उच्चतम न्यायालय अयोध्या केस को भूमि विवाद के रूप में सुनेगी

उच्चतम न्यायालय ने राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष रहे सभी पक्षकारों से आज कहा कि वह इस मामले को विशुद्ध रूप से ‘‘भूमि विवाद’’ के रूप में सुनेगी।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भान और न्यायमूर्ति एस ए नजीर की तीन सदस्यीय विशेष खंडपीठ ने यह भी संकेत दिया कि उच्च न्यायालय के समक्ष जो लोग नहीं थे उनकी इसमें पक्षकार बनने के लिये दायर अर्जियों को बाद मे देखा जायेगा।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सभी पक्षकार उनके द्वारा अपील के साथ दाखिल दस्तावेजों का अंग्रेजी रूपांतरण दो सप्ताह के भीतर दाखिल करें।

तीन सदस्यीय विशेष खंडपीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर 14 मार्च को सुनवाई की जायेगी। साथ ही पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका इरादा इस मामले को कभी भी रोजाना सुनने का नहीं रहा है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि उन भाषाई पुस्तकों का, जिन्हें इस मामले में आधार बनाया गया है,अंग्रेजी में रूपांतरण कराया जाये और इन्हें आज से दो सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाये।

पीठ ने न्यायालय की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि उच्च न्यायालय के रिकार्ड का हिस्सा रहे वीडियो कैसेट की प्रतियां संबंधित पक्षकारों को वास्तविक लागत पर उपलब्ध कराई जाये।

विशेष पीठ के समक्ष मालिकारना हक को लेकर चार वादों में सुनाये गये फैसले के खिलाफ 14 अपील विचारार्थ हैं।

याद रहे कि उच्च न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 2010 में बहुमत के फैसले में विवादित भूमि को तीन समान भागों में सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में विभक्त करने का आदेश दिया था।