य विभागों में कार्यरत है। इसी तरह लैब कार्य के लिये नियुक्त किये  गये तकनीकी कैडर के बहुत से कर्मी अपना मूल काम ना कर अन्य विभागों में कम्प्यूटर, स्टोर्स, मीडिया सहित अन्य महत्वपूर्ण विभागों में कार्य कर रहे है।एम्स के कर्मचारियों का कहना है कि एम्स में प्रसासन की लापरवाही का नतीजा ये है कि गत एक दशक से अधिक समय से एम्स के जनसंपर्क अधिकारी का पद खाली पडा है जिसके कारण एम्स में मीडिया को जानकारी प्राप्त करने में काफी दिक्कत का सामना करना पडता है।

आरटीआई कार्यकर्ता अजात शत्रु का कहना है कि एम्स प्रशासन स्वयं स्वीकार करता है कि बहुत से कैडर की वर्क प्रोफाइल में मौजूद नहीं है।उनका कहना है कि एम्स में फैली धाधंलीबाजी के विरोध में कर्मचारी चुप बैठने वाले नहीं है । इसकी शिकायत जल्द से जल्द प्रधानमंत्री से करेंगे ताकि भ्रष्ट्राचार को रोका जा सकें।