उत्तर प्रदेश में हाशिये पर कानून व्यवस्था

गाज़ियाबाद में पत्रकार की हत्या मामले में उठ रहे कई सवाल, कई आपराधिक घटनाओं को लेकर घिरी है राज्य सरकार

उत्तर प्रदेश में तेज़ी से बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति के बीच देश की राजधानी दिल्ली के प्रवेश द्वार गाज़ियाबाद में हिंसक अपराध की खतरनाक घटना सामने आयी है, जहाँ बेखौफ अपराधियों ने एक स्थानीय युवा पत्रकार विक्रम जोशी की गोली मारकर हत्या कर दी। इस घटना ने आम नागरिकों के बीच खौफ पैदा किया है। हत्या की इस घटना ने एक बार फिर महिलाओं और युवतियों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल पैदा कर दिये हैं। पहले भी मनचलों के चलते छात्राएँ स्कूल/कॉलेज जाने से और अन्य महिलाएँ घर से निकलने से डरती रही हैं; क्योंकि वे आये दिन छेड़छाड़ आदि का शिकार होती रही हैं। वे लगातार छेड़छाड़, दुष्कर्म, अपहरण, हत्या जैसी भयावह घटनाओं के कारण डर महसूस करती हैं।

योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या से एक बार फिर निशाने पर आ गयी है। एक सरकारी ठेकेदार के अपहरण के मामले को सुलझाने में पुलिस अभी तक नाकाम है। अपराधियों के संगठित गिरोह ने लॉकडाउन के दौरान 26 जून की शाम गाज़ियाबाद में उसका तब अपहरण कर लिया, जब वह अपने घर लौट रहा था। उस समय वाहनों की आवाजाही पर सख्त प्रतिबन्ध लगा था, और इसके बावजूद यह घटना हुई। शहर में कानून और व्यवस्था का दिवाला पिटने से गुस्साये मीडिया कर्मियों और आम जनता ने ज़बरदस्त प्रदर्शन किये। यहाँ यह भी गौरतलब है कि वल्र्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स (डब्ल्यूपीएफआई) 2020 की सूची में भारत कुल 180 देशों में बहुत खराब 142वें स्थान पर है।

विक्रम जोशी (35), देश की राजधानी दिल्ली की सीमा से लगे ज़िला गाज़ियाबाद में एक स्थानीय हिन्दी अखबार में काम करते थे। नौ हमलावरों ने उन्हें घेरकर तब उनके सिर के पीछे गोली मारी, जब वह 5 और 11 साल की अपनी दो छोटी बेटियों के साथ अपनी बहन के घर से लौट रहे थे। यह घटना 20 जुलाई को रात लगभग 10.30 बजे की है। हमले में पत्रकार जोशी गम्भीर रूप से घायल हो गये। उन्हें बेहद गम्भीर हालत में अस्पताल में भर्ती किया गया; लेकिन उन्होंने 22 जुलाई को दम तोड़ दिया। हत्या की पूरी वारदात सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गयी। वीडियो फुटेज में बदमाश उन्हें घेरते हुए और उन पर हमला करते हुए दिख रहे हैं; जबकि पास ही उनकी बेटी असहाय रोती हुई दिखायी दे रही है। वह अपने पिता के पास और कभी राहगीरों की ओर दौड़ रही है और चीख-चीखकर लोगों से मदद माँगती हुई दिख रही है।

इस घटना से चार दिन पहले 16 जुलाई को जोशी ने अपनी बहन की बेटी से छेड़छाड़ के खिलाफ रवि और उसके असामाजिक साथियों के रूप में पहचान कर उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की थी। इन लोगों ने उनकी 17 वर्षीय भाँजी  को कथित रूप से डराया और छेड़छाड़ की थी। शिकायत में उल्लेख किया गया है कि रवि सहित चार लोगों ने उनकी भाँजी को उस समय ज़बरदस्ती पकड़ लिया, जब वह अपने छोटे भाई के साथ किराने का सामान खरीद रही थी। जब भाई ने आपत्ति की, तो उन्होंने लडक़े को लाठी से पीट डाला। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि वे गुण्डे नशे में धुत्त थे। हालाँकि पुलिस ने इसकी जाँच के लिए जोशी की प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज ही नहीं की।

शिकायत से आपराधिक प्रवृत्ति का रवि कथित तौर परेशान हो गया, और उसने जोशी को धमकी देनी शुरू कर दी। रवि कथित तौर पर तब जोशी की बहन के घर के बाहर अपने आपराधिक प्रवृत्ति के दोस्तों के साथ घूमने लगा, जब विक्रम अपनी बेटियों के साथ जानलेवा हमले की रात जन्मदिन समारोह में शामिल होने के लिए बहन के घर गया था। जोशी ने खतरे को देखते हुए क्षेत्र के पुलिस निरीक्षक को इस बारे में बताने के लिए फोन किया। जोशी के परिजनों ने आरोप लगाया है कि निरीक्षक ने वहाँ आने से इन्कार कर दिया।

16 जुलाई को इन बदमाशों ने पत्रकार विक्रम जोशी की भाँजी के साथ छेड़छाड़ भी की। जानकारी मिलने पर विक्रम ने इन युवकों को ललकारा। कुछ अन्य पड़ोसी भी आ गये और बदमाशों को भगा दिया। जाते समय युवकों ने विक्रम जोशी को देख लेने की धमकी दी। विक्रम ने तुरन्त स्थानीय पुलिस चौकी प्रभारी से सम्पर्क किया और जान-माल की सुरक्षा की माँग की। चौकी प्रभारी ने उनकी शिकायत अपने पास रखकर विक्रम को जाने के लिए कहा। विक्रम परेशान था, क्योंकि उसने खुद देखा था कि आरोपी युवकों में से दो पहले से ही सम्बन्धित पुलिस प्रभारी के पास बैठे थे; जिससे कई आशंकाएँ बन रही थीं। कोई नतीजा न निकलने पर विक्रम पुलिस स्टेशन पहुँचा और अपनी बहन की शिकायत एसएचओ विजय नगर पुलिस स्टेशन को सौंप दी और उनसे एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया। यहाँ भी जोशी को निराशा हाथ लगी; क्योंकि कोई जाँच नहीं हुई।

बदमाशों का हौसला देखिए कि उन्होंने विक्रम जोशी को बाद में खत्म करने की धमकी दे डाली। अगले दिन अपने अखबार के दो साथियों के साथ वे एसएसपी कलानिधि नैथानी से मिले और उन्हें अपने जीवन को खतरे से अवगत कराया। बदमाशों ने पुलिस को उनकी शिकायत के बाद भी उन्हें धमकी देना जारी रखा था। लेकिन एसएसपी ने भी जोशी की इस शिकायत को हल्के में लिया और मामले की जाँच के आदेश दिये।

हालाँकि तमाम शिकायतों की परवाह न करते हुए बेखौफ बदमाशों ने जोशी की हत्या कर दी। योगी सरकार ने विक्रम के परिवार को 10 लाख रुपये, उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी और बेटियों को मुफ्त शिक्षा देने की घोषणा की है। लेकिन योगी के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई न करने से सभी लोग निराश हुए हैं। यह तमाम पुलिस अफसर जान गँवाने वाले पत्रकार जोशी के तमाम अनुरोधों के बावजूद उन्हें खतरे से बचाने में विफल रहे।

जोशी के परिजनों ने मीडिया को बताया कि एक व्यक्ति, जिसकी पहचान छोटू के रूप में की गयी है; ने गोली मारने से पहले घर के बाहर काँच की बोतल फेंकी और उसे गालियाँ दीं। इस घटना के बाद से लोगों में आक्रोश है। विभिन्न राजनीतिक नेताओं ने राज्य में पुलिस की निष्क्रियता और गुण्डा राज बढऩे की घोर निन्दा की है। पत्रकारों के एक समूह ने 22 जुलाई को अपने सहयोगी की हत्या के खिलाफ यशोदा अस्पताल के बाहर ज़बरदस्त विरोध-प्रदर्शन किया।

पत्रकार की पुलिस को तमाम शिकायतों के बावजूद इस हत्या हुई, जिससे राजनीति में भी काफी उबाल आया। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने पत्रकार के शोक संतप्त परिवार से संवेदना व्यक्त करते हुए योगी सरकार पर ज़बरदस्त हमला बोला। गाँधी ने ट्वीट करके कहा कि पत्रकार विक्रम जोशी की बेटियों के सामने उनकी भाँजी से छेड़छाड़ का विरोध करने के चलते गोली मारकर हत्या कर दी गयी। उत्तर प्रदेश में जंगल राज इतना बढ़ गया है कि शिकायत करने के बाद आम आदमी उपद्रवियों से डरता है। भाजपा सरकार पिछली सरकारों की तरह अपराध के मुद्दे पर विफल रही है। प्रियंका ने जोशी के परिजनों से संवेदना भी व्यक्त की।

बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ गम्भीर अपराध की बाढ़ आ गयी है। यह प्रदर्शित करता है कि उत्तर प्रदेश में कानून का शासन ध्वस्त हो गया है और जंगल राज कायम है। अपराध वायरस कोरोना की तुलना में तेज़ी से बढ़ रहा है। उन्होंने मारे गये पत्रकार के शोक संतप्त परिवार के सदस्यों के लिए संवेदना व्यक्त की।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा के शासन पर तंज कसते हुए कहा कि गाज़ियाबाद में अपनी बेटी के साथ बाइक पर जा रहे पत्रकार को गोली मारकर उनकी जान लेने की घटना से राज्य के लोग स्तब्ध हैं। भाजपा सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि किसके बल पर ऐसे अपराधी और बदमाश पनप रहे हैं।

विक्रम जोशी के हत्यारों को कड़ी-से-कड़ी सज़ा देने की माँग करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया कि विक्रम जोशी, जो अपनी भाँजी के साथ छेड़छाड़ के खिलाफ आवाज़ उठा रहे थे; की हत्या ने हमारी कानून व्यवस्था पर बहुत सारे सवाल उठाये हैं।

जोशी की मौत की खबर के तुरन्त बाद मीडिया संगठनों ने सर्वसम्मति से गाज़ियाबाद स्थित पत्रकार विक्रम जोशी पर हमले की निन्दा की, जिन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। इन संगठनों ने हत्या की न्यायिक जाँच के अलावा मारपीट की अन्य घटनाओं की जाँच की भी माँग की गयी।

पत्रकारों पर इन हमलों का अवलोकन करते हुए, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में; हाल के दिनों में इस हत्या और पत्रकारों के खिलाफ हाल के दिनों में हुई घटनाओं को लेकर प्रेस एसोसिएशन और भारतीय महिला प्रेस कोर (आईडब्ल्यूपीसी) ने उत्तर प्रदेश सरकार से हमले में शामिल सभी दोषियों को सज़ा देने की ज़ोरदार माँग की।

घटना से पुलिस पर उठे सवालों और चौतरफा निन्दा के बाद गाज़ियाबाद के पुलिस प्रमुख कलानिधि नैथानी जागे और बताया कि पुलिस ने उस इलाके के थाना प्रभारी को लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया है; जहाँ पत्रकार विक्रम जोशी को गोली मारकर गम्भीर रूप से घायल कर दिया गया था और बाद में अस्पताल में उनकी मौत हो गयी। पुलिस ने शुरू में जोशी की मौत के तुरन्त बाद पाँच आरोपियों को गिरफ्तार किया और बाद में सभी नौ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

इससे पहले उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले में एक अन्य पत्रकार शुभम मणि त्रिपाठी, जो एक हिन्दी अखबार में रिपोर्टर थे; को गोली मार दी गयी थी। उन्होंने रेत माफिया और भूमि पर कब्ज़ा करने वालों के खिलाफ लगातार लिखा था। उन्होंने अपने हालिया फेसबुक पोस्ट में उल्लेख किया था कि उन्हें डर था कि स्थानीय रेत माफिया के अवैध भूमि उत्खनन की उनकी रिपोट्र्स के कारण उनकी हत्या की जा सकती है। नेशनल क्राइम रिकॉड्र्स ब्यूरो (एनसीआरबी) 2018 की नवीनतम रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में सबसे ज़्यादा हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश की है। पुलिस हर दो घंटे में एक बलात्कार दर्ज करती है। आँकड़ों में भारत में पीछा करने की बढ़ती प्रवृत्ति पर भी प्रकाश डाला गया है और हर 55 मिनट में इसका एक मामला दर्ज होता है, जबकि इस तरह के कई मामले तो दर्ज ही नहीं करवाये जाते।  इसके अतिरिक्त भले ही बलात्कार और छेड़छाड़ के मामलों में आरोप पत्र दाखिल करने की दर पूरे भारत में 85.3 फीसदी है, लेकिन सज़ा की दर खतरनाक रूप से महज 27.2 फीसदी ही है।

प्रसिद्ध सरकारी ठेकेदार विक्रम त्यागी के अपहरण के बाद उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति और बिगड़ गयी है। ठेकेदार त्यागी गाज़ियाबाद के पटेल नगर के राजनगर एक्सटेंशन में एक इनोवा कार से अपने दफ्तर से अपने आवास के लिए निकले। करीब 7:35 बजे उनके भाई ने उन्हें आखरी बार फोन किया और व्यवसाय को लेकर कुछ बात की, जिसमें उन्होंने जवाब दिया कि वह थोड़ी देर में 5-7 मिनट के भीतर घर पहुँच रहे हैं; तब बात करेंगे। इसके बाद शाम 7:40 बजे उनका मोबाइल फोन बन्द हो गया; जो आज तक बन्द ही है। उनका आज तक कुछ पता नहीं चला है।

22 जुलाई को गाज़ियाबाद के अम्बेडकर पार्क में नवयुग मार्केट में करीब एक हज़ार लोग बढ़ते अपराध और पुलिस के अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने और उन्हें नियंत्रित करने में असमर्थ रहने के विरोध में एकत्र हुए। बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया और नेशनल एसोसिएशन ऑफ रेलवे कॉन्ट्रैक्टर्स की तरफ से आयोजित इस प्रदर्शन में उद्योग, व्यापार और राजनीतिक संगठनों के नेताओं और स्थानीय पत्रकारों के साथ-साथ सामाजिक संगठनों के लोगों ने भी बड़े पैमाने पर हिस्सा लिया।

हम तबाह हो गये : कविता

पत्रकार विक्रम जोशी की पत्नी कविता ने योगी आदित्यनाथ से तत्काल न्याय की माँग की, जैसा कि पुलिस अधिकारी देवेंद्र मिश्रा और छ: अन्य पुलिसकर्मियों के मामले में हुआ था। आहत कविता ने कहा कि पुलिस मुठभेड़ में इन हत्यारों को भी गोली मार दे। कविता ने कहा कि सोमवार को, हमलावरों ने पत्रकार विक्रम जोशी पर हमला किया। मेरी बड़ी बेटी अपने पिता को न मारने की फरियाद हत्यारों के आगे करती रही। हत्यारों ने बेटी को फटकार कर धमकाया कि अगर तुम नहीं भागोगी तो हम तुम्हें भी मार देंगे। हालाँकि वह अपने पिता को हत्या से बचाने के लिए शोर मचाती रही। हत्या के शिकार पत्रकार की बड़ी बेटी चाहत ने रूह कँपा देने वाली घटना को याद करते हुए मीडिया से कहा कि मैं अपनी छोटी बहन वाणी और पिता विक्रम के साथ अपनी मौसी के घर मौसेरे भाई के जन्मदिन में शामिल होने के लिए गयी थी। जब हम लेट हो रहे थे, मैंने अपने पिता को घर चलने के लिए कहा। घर से कुछ ही दूर जाने पर पहले से घात लगाये बदमाशों ने हमें घेर लिया। कई युवकों ने बाइक को धक्का दिया और बाइक को खींचकर डैडी का गला घोंट दिया। एक युवक ने उनकी गर्दन के पीछे गोली मारी और वे भाग गये. क्योंकि हमारे रिश्तेदार और आसपास के लोग हमारी चीखें सुनकर वहाँ पहुँच गये थे। हालाँकि किसी भी राहगीर ने हमारी मदद करने की कोशिश नहीं की। कविता ने कहा कि हमने इतने बुरे की कभी कल्पना तक नहीं की थी। कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि हमारे साथ ऐसी बर्बर घटना भी हो सकती है। उसने आरोपियों को तत्काल गोली मारने की गुहार लगायी, ताकि उनके परिवार को न्याय मिल सके। कविता ने कहा कि अपराधियों के माँ, बहन और जीवनसाथी भी ऐसे ही आघात से गुज़रें, जिससे हम गुज़र रहे हैं। हमारा पूरा जीवन तबाह हो गया है। पत्रकार की शोक संतप्त पत्नी कविता ने सरकार से अपने परिवार और बेटियों की ज़रूरतों को बनाए रखने के लिए आर्थिक मुआवज़े की भी माँग की।