एक ब्रेक लें कोहली

प्रशंसकों को पक्का भरोसा, मज़बूत वापसी करेंगे विराट

विराट कोहली ऑफ फार्म हैं। कुछ महीने से नहीं, ढाई साल से। क्या कोहली को अपनी फार्म वापस लाने और मानसिक रूप से तैयार करने के लिए ख़ुद को छ: महीने के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से दूर कर लेना चाहिए? विराट क्रिकेट के दिग्गज हैं और जानते हैं कि उन्हें क्या करना है। लेकिन यह भी सच है कि क्रिकेट के जानकार और उनके असंख्य प्रशंसक मानते हैं कि कोहली को नये सिरे से क्रिकेट मैदान में मज़बूत वापसी करनी चाहिए। विराट के इस ख़राब प्रदर्शन का कारण उनका मशीन बन जाना भी है; क्योंकि वह लगातार क्रिकेट खेले हैं।

यहाँ सवाल यह भी है कि क्या कोहली जैसा दिग्गज और अनुभवी खिलाड़ी मानसिक रूप से दबाव में जा सकता है? उनकी फार्म का इतने लम्बे समय तक ख़राब रहना ख़ुद उनके जैसे क़द के खिलाड़ी के लिए चिन्ता का कारण होगा; लेकिन यहाँ एक और सवाल यह है कि नम्बर तीन पर खेलने के लिए देश में इतने खिलाड़ी हैं कि आसानी से कोहली की जगह पा सकते हैं। लिहाज़ा उनके प्रशंसकों में यह भी चिन्ता है कि कोहली के लिए ज़्यादा दिन तक ख़राब प्रदर्शन के कारण टीम में बने रहना आसान नहीं होगा। उनके आलोचक तो अभी से यह बात कहने लगे हैं।

इंग्लैंड के ख़िलाफ़ पाँचवें टेस्ट में कोहली भले बदक़िस्मत रहे। लेकिन दिग्गज वही होता है, जो हार की धूल झाड़कर जल्द ही उठ खड़ा होता है। कोहली में अभी काफ़ी क्रिकेट है और उनसे अपेक्षा की जाती है कि अपना विराट रूप दिखाकर नयी ताक़त के साथ मैदान में उतरेंगे। बैटिंग में बेहतर प्रदर्शन न करने के बावजूद आज भी कोहली की मैदान में ऊर्जा देखने लायक है। कैच वह छोड़ते नहीं, बल्कि असम्भव को भी वह कैच में बदल देते हैं। भारतीय खिलाडिय़ों की बात करें, तो हमने देखा है कि कपिल देव से लेकर सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गज भी एक समय अपने करियर में ख़राब फार्म से जूझे थे। दुनिया में ऐसे बहुत उदाहरण हैं कि जब लगता था कि खिलाड़ी अब ख़त्म हो गया। लेकिन उन्होंने ऐसी वापसी की कि दुनिया ने दाँतों तले उँगलियाँ दबा लीं।

खिलाड़ी कोहली अभी 33 साल के हैं और कुछ और साल की क्रिकेट अभी उनमें बा$की है। ऐसे में कोहली के लिए ज़रूरी है कि वह एक छोटा ब्रेक लें और नयी ऊर्जा के साथ फिर मैदान में लौटें। खिलाडिय़ों के लिए ऐसी रणनीति ज़रूरी होती है। इसका कारण यह है कि उन्हें बहुत-से दबावों से गुज़रना होता है। कोहली ऐसे दबावों से गुज़रे हैं; क्योंकि तीनों फार्मेट की कप्तानी का बोझ वर्षों उन्होंने ढोया। लगातार क्रिकेट खेली और जीत-हार के दबाव झेले। निश्चित ही इसका असर उनके प्रदर्शन पर पड़ा है।

कोहली का बल्ला हाल के आईपीएल सीज़न में भी ख़ामोश ही रहा। उनकी ख़राब फॉर्म का यह दौर ढाई साल से जारी है। हाल में वरिष्ठ क्रिकेटर रवि शास्त्री ने भी सुझाव दिया था कि कोहली को कुछ ववक़्त के लिए ब्रेक लेना चाहिए। उन्होंने तो कोहली को आईपीएल के 2022 के सीज़न से हट जाने की भी सलाह दी थी। हालाँकि कोहली ने यह सीज़न खेला। विराट लम्बे ववक़्त से लगातार क्रिकेट खेल रहे हैं। वह आईपीएल में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ हैं। लेकिन इसके बावजूद पिछला सीज़न उनके लिए कुछ ख़ास नहीं रहा, भले इस बार उन्होंने ख़ुद को कप्तानी के बोझ से मुक्त कर लिया था।

शास्त्री विराट को ब्रेक लेने की सलाह देते हुए इसके कारण भी बताते हैं। उनके मुताबिक, विराट ने लगातार क्रिकेट खेला है। शास्त्री कहते हैं- ‘विराट के लिए ब्रेक ले लेना ही बुद्धिमानी होगा। उन्होंने कई साल तक सभी फॉर्मेट की कप्तानी की। कभी-कभी सन्तुलन बनाना पड़ता है। अंतरराष्ट्रीय करियर को लम्बा करने के लिए आईपीएल जैसे टूर्नामेंट को छोडऩा बेहतर $फैसला होता। आप 14-15 साल से लगातार खेल रहे हैं। लम्बा खेलने के लिए आपको वह रेखा खींचनी होगी, जहाँ ऑफ सीज़न में आप एक ब्रेक लेकर नये सिरे से शुरुआत करते हैं।’

विराट को ख़राब फॉर्म का ख़ामियाज़ा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) की रैंकिंग में भी झेलना पड़ा है। वह हाल के महीनों में टेस्ट की बल्लेबाज़ी रैंकिंग में लगातार नीचे हुए हैं, जबकि डेढ़ साल पहले तक वह टॉप-5 में थे। अब उनकी टेस्ट रैंकिंग 10वीं है। ओडीआई में भी वह अब तीसरे नंबर पर हैं, जबकि टी20 में उनकी रैंकिंग 21वीं है, जो काफ़ी नीचे है। यह आँकड़े जुलाई के पहले ह$फ्ते के हैं। जो विराट आज से ढाई साल पहले टेस्ट में 27 शतक और एक दिवसीय में 43 शतक (कुल मिलाकर 70 शतक) बना चुके थे, वह आज भी वहीं खड़े हैं। उस समय लग रहा था कि विराट सचिन के 100 शतक का रिकॉर्ड तोड़ देंगे। लेकिन जैसे ही वह ऑफ फार्म हुए, उनका आँकड़ा यहीं रुक गया। भारत का यह दिग्गज संघर्ष करना जानता है; लिहाज़ा उम्मीद है कि उनके प्रशंसक मैदान में फिर उनका जलवा देखेंगे।

फॉर्म खोने के कारण

कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि अलग-अलग खिलाडिय़ों में फॉर्म खोने के अलग-अलग कारण होते हैं। किंग कोहली के मामले में कहा जाता है कि किसी शॉट को $गलत खेलने और उसमें सुधार न कर पाने के कारण वह वर्तमान में दिक़्क़त झेल रहे हैं। जैसे यह माना जाता है कि एक समय कोहली जिस एक ही गेंद पर तीन अलग-अलग शॉट खेल सकते थे, उसी गेंद को आज वह मिडिल करने में दिक़्क़त महसूस कर रहे हैं।

उन्हें हाल के महीनों में हमने 20 और 50 के बीच रन बनाने के लिए जूझते हुए देखा है। जबकि यही कोहली थे कि हम मैदान में उनसे शतक की पक्की उम्मीद करते थे और वह शतक ठोकते भी थे। लेकिन हाल के महीनों में वह एक ही तरह के शॉट खेलते हुए आउट हुए हैं या एक ही गेंदबाज़ ने उन्हें बार आउट किया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह एक तरह का मानसिक पैटर्न है, जिसमें एक ही जैसी चीज़ एक ही तरीक़े से घटती है। विराट के साथ ऐसा हो रहा है। यह भी देखा गया है कि रन न बनाने के दबाव के कारण आजकल विराट क्रीज पर पहुँचते ही तेज़ शॉट खेलकर अपना आत्मविश्वास मज़बूत करने की कोशिश करते हैं, जो एक तरह का मानसिक कारण है। वह दिखाना चाहते हैं कि वह फ्लॉप या ऑफ फार्म नहीं हैं। लेकिन वास्तव में वह ऑफ फार्म हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसे में विराट के लिए ज़रूरी यह है कि वह क्रीज पर ज़्यादा समय बिताएँ और फिर आक्रमण करें।

तमाम चीज़ों के बावजूद विराट एक ‘विराट’ खिलाड़ी हैं। एक ख़राब दौर भले कुछ लम्बा रहा हो, पर यह उनके सुनहरे करियर और उनकी प्रतिभा पर सवाल खड़ा नहीं करता। वह क्रिकेट के विचारक हैं। इसलिए सभी मानते हैं कि वह एक दमदार वापसी करेंगे और मैदान पर फिर उनका जलवा होगा।

“यह समझना चाहिए कि कुछ चीज़ें नियंत्रित नहीं की जा सकती हैं। आपके पास केवल वही चीज़ें हैं, जिन पर आप काम कर सकते हैं, जो कि मैदान पर और जीवन में भी कड़ी मेहनत से होती हैं। मैं मैदान पर जो कुछ भी करता हूँ, वह मेरे लिए विकास का एक चरण है। मेरी ड्राइव कभी ख़त्म नहीं होगी। जिस दिन मेरी ड्राइव चली जाएगी, मैं यह गेम नहीं खेलूँगा।’’
विराट कोहली
क्रिकेटर