आॢथक स्थिति का बहाना न बनाए सरकार : फडणवीस

महाराष्ट्र सरकार द्वारा कोष के खाली होने की बात कहने पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सरकार को आड़े हाथों लिया है। हाल ही में उनसे मनमोहन सिंह नौला ने बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के अंश

क्या वाकई महाराष्ट्र की आर्थिक स्थिति बिगड़ी हुई है?

उन्होंने कहा है कि बिलकुल नहीं, मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि राज्य की आर्थिक स्थिति बिगड़ी हुई नहीं है। वर्तमान राज्य सरकार सिर्फ शोर-शराबा करके लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। राज्य की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह बात साबित हो गयी है कि राज्य की आर्थिक स्थिति उत्तम है।

तो फिर यह आरोप क्यों?

दरअसल, यह एक कवर फायङ्क्षरग की कोशिश है। शिवसेना यह क्यों भूल रही है कि पूर्व सरकार में, जिसमें हमारे साथ शिवसेना भी थी; उस समय जितने भी निर्णय लिए गये, उन सबके आधार पर योजनाएँ बनायी गयीं। उसमें शिवसेना भी साथ में थी यह सब कांग्रेस और एनसीपी के कहने पर के इशारे पर हो रहा है। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट कहती है कि हर मामले में महाराष्ट्र की स्थिति हमारे से पहले वाली सरकार से बेहतर स्थिति में।

हमारी सरकार के दौरान यानी पिछले पाँच साल में सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग क्षेत्र में 59 लाख रोज़गार का निर्माण हुआ, जो पूरे देश में सबसे ज़्यादा है। इसके अलावा सबसे ज़्यादा निवेश महाराष्ट्र में हुआ है। मुम्बई में हर प्रकार की आवश्यक मूलभूत सुविधाओं को लेकर प्रोजेक्ट शुरू किये गये समृद्धि महामार्ग का काम शुरू हुआ। आप कैसे भूल सकते हैं कि हमारी सरकार ने मराठा आरक्षण को मूर्त रूप दिया। धनगर समाज को न्याय दिया और उन्हें 1000 करोड़ रुपये प्रावधान रखा मैं विनती करूँगा कि इस प्रावधान को स्थगित न करें।

आपकी सरकार ने कर्ज़ तो लिया ही था?

यह बात सच है कि हमारी सरकार ने कर्ज़ लिया; लेकिन उसका इस्तेमाल महाराष्ट्र के विकास के लिए किया और इस बात का विशेष ध्यान रखा उस कर्ज़ के चलते राज्य के आर्थिक हालात न गड़बड़ाये। लेकिन नयी सरकार अब कर्ज़ का रोना रो रही है और ग्राम विकास और नगर विकास के कई कामों को स्थगित कर रही है। इतने सारे स्थगन आदेशों को देखते हुए लोगों में इस सरकार की इमेज एक स्थगन आदेश देने वाली सरकार यानी स्थगन सरकार बनकर रह गयी है, जो सरकार के खतरनाक है।

आप किसानों की बात कर रहे हैं। आपकी सरकार पर भी किसानों के लिए कुछ न करने का आरोप है?

हमारी सरकार ने किसानों के लिए सबसे ज़्यादा काम किया। याद कीजिए हमारी केयरटेकर सरकार ने 10 हज़ार करोड़ रुपये किसानों के लिए मंज़ूर किया था।

माननीय मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जी ने 25 हज़ार प्रति हेक्टर मदद का वादा किया था, उन्हें अब अपना वादा पूरा करना चाहिए। मेरा मानना है कि हमें आश्वासन खुद पर भरोसा कर देना चाहिए। आश्वासन देने के लिए दूसरों पर भरोसा नहीं करना चाहिए। आज भी हम किसानों के हित के लिए बातें कर रहे हैं। संविधान के अनुसार सरकार में कम-से-कम 12 मंत्री होने चाहिए। लेकिन यहाँ पर सिर्फ छ: मंत्रियों पर सरकार चल रही है। हमने इस पर आपत्ति नहीं उठायी; क्यों? वह इसलिए कि हम चाह रहे थे कि हमारी वजह से देर न हो, …किसानों को समय पर मदद मिले। लेकिन अफसोस कि ऐसा कहीं नहीं दिखाई दे रहा कि इस सरकार को किसानों की चिन्ता है।

आपने तो त्रिशंकु सरकार की परिभाषा बदल दी?

मैं इस सरकार की…, इस सरकार की बात कर रहा हूं। यहाँ पर त्रिशंकु की परिभाषा है कि तीनों दल एक-दूसरे पर शंका कर रहे हैं।

आप कुछ ज़्यादा शायर तबीयत के हो गये हैं अपने सभागृह में कुछ कहा था! कुछ पन्ने…?

हाँ! इस तरह कहा था-

कुछ पन्ने क्या फटे, ज़िान्दगी की किताब के,

ज़माने ने समझा, दौर हमारा खत्म हो गया।