उत्तर प्रदेश में आएँगे बाहरी निवेशक!

मुख्यमंत्री योगी ने पंजाब के बाद गुजरात के निवेशकों को उत्तर प्रदेश में किया आमंत्रित

यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-23 में शामिल होंगे देश-विदेश के बड़े उद्योगपति

फिल्म उद्योग को उत्तर प्रदेश में लाने के प्रयास के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दूसरे प्रदेशों के उद्योगपतियों को इस बड़े प्रदेश में व्यवसाय स्थापित करने के लिए निमंत्रण दे रहे हैं। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पंजाब के उद्योगपतियों को आमंत्रित करने के बाद अब गुजरात के उद्योगपतियों को निमंत्रण दिया है। इसके लिए उत्तर प्रदेश में अगले माह इन्वेस्टर समिट होना है। इसकी तैयारी गुजरात के अहमदाबाद स्थित एक होटल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने एक दल के साथ गुजरात के निवेशकों से मिले।

इन निवेशकों के साथ योगी आदित्यनाथ ने एक-एक करके बैठक की और एक रोड शो भी किया। इसके बाद उन्होंने गुजरात के 22 निवेशकों ने 40,790 करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये।

इन समझौता ज्ञापनों में कहा गया है कि गुजरात के ये निवेशक उत्तर प्रदेश में कई नये उद्योग खोलकर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से 50,000 से अधिक बेरोज़गारों को रोज़गार के अवसर सृजित करेंगे। सरकारी सूत्रों का कहना है कि इन निवेशकों के अतिरिक्त कई अन्य निवेशक भी उत्तर प्रदेश में हज़ारों करोड़ का निवेश करना चाहते हैं। ये निवेशक आगामी 10 से 12 फरवरी तक प्रदेश की राजधानी लखनऊ में होने वाले यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-23 में सम्मिलित होकर अपनी निवेश प्रक्रिया को अन्तिम रूप देंगे।

गुजरात के निवेशकों में से लगभग 14,00 करोड़ रुपये का निवेश आगरा में होगा। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी बड़ा निवेश होगा। अमूल इंडिया ने उत्तर प्रदेश के बा$गपत में नया मिल्क प्लांट लगाने के लिए 900 करोड़ रुपये के एमओयू समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।

इस निवेश नीति के तहत मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट्स, नवीनीकृत ऊर्जा, सोलर सिटी, डेयरी फार्म, होटल इंडस्ट्री, पर्यटन, फूड एंड बेवरेज इंडस्ट्री, रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैब, ट्रेनिंग ऑफ हेरडसमैन, फार्मा पार्क, ग्रीन हाइड्रोजन, मेडिकल डिवाइस पार्क, ड्रग्स, हेल्थकेयर प्रोडक्ट, केमिकल सेक्टर, स्पोट्र्स इंडस्ट्री, वेस्ट मैनेजमेंट सॉल्यूशन, मल्टीस्पेशल्टी हॉस्पिटल, हाइड्रो पॉवर प्लांट, पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री, डाटा सेंटर, लॉजिस्टिक्स एंड वेयरहाउसिंग जैसे क्षेत्रों के लिए गुजरात की कम्पनियाँ निवेश करना चाहती हैं। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या उत्तर प्रदेश के निवेशकों में इतनी सामथ्र्य नहीं कि वह उत्तर प्रदेश में उद्योगों को बढ़ा सकें? क्या वजह है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कभी पंजाब के निवेशकों से, तो कभी गुजरात के निवेशकों से उत्तर प्रदेश में उद्योग स्थापित करने के लिए कहना पड़ रहा है? इसे जानने के लिए सबसे पहले उत्तर प्रदेश के उद्योगपतियों की पीड़ा को समझना पड़ेगा।

जीएसटी की मार

उत्तर प्रदेश के व्यापारियों, उद्योगपतियों की इस समय जीएसटी को लेकर योगी सरकार से तकरार चल रही है। जीएसटी के नाम पर 28 प्रतिशत तक की कर वसूली से परेशान व्यापारी वर्ग उसी व्यवसाय को नहीं चला पा रहा है, जो चल रहा है। जीएसटी को लेकर अभी प्रदेश की योगी सरकार तथा व्यापारियों के बीच तनाव बना हुआ है। इसके अतिरिक्त बिजली महँगी हो गयी है, जिसे अब और महँगा करने की चर्चा है। ढुलाई, मज़दूरी पर व्यय बढ़ गया है।

एक व्यापारी ने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताया कि व्यापारियों को जब भी कोई चाहे धमका देता है, उनके प्रतिष्ठानों को दबंग लोग, पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी और नेता बन्द करा देते हैं। अवैध रूप से भी व्यापारियों से वसूली होती है। जब भी किसी नेता का कोई कार्यक्रम होता है, तो उसमें सहयोग के लिए व्यापारियों पर दबाव बनाया जाता है।

बन्द होते जा रहे उद्योग

उत्तर प्रदेश में व्यापारियों की कोई कमी नहीं है, मगर योगी सरकार के राम राज्य में व्यापारियों पर हर ओर से मार पड़ती है। जिस व्यापारी का व्यापार थोड़ा भी ठीक चलता है, उस पर अराजक तत्त्वों से लेकर पुलिस प्रशासन और नेताओं तक की नज़र लगी रहती है। उसमें हिस्सेदारी का दावा, कच्चे माल की बढ़ती क़ीमतों के चलते कई उद्योग उत्तर प्रदेश में बन्द हो चुके हैं। कई उद्योगों पर मंदी तथा बंदी का संकट मँडरा रहा है। इन उदयोंगों में लकड़ी उद्योग, पंतंग उद्योग, खिलौना उद्योग, कपड़ा उद्योग आदि संकट में हैं।

बनारस के हथकरघा उद्योग, खिलौना उद्योग पर संकट के बादल लगातार छाये हुए हैं। वहीं छिटपुट कम्पनियों के बन्द होने की स्थितियाँ बनी हुई हैं। उत्तर प्रदेश के अनेक व्यापारी उनकी समस्याओं का समाधान न होने के चलते बाहर निवेश कर रहे हैं। बड़े व्यापारी तो बड़े व्यापारी, छोटे-छोटे दुकानदारों को भी दुकान चलाने में कई तरह की दिक़्क़तें आ रही हैं।

देवेंद्र नाम के एक दुकानदार ने कहा कि हर वस्तु इतनी महँगी हो गयी है कि उसकी बिक्री घट गयी है। ग्राहकों को लगता है कि हम उन्हें ठग रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि प्रदेश में महँगाई चरम पर है। हर वस्तु का मूल्य बहुत हो चुका है, जिससे उसे बेचने पर लाभ कम होता है। फिर भी ग्राहकों को हम ही ठग नज़र आते हैं। देवेंद्र ने बताया कि कुछ वस्तुओं में तो घाटा होने का डर लगा रहता है, क्योंकि उनमें लाभ से कम हानि का जोखिम रहता है।

काम कम, शोर अधिक

उत्तर प्रदेश में पहले भी एक शोर मचाया गया था कि विदेशी निवेशक इस प्रदेश में हज़ारों करोड़ रुपये का निवेश करना चाहते हैं। लेकिन अभी तक उत्तर प्रदेश में कोई विदेशी निवेशक नहीं आया। एक-सवा महीने पहले ही शोर मचाया गया था कि उत्तर प्रदेश में 16 देश 7.12 लाख करोड़ का निवेश करेंगे।

इसके लिए टीम-यूपी, जिसमें कई मंत्री और नेता शामिल रहे ने 16 देशों का दौरा भी किया तथा दावा किया कि उत्तर प्रदेश में विदेशों से 4,00,000 करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव मिले हैं। हालाँकि अभी यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-23 में सब कुछ शीशे की तरह साफ़-साफ़ दिख जाएगा। इसलिए अभी से नकारात्मक बात करने का कोई अर्थ नहीं है।

सकारात्मक पहलू

उत्तर प्रदेश में उद्योग और व्यापार के लिए सकारात्मकता की कमी नहीं है। अगर व्यापार के हिसाब से देखें, तो इस राज्य की एक सीमा नेपाल से जुड़ती है, जो विदेश व्यापार की दृष्टि से अति उत्तम है। अपने सीमावर्ती प्रदेशों से भी उत्तर प्रदेश व्यापारिक रिश्ते बनाकर उद्योग के लिए अनुकूल स्थान है। आबादी के हिसाब से यहाँ कर्मचाचारियों की भी कमी नहीं है। श्रमशीलता के निचले पायदान पर खड़े लोगों से लेकर यहाँ एक से बढक़र एक उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं की कमी नहीं है। निवेशकों को श्रमिकों के मिलने की चिन्ता नहीं करनी होगी। इसके अतिरिक्त उपयुक्त जलवायु भी उत्तर प्रदेश में है। सडक़ मार्ग, रेल मार्ग और वायु मार्ग सभी कुछ उत्तर प्रदेश में सुलभ और सुगम है। कच्चे माल की प्राप्ति भी अधिकतर उत्तर प्रदेश में ही सम्भव है, जिससे उद्योपतियों का व्यय कम होगा।

उत्तर प्रदेश में उद्योगों की स्थापना का एक लाभ यह होगा कि यहाँ के लोगों को दूसरे शहरों में रोज़गार के लिए नहीं जाना पड़ेगा। कहा जा रहा है कि यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-23 में देश-विदेश की दर्ज़नों कम्पनियाँ हिस्सा लेने वाली हैं, जो उत्तर प्रदेश में लाखों करोड़ का निवेश करने की इच्छुक हैं। प्रश्न यह है कि अगर बाहरी कम्पनियाँ उत्तर प्रदेश में निवेश करना चाहती हैं, तो उसके लिए सरकार के पास क्या योजनाएँ हैं? किन-किन शहरों में निवेश के लिए उन्हें भूमि, इमारतें आदि उपलब्ध कराने की योजना सरकार के पास है? सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या इस यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-23 में उत्तर प्रदेश के व्यापारियों को भी वरीयता मिलेगी? कहावत है- घर का जोगी जोगिया, बाहर का है सिद्ध।

इसका अर्थ यही है कि उत्तर प्रदेश के व्यापारियों को घर की मुर्गी दाल बराबर समझ लेने तथा बाहर के निवेशकों को बहुत वरीयता देने से प्रदेश के निवेशकों का मनोबल टूटेगा ही टूटेगा। इसलिए योगी आदित्यनाथ सरकार को बाहरी निवेशकों के स्वागत के बीच प्रदेश के निवेशकों को भी वरीयता देनी चाहिए। इससे लाभ यह होगा कि बाहरी निवेशक तो प्रदेश में निवेश करेंगे ही, प्रदेश के निवेशकों का मनोबल भी नहीं टूटेगा। इससे भी आवश्यक है कि प्रदेश में जितने उद्योग बन्द हो चुके हैं अथवा बन्द होने की स्थिति में हैं, उन्हें फिर से जीवित करने का काम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को करना चाहिए। इससे प्रदेश में रोज़गार भी सृजित होंगे, प्रदेश के मायूस व्यापारी भी प्रसन्न होकर व्यापारिक क्षेत्रों में निवेश बढ़ाएँगे।