आरबीआई ने रेपो रेट में 0.२५ की कमी की

अब ५.७५ हुआ, इससे होम लोन होंगे कम

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई ) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की  गुरुवार को बैठक हुई जिसमें ब्याज दरों का ऐलान किया गया। रेपो रेट में 0.२५ फीसदी (बेस प्वाइंट) कटौती की गई है लिहाजा अब यह ६ फीसद से काम होकर ५.७५ फीसद हो गया है। रेपो रेट में कमी से सभी तरह के क़र्ज़ (लोन) सस्ते होंगे।

देश में आर्थिक विकास की गति ढीली पड़ने से आरबीआई पर ब्याज दर में कटौती का दबाव था। मार्च तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट घटकर ५.८ फीसदी रह गई है जबकि माली साल (२०१८-१९) में विकास दर ६.८ फीसदी रही। यह पांच साल में सबसे कम है।

विशेषज्ञों के मुताबिक आरबीआई की कोशिश है कि सस्ते कर्ज के जरिए बाजार में नकदी बढ़ाकर अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज की जाए। हालांकि आज रैपो दर में जो कमी की गयी उससे लोन सस्ते ज़रूर होंगे लेकिन यह बैंकों पर निर्भर है कि वे रेपो रेट में कमी का फायदा ग्राहकों को कब तक और कितना देते हैं। रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई कॉमर्शियल बैंकों को कर्ज देता है।

रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने मौद्रिक नीति को लेकर नजरिया न्यूट्रल से बदलकर अकोमोडेटिव (उदार) कर दिया है। यानी ब्याज दर में आगे और भी कटौती की जा सकती है। रिजर्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटाकर सात फीसदी कर दिया है। अप्रैल की बैठक के बाद ७.२ फीसदी का अनुमान जताया था।

उधर आरबीआई ने अप्रैल से सितंबर की छमाही में महंगाई दर का अनुमान बढ़ाकर ३-३.१ फीसदी किया है। अप्रैल में २.९ फीसदी से ३ फीसदी की संभावना जताई थी। ब्याज दर तय करते वक्त आरबीआई खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। यह लगातार आरबीआई के ४ फीसदी के लक्ष्य से नीचे बनी हुई है। अप्रैल में यह २.९२ फीसदी रही थी।