इल्तिजा मुफ्ती : एक बेटी का संघर्ष

5 अगस्त, 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर से बाहर भारत के कुछ ही लोग पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती के बेटी के बारे में जानते थे। हालाँकि कश्मीर घाटी में उनका नाम कभी-कभार मीडिया में दिख जाता था कि वह अपनी माँ के ट्विटर हैंडल से राजनीतिक पोस्ट लिखती थीं। लेकिन अनुच्छेद-370 हटाये जाने के बाद जम्मू-कश्मीर से राज्य से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया, इसके बाद राज्य में कश्मीरियों की आवाज़ के तौर पर इल्तिजा सामने आयी हैं, जो मुखर तौर पर अपनी बात रखने के लिए जानी जाती हैं। वर्तमान में कश्मीरियों की शिकायतों पर बेबाक राय रखने के लिए न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया में प्रमुख चेहरा बन गयी हैं। वह बीबीसी के हार्ड टॉक और सीएनएन के अमनपोर शो में पहले ही इंटरव्यू दे चुकी हैं। अनुच्छेद-370 के पक्ष में बचाव और सभी महत्त्वपूर्ण संवैधानिक प्रावधानों को एकतरफा खत्म करने के लिए मोदी सरकार की आलोचनाओं ने उनके प्रशंसकों और विरोधियों का दिल जीत लिया है। सोशल मीडिया पर इनके वीडियो वायरल हो चुके हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘नया कश्मीर’ ने सिर्फ एक नयी कश्मीरी आवाज़ को नारे के तौर पर दिया है, लेकिन जब किसी राज्य के लगभग सभी नेताओं को नज़रबंदी के तहत रखा गया हो, तो उसके िखलाफ में किसी को बोलने की सख्त ज़रूरत थी। इल्तिजा ने पूरे आत्मविश्वास से इस कमी की भरपाई की और खुद को स्थापित किया। उसने अपनी माँ के उत्पीडऩ के लिए अपनाये गये तरीकों के बाद इस ओर कदम बढ़ाया है; ये भी कुछ कम नहीं है।

5 अगस्त के बाद से किसी ने भी कश्मीर की स्थिति पर इतनी बेबाक राय नहीं दी, जिस तरह से इल्तिजा ने सबसे सामने रखी है। उन्होंने अपने राज्य की स्वायत्तता के अचानक हुए नुकसान पर एक कश्मीरी के सदमे और गुस्से के एक साथ पीडि़त बेटी की भावनाओं को बयाँ किया है। उन्होंने सरकारी लाइन से इतर देश के बाकी हिस्सों से समर्थन पाने के लिए अपनी आवाज़ को बुलन्द किया है। उन्होंने कहा है- ‘आप स्थानीय लोगों की राय के बिना अनुच्छेद-370 को कैसे हटा सकते हैं?’ वह एक टेलीविजन कार्यक्रम में कश्मीर के हालात के सवाल पर सीधे तौर पर मुकर गयीं। बोलीं, जब आप हमारे साथ ऐसा करते हैं, तो हम भी विरोध क्यों नहीं कर सकते? क्या यह हमारा लोकतांत्रिक अधिकार नहीं है?

इस तरह के जवाबों से इल्तिजा ने अनुच्छेद-370 पर एक कश्मीरी कहानी को आवाज़ दी है। इल्तिजा के इस तरह के जवाब से लोग उनको अपनेपन से जोड़ पाये, जैसे उन्हें खुद लगा कि वह उनकी आवाज़ बन रही हैं।

हालाँकि, इल्तिजा के लिए इतना बेबाकी से बोलना आसान नहीं था। जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता की स्थिति को वापस लेने की बातें और राज्य से अनुच्छेद-370 हटाये जाने के बाद अपनी माँ को अपने ही घर में गिरफ्तार करने की स्थिति से उनकी हालत को समझा जा सकता है। हालाँकि, उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सम्बोधित एक पत्र मीडिया को भेजा, जिसके ज़रिये उन्होंने पूछा कि किन वजहों से घर से बाहर नहीं जाने की अनुमति मिल रही?

इल्तिजा ने पत्र में लिखा- ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में क्या एक नागरिक को अकल्पनीय दमन का सामना करने पर, उसके िखलाफ बोलने का अधिकार भी नहीं है। यह दु:खद विडम्बना है कि मुझे अफसोस के साथ सच बोला पड़ रहा है कि हमारे साथ एक युद्ध अपराधी की तरह व्यवहार किया जा रहा है।’

हालाँकि, कुछ दिनों के बाद इल्तिजा को विमान से नई दिल्ली जाने की अनुमति दी गयी, जहाँ पर उन्होंने स्वतंत्र रूप से मीडिया के सामने अपनी बात रखी। एक समाचार चैनल पर उनका साक्षात्कार भी दिया। यह अनुच्छेद-370 हटाये जाने के बाद पहली बार था, जब किसी कश्मीरी ने कश्मीरियों के साथ हुए अन्याय को महसूस किये जाने को दुनिया के सामने पेश किया।

इल्तिजा ने कहा- ‘मुझे पता है कि इतनी बेबाकी से अपनी बात रखने पर मुझे मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन इससे एक कश्मीरी व्यक्तियों की राय भी देश को पता लगती है।’

यह भी सच है कि ज़्यादातर कश्मीरी पाकिस्तान के बारे में भी नहीं सोच रहे हैं, वे आज़ादी चाहते हैं। बिना परिणाम हासिल किये इसका कोई मतलब नहीं है। लगातार टीवी पर मौज़ूदगी से भी सरकार पर इसका कुछ असर नहीं होने वाला है। लेकिन, उनके अमनपोर शो के दौरान उन्होंने सरकार के बारे में कहा कि माँ से मिलने पर एक तरह से पाबंदियाँ लगा दी गयीं। इल्तिजा बोलीं कि जहाँ पहले मैं उनसे रोज़ाना मिल सकती थी, अब मुझे हफ्ते में सिर्फ दो बार मिलने दिया जा रहा है। इसके अलावा मुझे धमकियाँ भी दी गयीं कि अगर बोलना बन्द नहीं किया, तो माँ की तरह उन पर भी पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगा दिया जाएगा।

लेकिन इल्तिजा के साथ ऐसा नहीं हुआ। वह कहती हैं- ‘ऐसे समय में बोलना बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। मैं अपने लोगों के लिए उनकी आवाज़ उठाती रहूँगी, भले ही यह आवाज़ महज दो फीसदी तक क्यों न हो जाए।’

क्या भविष्य में सियासत मेंं शामिल होने की कोई योजना है? इस पर इल्तिजा कहती हैं-नहीं। मैं अपने आपको गैर राजनीतिक व्यक्ति होने पर ही गर्व करती हूँ और मानती हूँ कि अन्य तरीके से भी छोटा-मोटा योगदान दिया जा सकता है।

इसके अलावा, वह मानती हैं कि राजनेताओं के पास कश्मीर में ज़्यादा कुछ बचा नहीं है। यह जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता को खत्म करने के बाद की स्थिति को वापस लाने पर ऐसा कहती हैं, जिसमें पूर्व की स्थिति को खत्म कर दिया गया है। इस बारे में वह सही हो सकती हैं। कश्मीर में मुख्यधारा के राजनेताओं ने इसे दोनों तरह से खो दिया है। उन पर नई दिल्ली द्वारा शिकंजा कसा गया है, जो लोग अपने लोगों के साथ खुलकर जीते थे और जो अपनी व्यक्तिगत ताकत के ज़रिये सूबे में अहमियत रखते थे। धोखे की राजनीति करने वाले भी धोखा खा गये।

बकौल इल्तिजा, मुझे पता है कि कश्मीर में बहुत से लोग मुझसे खफा हैं। इसके पीछे आसानी-सी वजह यही है कि वह घाटी में पूर्व सीएम की बेटी हैं और इसका उनको नुकसान भी है। कश्मीर में नई दिल्ली क्या कर रही है, यह उजागर करने के लिए मुझे देश के अन्य हिस्सों के लोगों के गुस्से का भी सामना करना पड़ रहा है। लेकिन अपने लोगों के लिए बोलना वह अपना कर्तव्य समझती हैं।

इल्तिजा कहती हैं- ‘यह हमारे सामूहिक अस्तित्व का सवाल है। नई दिल्ली कश्मीर की पहचान को खत्म करना चाहती है, हमारी जनसांख्यिकी को बदलना चाहती है। इल्तिजा कहती हैं कि अनुच्छेद-370 का हटाना एक तरह की लूट है। वे हमारे घरों में जबरन घुस गये। कैदियों की तरह एक कमरे में बन्द कर दिया और चोरी करने व उन्हें नष्ट करने में मशगूल हैं, जो कि हमारे लिए सबसे ज़्यादा करीब हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी सोचती हैं कि कश्मीरियों के पास विकल्प बहुत कम हैं। लेकिन नई दिल्ली के कदम का विरोध हम शेष भारत के नागरिकता संशोधन कानून की तरह शान्तिपूर्वक तरीके से कर रहे हैं। अपनी ओर से इस प्रतिरोध का हिस्सा बनकर खुशी होगी। लेकिन भारत सरकार ने हमारे इस तरह के प्रदर्शन पर भी अंकुश लगाया हुआ है। वह कहती हैं कि सरकार को मेरी माँ और अन्य की तरह मुझ पर भी मामला दर्ज किये जाने में ज़्यादा समय नहीं लगाएगी।