ईडी की कार्रवाई से कांग्रेस गदगद!

राजनीति में कौन अपना है और कौन पराया, इस पर कम ही महत्त्व दिया जाता है। लेकिन मौक़े की तलाश में सियासतदान सदैव रहते हैं। जैसा कि मौज़ूदा समय में कांग्रेस पार्टी को ईडी के बहाने ही सही, पर केंद्र की मोदी सरकार के ख़िलाफ़ मौक़ा मिल ही गया है। बीते आठ वर्षों से केंद्र की सत्ता से बेदख़ल कांग्रेस पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रही है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी को एक मौक़े की तलाश थी, जो उसे सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई से मिल गया है। इससे कांग्रेस के नेता, कार्यकर्ता और समर्थक तो एकजुट हुए ही हैं, बल्कि काफ़ी लोगों के मन में भी केंद्र सरकार की दण्डनीति के प्रति आक्रोश दिख रहा है। कांग्रेस इसी तलाश में रही है कि कांग्रेस के क़द्दावर नेता से लेकर कार्यकर्ता जाग जाएँ, पार्टी के पक्ष में जनसमर्थन हासिल हो और केंद्र की मोदी सरकार के विरोध में एक माहौल बन सके।

जो कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता नहीं कर पा रहे थे, वो काम 13 जून को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी आसानी से कर दिया है। ‘तहलका’ ने इस विषय में देश के विभिन्न राज्यों के लोगों से बातचीत की। कुछ लोगों ने कहा कि भाजपा द्वारा जो माहौल बनाया जा रहा था कि कांग्रेस के दिन लद गये हैं, उसे झटका लगा है। क्योंकि ईडी ने कांग्रेस नेता राहुल गाँधी को अपने कार्यालय में बुलाकर जो व्यवहार किया है, उससे कांग्रेस के प्रति लोगों की सहानुभूति और बढ़ी है। पहले ही जो लोग कांग्रेस के भ्रष्टाचार से असन्तुष्ट थे, अब मौज़ूदा सरकार में बढ़ती महँगाई, बेरोज़गारी और दण्डनीति से तंग आकर फिर से कांग्रेस को याद करने लगे हैं।

ईडी की कार्रवाई को लेकर जानकारों का कहना है कि कांग्रेस इस घटनाक्रम को एक अवसर के रूप में देख रही है। ईडी की इस कार्रवाई को लेकर कांग्रेस के नेता पूरे देश में एक माहौल बनाने के लिए तत्पर हैं। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि 13 जून को शुरू हुआ सत्याग्रह अगले कई दिनों तक देश भर में जारी रहेगा।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अमरीश सिंह का कहना है कि जिस तरह आपातकाल के बाद इंदिरा गाँधी के विरोध में तत्कालीन जनता पार्टी सरकार ने कार्रवाई की थी और उसके विरोध में जो सहानुभूति कांग्रेस और इंदिरा गाँधी के प्रति लोगों के मन में उभरी थी, वही सहानुभूति कांग्रेस के प्रति फिर से उभरती दिख रही है। विपक्ष सहित जनता इस बात को मान रही है कि केंद्र सरकार बदले की भावना से लोगों के ख़िलाफ़ ईडी, सीबीआई और तमाम जाँच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। उनका कहना है कि सरकार रोज़गार देने में असफल है। बढ़ती महँगाई को क़ाबू करने में असफल है। देश में जो दो समुदायों के बीच तनाव चल रहा है, उसको भी वह क़ाबू नहीं कर पा रही है। ऐसे में केंद्र सरकार अपनी कमियों को छिपाने के लिए और जनता का ध्यान भटकाने के लिए विपक्ष को फँसाने का काम कर रही है, जिससे भाजपा को कुछ हासिल नहीं होगा।
अमरीश सिंह का कहना है कि बदले की भावना से पीडि़त केंद्र की मोदी सरकार ने कांग्रेस पार्टी को बैठे-बिठाये यह मुद्दा थमा दिया है, जिससे कांग्रेसी गदगद हैं और इसे भुनाने में लगे हैं।

कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला का कहना है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र से जुड़े कथित धनशोधन के एक मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी से 10 घंटे तक पूछताछ की। इसके बाद फिर से 14 जून को उन्हें दोबारा पेशी पर बुला लिया। बिना मतलब ईडी द्वारा इस तरह की कार्रवाई पूरी तरह से ग़लत है। यह क़ानून का दुरुपयोग है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने मार्च से पहले ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक को हिरासत में ले लिया था, जबकि कई नेताओं को नज़रबंद कर दिया था। उन्होंने बताया कि हद तो यह है कि पुलिस ने प्रदर्शन से एक दिन पहले से ही लोगों की धरपकड़ शुरू कर दी थी। दिल्ली को छावनी में तब्दील कर दिया गया।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि ईडी ने राहुल गाँधी को सुबह से बैठाकर लम्बी पूछताछ की। इससे भी काम नहीं चला, तो फिर से दबाब बनाने के लिए दोबारा पूछताछ को बुला लिया। राहुल गाँधी ने क्या ग़लत किया है? उन्होंने तो सिर्फ़ अख़बार को क़र्ज़ दिया है। इसमें कुछ ग़लत नहीं है। उन्होंने बताया कि इस कम्पनी (यंग इंडिया) से सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी एक रुपया भी नहीं ले सकते हैं। इसमें कोई लाभ भी नहीं उठा सकते हैं। यह सब प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और तमाम जाँच एजेंसियों को भली भाँति मालूम है।

कांग्रेस के रणनीतिकारों ने ‘तहलका’ को बताया कि कई बार सियासत में दाँव उलटा पड़ जाता है, जैसा कि भाजपा और मोदी सरकार पर अब सब कुछ उलटा पडऩे वाला है। क्योंकि कांग्रेस को जिस तरीक़े से परेशान किया जा रहा है, उससे पूरे देश में अब भाजपा के ख़िलाफ़ एक माहौल बनने लगा है। उनका कहना है कि जिस अंदाज़ में देश भर के कांग्रेसी नेता गाँधी परिवार के साथ हो रहे दुव्र्यवहार को लेकर एकजुट हो गये हैं, वह कांग्रेस के हित में है। अब कांग्रेस बड़ी लड़ाई को अंजाम देने के मूड में है। कांग्रेस सड़कों पर उतरने को तैयार है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस अब गाँव-गाँव तक इस सत्याग्रह आन्दोलन को ले जाने की तैयारी में है।

कांग्रेस के नेता अनिल चौधरी का कहना है कि कांग्रेस की नेता सोनिया गाँधी कोरोना से जूझ रही हैं, उनका दिल्ली के निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। भाजपा वाले जानबूझकर उनके परिवार वालों के ख़िलाफ़ षड्यंत्र रच रहे हैं। इसका ख़ामियाज़ा आने वाले दिनों में भाजपा को देखने को मिलेगा, क्योंकि आगामी चुनावों में जनता उसे सबक़ सिखाएगी।

तहलका विचार
राजनीति देश के विकास के लिए होनी चाहिए, न कि सत्ता हथियाने और देश के दोहन के लिए। देश की जनता भले ही विवश हो; लेकिन किसी राजनीतिक दल या व्यक्ति विशेष को इसकी इजाज़त नहीं देती। जनता को मतदान की ताक़त इसीलिए दी गयी थी, ताकि वह अपनी इच्छा से अपने और देश हित के लिए लोकतांत्रिक सरकार चुन सके। लेकिन आज़ादी के बाद अब तक जो भी सरकारें बनी, उनमें से 99 फ़ीसदी भ्रष्टाचार की दलदल में धँसती गयीं। बावजूद इसके किसी भी भ्रष्ट नेता पर तब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, जब तक वह सत्ता में रहा। नेशनल हेराल्ड मामले में अगर गड़बड़ी है, तो कांग्रेस नेताओं पर कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन क्या सत्ता पक्ष के नेता दूध के धुले हुए हैं? कई नेता ऐसे हैं, जिन पर भ्रष्टाचार, बलात्कार, धन शोधन, घोटालों के आरोप हैं। लखपति नेता विधायक या सांसद बनते ही करोड़पति हो चुके हैं। उन पर कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए? उन पर कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए, जिनके पास सत्ता में आते ही चंद महीनों में अकूत सम्पत्ति आ गयी? क़ानून न्यायसंगत तभी माना जा सकता है, जब वह सभी के लिए समान रूप से लागू हो। सरकार को देशवासियों के प्रति समदर्शी और उदार होना चाहिए, न कि अपने-पराये के क्रूर और भेदभावपूर्ण रवैये वाला।

ईडी की कार्रवाई से भाजपा कांग्रेस को भ्रष्ट सिद्ध करके अवसर तलाश रही है। इसी की आड़ में वह सत्ता की ताक़त से विपक्ष की जड़ें काटना चाहती है। वहीं कांग्रेस यह सन्देश देकर कि उसके साथ द्वेशपूर्ण भावना से ग़लत तरीक़े से कार्रवाई की जा रही है, जनता सहानुभूति बटोरना चाहती है। इस तरह दोनों ही अवसर की तलाश में हैं।