ऋषि से उम्मीदें

अस्तित्व की चुनौती का सामना कर रहे यूरोप के अमीर देशों के बीच यूनाइटेड किंगडम (यूके), जिसे ब्रिटेन भी कहते हैं; को प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार भारतीय मूल के ऋषि सुनक मिले हैं, जो ख़ुद को एक गर्वित हिन्दू कहते हैं। उन्होंने सांसद बनने के बाद श्रीमद्भगवद्गीता की शपथ ली थी और इस कुर्सी पर बैठने वाले वह पहले अश्वेत नेता हैं। सुनक दो शताब्दियों में यूनाइटेड किंगडम के सबसे कम उम्र (क़रीब 42 वर्ष) के प्रधानमंत्री हैं।

यही नहीं, वह महज़ तीन महीने में ब्रिटेन के तीसरे और छ: वर्षों में पाँचवें प्रधानमंत्री बने हैं। इतने कम समय में प्रधानमंत्रियों के बनने की यह संख्या ब्रिटेन की अर्थ-व्यवस्था में गहरी समस्याओं को दर्शाती है।

इस बार ‘तहलका’ में गोपाल मिश्रा की आवरण कथा ‘संकट के साये में यूरोप’ यूरोपीय अमीर राष्ट्रों के अपने अस्तित्व की चुनौतियों पर है। मिश्रा लिखते हैं कि रूस-यूक्रेन का युद्ध एक ऐसा ख़तरनाक मामला है, जिसने न केवल यूक्रेन के लगभग एक-तिहाई हिस्से को अँधेरे में डुबोने के साथ-साथ पीने के पानी की भारी कमी पैदा कर दी है, बल्कि इस समय अस्तित्व के संकट का सामना कर रहे यूरोप में एक ठंडी सर्दी भी दस्तक दे चुकी हैै। यूरोप के विभिन्न हिस्सों में लोगों के लिए बढ़ते असन्तोष के साथ ही सर्दी की शुरुआत भी हो रही है। बायोमास जलाकर लोग ख़ुद को गर्म कर रहे हैं। पोलैंड के गाँवों में इस ठंड से बचने के लिए लोग मजबूरन पेड़ों को काट रहे हैं। फ्रांस में पेट्रोल की रसद (राशनिंग) शुरू हो चुकी है। जर्मनी में ऊर्जा बचाने के लिए रात के समय ट्रैफिक लाइट्स बन्द की जा रही हैं। ब्रिटेन में बिजली प्रतिबंधों के कारण रेस्तरां बन्द हो रहे हैं। स्पेन में वातानुकूलित (एयर कंडीशनर) के इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध है और इसके उल्लंघन को अपराध तय कर दिया गया है।

ऐसे परिदृश्य में पूर्व औपनिवेशिक शासकों पर भारतीय मूल के ऋषि सुनक द्वारा शासन करते हुए एक संकटग्रस्त देश का बाग़डोर सँभालने से सबसे ज़्यादा उत्साहित प्रवासी भारतीय समुदाय है। लिज़ ट्रस के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में बहुत छोटे कार्यकाल के बाद 10 डाउनिंग स्ट्रीट में ऋषि का उत्थान वास्तव में समकालीन ब्रिटिश इतिहास में एक बड़ी घटना है। इससे पहले उनके पूर्ववर्ती बोरिस जॉनसन को कोरोना वायरस महामारी के कथित अयोग्य प्रबंधन के मद्देनज़र एक अपमानजनक स्थिति में सत्ता से बाहर जाना पड़ा। क्योंकि उन पर भष्टाचार, पक्षपात के आरोपों के अलावा आर्थिक व्यवस्था बनाये रखने में नाकाम रहते हुए ब्रिटेन को आर्थिक मोर्चे पर भारत से भी नीचे ले जाने का आरोप था।

शेक्सपियर की प्रसिद्ध पंक्ति- ‘जो सिर पर ताज पहनता है, उसके सिर में बेचैनी रहती है;’ ख़ुद सुनक के लिए भी सबसे उपयुक्त हैं। उन्होंने कहा था कि यूके 45 बिलियन डॉलर के अनुमानित बजट घाटे में है और लगभग 10 फ़ीसदी की बढ़ती मुद्रास्फीति और मंदी के साथ गहन आर्थिक चुनौती का सामना कर रहा है।

सुनक के लिए चुनौतियाँ कठिन हैं। लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में अपने पहले भाषण में उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि वह डरते नहीं हैं। इसे महज़ उनका उत्साह भर नहीं मानें। सुनक के 10 डाउनिंग स्ट्रीट पहुँचने में एक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि लोग नयी चुनौतियों का सामना करने और रंग, पंथ से दूर रहकर भी बड़ी सफलता हासिल कर सकते हैं। भारत ने लम्बे समय से दुनिया को दिखाया है कि अल्पसंख्यक समुदायों और विनम्र पृष्ठभूमि के राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों के साथ किसी भी राष्ट्र को बेहतर ढंग से चलाया जा सकता है।