असम की गाँवों में महिलाएँ बना रहीं सेनिटाइज़र और मास्क

आज जब कोविड-19 से निपटने के लिए देश भर के लोग एकजुट होकर सरकार द्वारा किये गये लॉकडाउन के नियमों का पालन कर रहे हैं, वहीं देश में सैनिटाइजर और मास्कों की कमी को पूरा करने की तमाम कोशिशें की जा रही हैं। ऐसे में अनेक लोग कई तरह से कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ सेवाएँ दे रहे हैं। असम के गाँवों की महिलाएँ इसके लिए चर्चा में आयी हैं। ये महिलाएँ घरों में सैनिटाइजर और मास्क बना रही हैं, ताकि आज के समय में इन ज़रूरी चीज़ों की आपूर्ति की जा सके। दरअसल, इन महिलाओं को सीएसआईआर-उत्तर-पूर्व विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थान, जोरहाट के तहत ग्रामीण महिला प्रौद्योगिकी पार्क (आरडब्ल्यूटीपी) ने हैंड सैनिटाइज़र, मास्क और तरल कीटाणुनाशक आदि के निर्माण के लिए तैयार किया है। आरडब्ल्यूटीपी, जोरहाट ने क्षेत्र की ग्रामीण महिलाओं को पारम्परिक गमोछा (असम का पारम्परिक सूती तौलिया) से मास्क बनाने का प्रशिक्षण दिया है। मास्क के डिजाइन को अंतिम रूप दिया गया, 150 गमोछा ख़रीदे गये तथा दो सिलाई मशीनों की व्यवस्था की गयी। बता दें कि एक गमोछा से 6 होममेड मास्क तैयार किये जा सकते हैं। महिलाओं को 15/ – रुपये प्रति मास्क की दर से भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा सैनिटाइजर और कीटाणुनाशक का उत्पादन भी किया जा रहा है। कोविड-19 से बचाव के लिए आस-पास के गाँवों के ग़रीबों में ये उत्पाद निःशुल्क बाँटे जाएँगे।