आत्मनिरीक्षण के लिए मौन की आवश्यकता

वह हर तरह की चुप्पी से परिचित थी। एक घंटे से अधिक समय तक रिया जाग रही थी। दिसंबर का आखरी हफ्ता था। सर्दियों के मौसम में बिस्तर छोडऩे के लिए उसकी अनिच्छा तेज़ी से बढ़ती जाती है। सर्दियाँ उसे सुस्त बनाती हैं और उसका कुछ करने का मन नहीं करता। विस्तर में दुबके होने के बीच ऐसे खराब और ठण्डे मौसम में बाहर निकलने के प्रति उसकी अनिच्छा स्वाभाविक ही थी। अपनी बाँह को बाहर निकालने के लिए उसे संघर्ष-सा करना पड़ा और उसने मोबाइल को टटोलकर समयदेखा। सुबह के 5:46 बजे थे। उसके मस्तिष्क ने गणितीय अंदाज़ में काम करना शुरू कर दिया।

उसने हिसाब लगाना शुरू किया। बिस्तर समेटने, व्यायाम करने और स्नान करने के लिए 30 मिनट, रसोई में और 30 मिनट, ईश्वर की प्रार्थना करने के लिए 10, पोशाक इस्त्री करने के लिए  भी 10 और लगभग इतने ही मिनट तैयार होने के लिए। यानी कुल मिलाकर करीब-करीब 85 मिनट। यदि कुछ मिनट दाएं-वायें भी होते हैं तो भी वह लगभग 7:45 बजे तक घर से निकलने के लिए तैयार हो ही जाएगी, यानी अभी और 15 मिनट तक वह विस्तर की इस मीठी-सी गर्माहट का आनन्द ले सकती है। जितने काम उसने गिने थे; उतने ही शॉर्टलिस्ट हुए। सर्दियों का मौसम दिन के लिए उसकी गतिविधियों की सूची को कम कर देता है। इस समय 8 बजने को 5 मिनट हैं और अपने दैनिक साथी अपनी बास्केट के साथ वह कार में घुसी, दायें-बायें हिलकर सीट पर सही-से बैठी; चाबी को इग्निशन में डाला, गियर स्टिक में आवश्यक बदलाव किये, कुँजी को घुमाया और अपने कार्य स्थल की ओर रवाना हो गयी।

पिछले कुछ दिनों की तरह आज भी उसके दफ्तर जाने वाला रास्ता घनी धुंध में सिमटा था। वह सडक़ को ठीक से नहीं देख पा रही थी। 20 फीट दूर भी कुछ देखना मुश्किल था। सडक़ पर बहुत कम वाहन थे, और कमोवेश सभी की या तो हेडलाइट्स जल रही थीं या पीली फॉग लाइट्स।

वातावरण में चारों ओर अजीब-सा सन्नाटा और आलस्य था। धुंध ने वास्तव में एक विचित्र या कहिए भयानक-सा वातावरण बना दिया था। लेकिन रिया सामान्य थी। यह उसके लिए नया नहीं था। वह हर तरह के मौन और आलस्य से परिचित थी। कोई उसे खामोश रहने वाली कह सकता है। ईमानदारी से कहूँ तो, उसे चुप रहने या ज़ोर से बोलने वाली लडक़ी के रूप में परिभाषित करना थोड़ा मुश्किल है। वास्तव में उसके दोनों ही रूप हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से ज़्यादातर मौन ही उसका सहभागी रहा है। अधिक सही तरीके से कहा जाए, तो मौन ने उसे एक परिपक्व व्यक्तित्व में बदल दिया था; जो आसानी से अपने आसपास के किसी भी अवांछनीय व्यवहार को सहन कर सकती थी। एक समय था, जब उसकी दिनचर्या से आसपास के लोग अच्छी तरह परिचित थे। कई बार उसकी सराहना की जाती थी, लेकिन कई बार लोग उसकी प्रशंसा करने में खुद को कठिनाई में पाते थे। चुप्पी के साथ उसका पहला साक्षात्कार तब हुआ जब उसने अपने आसपास के कुछ लोगों से पीड़ा और नाराज़गी अनुभव की।

एक बार जब वह चुप थी, उसने महसूस किया कि किसी को इसकी परवाह नहीं है। कुछ दिनों के लिए उसे चुप्पी में पीड़ा महसूस हुई। बाद में वह एक पूरी तरह से अलग व्यक्तित्व के रूप में विकसित हुई। उसने हर काम और सम्बन्ध में जीवन के नये पहलुओं की खोज की। वह लोगों और स्थितियों का अवलोकन करने लगी। मौन ने उसे नियंत्रित और मानसिक रूप से मज़बूत व्यक्ति बनाया।

कभी-कभी वह अपनी पुरानी आदत के प्रभाव के कारण बोलना चाहती थी, लेकिन बहुत सोचती थी कि यदि वह बोलती है, तो लोग उसे जज करेंगे और ध्यान से देखेंगे।  इस सोच ने रिया को चुप करा दिया। वह वास्तव में विचार और अभिव्यक्ति के बीच अदृश्य सम्बन्ध से प्रभावी ढंग से निपटना सीख गयी।

दिन बीतते गये। उसकी चुप्पी ने उसकी रचनात्मकता को बढ़ा दिया। उसने न केवल अपने घर और कार्यस्थल की साज-सज्जा की, बल्कि इसमें खर्चा भी नहीं किया। कुछ न सोचने की मानसिकता के साथ उसकी चुप्पी ने उसकी रचनात्मकता को पर लगा दिये।

उसके आसपास के बदले परिवेश ने उसे केंद्रित रहने के लिए मजबूर कर दिया और वह अपनी क्षमताओं को देखकर आश्चर्यचकित हो गयी, जो विभिन्न कार्यों के लाखों विचारों और सराहनीय आउटपुट के रूप में दिखायी दीं।

एक बार अपनी चुप्पी को लेकर आत्मनिरीक्षण करते हुए उसने महसूस किया कि भावनात्मक रूप से उग्र परिस्थितियों में उसने कई बार आहत करने वाले अंदाज़ में जवाब दिया, जो बाद में भविष्य में उन सम्बन्धों को बनाये रखने के मामले में खतरनाक साबित हुआ।

उसने यह भी महसूस किया कि कभी-कभी वह अपने दोस्तों और रिश्तेदारों पर भावनाओं का ज्वार उमड़ा रही थी; लेकिन कोई भी विचारशील या आशान्वित नहीं था। उनकी तरफ से कभी कोई सराहनीय प्रतिक्रिया नहीं हुई। इस अवलोकन ने उसे और अधिक मौन कर दिया, और उसने जाना कि उसके आस-पास के लोग बहुत व्यस्त हैं तथा उनके पास आपकी भावनाओं के लिए समय नहीं है।

उसने मौन में जीवन के नये आयाम पाये। अब वह विभिन्न स्थितियों में लोगों को देखना पसन्द करने लगी थी।

विश्लेषण अद्भुत थे और उसने सहानुभूति की गुणवत्ता विकसित की। अब वह हर पल लोगों के नकारात्मक लक्षणों के बावजूद लोगों की मदद करने की कोशिश कर रही थी।

उसके जीवन की सबसे बड़ी विडम्बना यह थी कि उसकी चुप्पी ने उसे अकेला कर दिया था। वह अपने आसपास के लोगों की मदद करने से कभी पीछे नहीं हटी। लेकिन उसने यह भी कभी पसन्द नहीं किया कि वे उसे लम्बे समय तक घेरे रहें। उसने कभी किसी कोने से उसे मिली तालियों की गडग़ड़ाहट की परवाह नहीं की। वह अब मान्यता मिलने के आकर्षण से बहुत दूर थी। वह कुछ मौन क्षणों के साथ खुद का इलाज करना पसन्द करती थी; जो ज़बरदस्त रूप से उसे सभी आवश्यक चीज़ों के लिए रिचार्ज करने में सक्षम थे।

मैं आपके जीवन में पूरी तरह से मौन का पालन करने की वकालत नहीं कर रही हूँ। लेकिन हाँ, एक सप्ताह में कुछ घंटों की चुप्पी आवश्यक है; ताकि आप अपने वर्तमान का विश्लेषण कर सकें, जिससे कि आपके भविष्य के कार्यक्रम को जीवन के किसी स्वरूप में फिर से तैयार कर सकने में मदद मिले।

उदाहरण के लिए, किसी मुद्दे पर दृष्टिकोण के लिए आपको चुपचाप पीछे हटने और छिपे हुए तथ्यों को महसूस करने की आवश्यकता हो सकती है। यह निश्चित रूप से मुद्दे पर आगे बढऩे में ताॢकक रूप से मदद करेगा।

समझौता करते हुए बस अपना विचार प्रस्तुत करें और चुप रहें। दूसरे व्यक्ति को किसी निष्कर्ष पर पहुँचने पर्याप्त समय मिल जाएगा।

कुछ स्थितियों में एक व्यक्ति खुद से लड़ रहा है। उस व्यक्ति को बोलने की अनुमति देना बेहतर है कि आपको चुप रहना चाहिए; क्योंकि दूसरा व्यक्ति यह सुनने की स्थिति में नहीं है कि आपको क्या कहना है?

कभी शान्ति बनाये रखने के लिए अपनी भावनाओं को भीतर कहीं दबा लें, चुप रहें और खुद को व्यक्त करने के लिए सही समय की प्रतीक्षा करें।

सबसे अहम है- मौन के कुछ क्षण आवश्यक हैं। क्योंकि वे आपके भीतर की उत्तेजना को हल्का करने में मदद करेंगे और आपकी आत्मा को उन सभी जैविक और अजैविक घटकों के साथ सामंजस्य बनाने के लिए विचारशीलता के उच्च स्तर तक ले जाएँगे; जिनके साथ आप धरती माता के दिये वरदानों को साझा कर रहे हैं।

मुझे उम्मीद है कि आप सभी समकालीन दुनिया में मौन के महत्त्व और आवश्यकता को समझेंगे, जहाँ जीवन हर पल विकसित होती, तेज़ी से बदलती परिस्थितियों और परिदृश्यों के साथ तालमेल रखने के लिए अंतहीन संघर्ष कर रहा है। आत्मनिरीक्षण करते रहें!