एचडीएफसी का विलय एक दूरगामी सोच

देश की सबसे बड़ी आवास वित्त कम्पनी एचडीएफसी लिमिटेड और निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी के विलय होने के प्रस्ताव को मंज़ूरी मिलने के साथ ही बाज़ार में ख़ुशी का माहौल है। बैंक के विलय को लेकर आर्थिक मामलों के जानकारों से ‘तहलका’ संवाददाता ने बात की, तो उन्होंने बताया कि विलय को लेकर कई वर्षों से मूल्यांकन किया जा रहा था। लेकिन अतीत में किसी कारणवश विलय नहीं हो पाया।

आर्थिक मामलों के जानकार व राजनीति विश्लेषक डॉ. सुनील मिश्रा ने बताया कि बैंकों में जुड़ी गतिविधियों में सरकार का भले ही प्रत्यक्ष (डायरेक्ट) रूप से कोई हस्तक्षेप न हो, पर अप्रत्यक्ष (इनडायरेक्ट) हस्तक्षेप होता है। क्योंकि मौज़ूदा समय में दुनिया में तमाम उतार-चढ़ाव भरे आर्थिक मामलों को देखते हुए लगता है कि एचडीएफसी कम्पनी का एचडीएफसी बैंक में विलय मील का पत्थर साबित हो सकता है। डॉ. सुनील मिश्रा का कहना है कि जिस दिन विलय की घोषणा भर हुई थी, उसी दिन बेंचमार्क सूचकांक दो फ़ीसदी से अधिक चढ़ गया था। 18 जनवरी के बाद एक बार सेंसेक्स ने 60,000 का स्तर पार किया और निफ्टी भी 18,000 के पार पहुँच गया। ऐसे में बैंक के विलय का हमें साफ़ सन्देश है कि आने वाले दिनों में अन्य बैंकों में सुधार से साथ विलय हो सकते हैं। क्योंकि कई बैंकों की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लग रहे हैं। विलय बैंक के ज़रिये ही सही; लेकिन ये सकारात्मक आर्थिक सुधार में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

चाटर्ड अकाउंटेंट (सीए) ध्रुव अग्रवाल का कहना है कि एचडीएफसी बैंक के विलय से बैंकिंग उद्योग में समेकन की प्रकिया में तेज़ी आ सकती है। साथ ही भारत के सबसे बड़े कॉर्पोरेट विलय के तौर पर देखा जा सकता है। इसी कारण से इन दोनों कम्पनियों के शेयरों में काफ़ी तेज़ी देखी गयी है। हाउसिंग फाइनेंस डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एचडीएफसी) का शेयर नौ फ़ीसदी तक चढ़ा है, जबकि एचडीएफसी बैंक में 10 फ़ीसदी की तेज़ी देखने को मिली है। सीए ध्रुव अग्रवाल का मानना है कि बैंक में विलय के लिए शेयरों की अदला-बदली का अनुपात भी तय हो चुका है। विलय से एचडीएफसी बैंक शत्-प्रतिशत आम शेयरधारकों की कम्पनी बन जाएगी।

विश्लेषकों का मानना है कि निवेशकों को अपनी उम्मीदें कुछ कम रखने की ज़रूरत है। क्योंकि इस विलय को नियामकीय चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

एचडीएफसी बैंक से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस विलय से हम एक और एचडीएफसी बैंक का सृजन कर सकते हैं। इस विलय की यह एकीकरण प्रक्रिया पूरी तरह से शेयरों में की जाएगी। एकीकृत इकाई का बाज़ार मूल्य $करीब 40 अरब डॉलर होगा। अभी एचडीएफसी बैंकिंग कम्पनी की प्रवर्तक इकाई है। बैंक अधिकारी का कहना है कि विलय की प्रक्रिया दो चरणों की है। एचडीएफसी के पूर्ण स्वामित्व वाली वाली इकाइयों एचडीएफसी इन्वेस्टमेंट्स और एचडीएफसी होल्डिंग्स का विलय। फिर दूसरे चरण में एचडीएफसी का एचडीएफसी बैंक में विलय।

बैंक अधिकारी ने बताया कि 45 वर्षों के दौरान 90 लाख से ज़्यादा ग्राहकों को आवास के लिए लोन मुहैया कराने वाली कम्पनी के लिए नया घर तलाशने का यही सही समय और अवसर होगा। उनका कहना है कि विलय की तो कई वजह हैं, जो समय के साथ सामने आएँगी; लेकिन इतना ज़रूर है कि दोनों कम्पनियों के प्रबंधन को लगा या महसूस हुआ कि ब्याज दरें अभी अनुकूल हैं, जिससे तरलता सम्बन्धी ज़रूरतों के लिए बैंक की पूँजी की लागत कम आएगी। इन्हीं तमाम पहलुओं को देखते हुए विलय को अंजाम दिया गया है।

स्वतंत्र बाज़ार विश्लेषक और जीएसटी व कर मामलों के जानकार पुनीत जैन का कहना है कि किसी भी देश की तरक़्क़ी और विकास का मुख्य आधार वहाँ की आर्थिक मज़बूत व्यवस्था होती है। उन्होंने बताया कि गत 6-7 महीने से हमने कई अधिग्रहण देखे हैं। ये सभी सन्देश दे रहे हैं कि अच्छी कम्पनियों का बेहतर तरीक़े से मूल्यांकन करके और अर्थ-व्यवस्था का लाभ उठाया जा सकता है। क्योंकि मौज़ूदा समय में कोरोना-काल के बाद से तेज़ी से देश में आर्थिक सुधार हो रहा है। क्योंकि इस बात की पुष्टि के संकेत जीएसटी कर संग्रह तथा कम्पनियों के तिमाही नतीजों के आँकड़े बताते हैं। उनका कहना है कि यह सही समय है, जब बड़े कारोबारियों के साथ-साथ छोटे कारोबारी लाभ उठाने के लिए एकीकरण की ज़रूरत को समझ रहे हैं।

बताते चलें कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल के कुछ वर्षों के दौरान बैंकिंग क्षेत्र में चूक व लापरवाही के कई मामलों को देखते हुए ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों (एनबीएफसी) और बैंकों के लिए नियमों में बदलाव किये हैं। इन बदलावों के बारे जानकारी देते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और आर्थिक मामलों के जानकार मनोज कुमार का कहना है कि आरबीआई एनबीएफसी क्षेत्र के लिए व्यापक नियमों के साथ आगे आया है, जिसमें बड़ी एनबीएफसी को भी बैंकों के सामान सख़्त जाँच के दायरे में लाया है। उनका कहना है कि इसके अलावा आरबीआई ने एनबीएफसी के लिए आय पहचान और ग़ैर-निष्पादित परिसम्पत्तियों (एनपीए) वर्गीकरण मानकों को अनुकूल बनाया है, जो विलय के लिए सम्भावित शंकाओं को दूर किया जा सका है।

मनोज कुमार का कहना है कि आरबीआई द्वारा निर्धारित नियामकीय ढाँचे में बदलाव का संकेत देते हुए एचडीएफसी लिमिटेड ने भी नियमों को अनुकूल बनाने जाने की दिशा में कई निर्देश भी जारी किये हैं।

बैंक विलय को लेकर कॉर्पोरेट बैंक से जुड़े कुलदीप कौशल का कहना है कि बैंक के विलय से बाज़ार में छायी मायूसी से रौनक़ लौटी है। छ: महीनों से शेयर बाज़ार की हालत पतली रही है। क्योंकि बैंकिंग सेक्टर ने पिछले 6-7 महीनों में सम्पूर्ण बाज़ार की तुलना में शेयर बाज़ार में कमज़ोर प्रदर्शन किया है। इसकी मुख्य कारण सुस्त लोन वृद्धि, जोखिम, तनावग्रस्त परिसम्पत्तियों से जुड़ी अनिश्चितताएँ रही हैं। क्योंकि कोरोना-काल के चलते बाज़ार और ऋण वृद्धि में काफ़ी रुकावट रही है। मौज़ूदा दौर में एचडीएफसी बैंक का विलय बैंक सेक्टर में ही नहीं, बल्कि बाज़ार में मंदी को दूर करेगा। उनका कहना है कि भले ही यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर दुनिया के अन्य देश आर्थिक मंदी के चपेट में आ रहे हैं। ऐसे समय में हमारे बैंक देश के छोटे-बड़े कारोबारियों से लेकर समाज के हर तबके के लिए ऋण मुहैया कराने के लिए खड़े हैं। सुधीर कौशल का कहना है कि एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक के विलय को भारत में कॉर्पोरेट विलय के रूप में देखा जा रहा है। इसलिए इन बैंकों के शेयर बाज़ार में उछाल देखा जा रहा है। इसके अलावा इस विलय से प्रतिस्पर्धा दर पर रक़म जुटाने की क्षमता सुधरेगी। उनका कहना है कि संयुक्त इकाई की आय अगले तीन से पाँच साल में सुधर सकती है। बैंकिग सेक्टर से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि मौज़ूदा समय में एचडीएफसी लिमिटेड बैंक की पैतृक कम्पनी है। एचडीएफसी बैंक का बाज़ार पूँजीकरण नौ लाख करोड़ रुपये से अधिक है। लेकिन विदेशी निवेश के लिए सीमित गुंजाइश की वजह से अभी इन वैश्विक सूचकांकों का हिस्सा नहीं है।

बैंकों की मौज़ूदा समय में गिरती साख को अगर बचाना है और अपने ग्राहकों के बीच विश्वास पैदा करना है, तो बैंक के विलय के अलावा हमें अपने ग्राहकों को कम दर ऋण मुहैया कराना होगा। फ़िलहाल एचडीएफसी बैंक के विलय से हमारे देश-विदेश में पढऩे वाले छात्रों के बीच उम्मीद जगी है। उनकी पढ़ाई के लिए अन्य बैंकों की तुलना में ये बैंक सस्ता ऋण मुहैया कराएँगे।

एचडीएफसी बैंक के विलय को लेकर सेवानिवृत्त बैंक प्रबंधक जी. दास का कहना है कि इस विलय से देश के उन बड़े उद्योगपतियों को ज़रूर लाभ होगा, जिनको अधिक ऋण की ज़रूरत होती है। उन्होंने बताया कि अब एचडीएफसी बैंक भी पूँजीपतियों के हाथ में होगा, जहाँ उनके ही अपने निदेशक होंगे। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से एक ही निदेशक होगा। यानी बहुमत में एचडीएफसी के निदेशक ज़्यादा होंगे, जिससे उनके फ़ैसले उनके मनमाफिक होंगे। जी. दास का कहना है कि सरकारी बैंक में सारे क़ायदे-क़ानून लागू किये जाते हैं, जबकि कॉर्पोरेट बैंकों में ऐसा कुछ नहीं होता। उन्होंने कहा कि एचडीएफसी बैंक से बड़ी उम्मीद है और वह देश आर्थिक स्थिति में मज़बूती प्रदान कर सकती है।