एमसीडी चुनाव में फिर उठ सकता है अनधिकृत कॉलोनियों का मुद्दा

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव को लेकर छ: महीने से कम का समय बचा है, जिससे दिल्ली की सियासत में हलचल तेज़ हो गयी है। दिल्ली में चाहे विधानसभा का चुनाव हो या फिर एमसीडी चुनाव हो, दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों का मामला ज़ोर-शोर से उठता रहा है। इस बार भी एमसीडी चुनाव में अनधिकृत कॉलोनी और अधिकृत कॉलोनी का मामला ज़ोर-शोर से उठ सकता है। वजह साफ़ है कि जो अनधिकृत कॉलोनी से अधिकृत कॉलोनी हुई हैं, उसमें अभी भी बुनियादी सुविधाओं की कमी है। लोग बिजली-पानी की क़िल्लत से जूझ रहे हैं। बताते चलें कि दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों के नाम पर भाजपा और कांग्रेस सहित आम आदमी पार्टी ने जमकर सियासी रोटियाँ सेंकी हैं और लोगों को गुमराह किया है। दिल्ली में जब भी कोई चुनाव होता है, बिना अनधिकृत कॉलोनियों के नाम के सम्भव नहीं होता।

दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनी के नाम एक समय कांग्रेस ने पक्की कॉलोनी होने के पक्के सुबूत के रूप में प्रमाण-पत्र तक भी वितरित किये हैं। इसके बाद भाजपा ने कांग्रेस पर अनधिकृत कॉलोनियों के नाम पर जनता को गुमराह करने वाले आरोप लगाये। जब सन् 2015 में आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल ने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था। उस घोषणा पत्र के मुताबिक, केंद्र सरकार के साथ मिलकर 1,797 कॉलोनियों को तमाम अड़चनों को दरकिनार कर पक्का कर दिया था, जिसमें सरकारी ज़मीन, खेती वाली ज़मीन और निजी (प्राइवेट) ज़मीन के अलग-अलग चार्ज लगाकर जनता से पक्की कॉलोनी करने को कहा था, ताकि लोग अपने मकान की पक्की रजिस्ट्री करवा सकें। इसका लोगों को लाभ मिला और वे अनधिकृत कॉलोनी से अधिकृत कॉलोनी में आ गये। आम आदमी पार्टी के नेता अमित का कहना है कि जो काम भाजपा और कांग्रेस नहीं कर पायी, वह काम आम आदमी पार्टी ने कर दिया है। आम आदमी पार्टी का मानना है कि संगम बिहार बुराड़ी और सुल्तानपुरी सहित दिल्ली में जो भी अनधिकृत कॉलोनियाँ बची हैं, उन पर काम चल रहा है, ताकि लोगों को जल्द-से-जल्द मालिकाना हक़ मिल सके।

बुराड़ी निवासी राम अवतार त्यागी का कहना है कि अनधिकृत कॉलोनी को पक्का कराने का काम तो किया जा रहा है, लेकिन ऑनलाइन रजिस्ट्री होने पर तमाम तरह से लोगों को दिक़्क़त आ रही है। आज भी दिल्ली सरकार की लापरवाही के चलते यहाँ पर पानी-बिजली की समस्या विकराल रूप धारण किये हुए है। उनका कहना है कि अभी दिल्ली में 1,453 अनधिकृत कॉलोनियों को अधिकृत होना है। सन् 2014 के बाद से ज़रूर दिल्ली में अनधिकृत कालोनियों को लेकर काम हुआ है, लेकिन सरकारी पार्कों में अनधिकृत कॉलोनियाँ भी बसी हैं, जिन पर केंद्र और दिल्ली सरकार, दोनों चुप्पी साधे हैं। वजह साफ़ है कि सत्ता से जुड़े लोग ही पार्कों में क़ब्ज़ा करके कॉलोनी को बसाने में लगे हैं और जमकर लाभ कमा रहे हैं।

कांग्रेस पार्टी के नेता दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष अमरीश गौतम का कहना है कि जो काम कांग्रेस पार्टी ने अनधिकृत कॉलोनियों के नाम किया है, उसी को आम आदमी पार्टी सही तरीक़े से पूरा नहीं कर पा रही है। आज भी इन कॉलोनियों में बुनियादी ज़रूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं। कॉलोनियों में सडक़ें तक सही नहीं हैं। नालियाँ-खडज़े भी टूटी हालत में हैं। सीवर की सुविधा नहीं है। उनका कहना है कि चुनाव में ही नहीं, अक्सर दिल्ली वालों के बीच अनधिकृत कॉलोनियों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रहती है कि न जाने कब यहाँ पर बुल्डोजर चल जाए। क्योंकि केंद्र और दिल्ली की सरकारों पर जनता का विश्वास उठ गया है। दोनों पार्टियाँ आपस में मिलकर कॉलोनियों के नाम पर वोट ले लेती हैं। लेकिन जैसे ही सत्ता में आ जाती हैं, तो इस काम को भूल जाती हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया- ‘दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों के नाम पर सियासत के अलावा कुछ हो नहीं सकता है; क्योंकि दिल्ली देश की राजधानी होने के नाते दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के अलावा यहाँ पर नई दिल्ली नगर पालिका परिषद् (एनडीएमसी) और दिल्ली डबलपमेंट अथॉरिटी (डीडीए) भी हैं। दिल्ली सरकार तो है ही। इस पर यहाँ आम आदमी पार्टी और भाजपा की अलग-अलग सत्ताएँ हैं। इस लिहाज़ से अनधिकृत कॉलोनियों के नाम पर सियासत ही होती रहेगी।’

अनधिकृत कॉलोनियों को लेकर लम्बे समय तक संघर्ष करने वाले एस.के. शर्मा का कहना है कि आने वाले एमसीडी के चुनाव में राजनीतिक दल 1,453 अनधिकृत कॉलोनियों के नाम पर सियासत करेंगे, ताकि लोगों के वोट हासिल किये जा सकें। इसके अलावा मौज़ूदा दौर में महँगाई, बेरोज़गारी के साथ कोरोना-काल में जो लोगों को स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक़्क़त हुई है, ये सब भी चुनावी मुद्दे बनेंगे।