अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्त किये तीन मध्यस्थ

आठ हफ्ते में अंतिम रिपोर्ट, कोइ मीडिया रिपोर्टिंग नहीं होगी

अयोध्या भूमि विवाद पर शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में तीन  सदस्यों की मध्यस्थता समिति का गठन किया है। इस समिति की अध्यक्षता सेवानिवृत जज इब्राहिम खलीफुल्लाह करेंगे और आर्ट आफ लिविंग के श्रीश्री रविशंकर और श्रीराम पंचू इसके सदस्य होंगे।
जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि इस मामले का हल मध्यस्थता के जरिए हो। सर्वोच्च अदालत के फैसले के मुताबिक एक हफ्ते में मध्यस्थता कार्य शुरू होगा और  चार हफ्ते के भीतर यह तीन सदस्यीय समिति स्टेटस रिपोर्ट देगी। इसके अगले चार  हफ्ते (यानि कुल प्रक्रिया के ८ हफ्ते) में मध्यस्थ समीति को फाइनल रिपोर्ट अदालत  के सामने पेश करनी होगी। इस तरह आठ हफ्तों में मध्यस्थता के जरिए मसले का  हल निकाला जाएगा।
कोर्ट ने पने फैसले में जो निर्देश दिए हैं उनमें यह भी है कि मध्यस्थता की प्रक्रिया को गुप्ता रखा जाएगा और मध्यस्थता पर कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं होगी।  इसके अलावा कोर्ट ने कहा है कि फैजाबाद में बंद कमरे में मध्यस्थता होगी और उत्तर प्रदेश सरकार इसके लिए सभी इंतजाम करेगी।
मंदिर पक्ष और मस्जिद पक्ष से मिले सुझावों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थों के नाम तय कर दिए हैं, जिन्हें दो महीने (आठ हफ्ते) के अंदर सभी पक्षों से बात करनी होगी।
उनके एक मध्यस्थ होने के सर्वोच्च अदालत के निर्देश के बाद धर्मगुरू श्रीश्री रविशंकर ने ट्वीट करके कहा – ”सबका सम्मान करना, सपनों को साकार करना, सदियों के संघर्ष का सुखांत करना और समाज में समरसता बनाए रखना, इस लक्ष्य की ओर सबको चलना है।”
मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि बातचीत से हल हो जाए तो बेहतर है।  हम मामले में फैसला चाहते हैं। उधर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने श्रीश्री रविशंकर के नाम पर आपत्ति जताई है। हालांकि, उन्होंने बाकी दोनों के नामों पर कोई बयान देने से परहेज किया है। ओवैसी ने कहा कि अब चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है, तो अब श्रीश्री रविशंकर को निष्पक्ष रहना होगा। उम्मीद है कि मध्यस्थ अपनी जिम्मेदारी समझेंगें।
आयोध्या आंदोलन से जुड़े रहे भाजपा नेता विनय कटियार ने कहा – ”हम सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हैं, लेकिन अयोध्या में केवल राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा। पुरातत्व सर्वेक्षण ने पर्याप्त प्रमाण मिले हैं कि यह स्थान भगवान राम का है। यह उनका जन्म स्थान है। हम मांग करते हैं कि मध्यस्थता के लिए अदालत की गठित समिति को हिंदू समुदाय की भावनाओं पर विचार करना चाहिए साथ ही मुसलमानों को भी हमारी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।”
फैसले के बाद यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि हम सर्वोच्च अदालत के आदेश पर सवाल नहीं उठाएंगे। ”अतीत में भी मध्यस्थता के जरिए हल निकालने की कोशिश की गई, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। कोई भी भगवान राम भक्त या संत, राम मंदिर के निर्माण में देरी नहीं चाहता है।”
मोदी सरकार में मंत्री उमा भारती ने कहा – ”विवादित जगह पर केवल राम मंदिर ही बन सकता है, कुछ और नहीं बनाया जा सकता। यह अच्छा है कि सभी पक्षों को चर्चा करनी चाहिए और फैसला करना चाहिए, फिर राम मंदिर का निर्माण शुरू होना चाहिए। फैजाबाद और अन्य क्षेत्रों में कई मस्जिद हैं, विवादित स्थल पर केवल मंदिर का निर्माण किया जाएगा।”
भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा – कोर्ट ने मध्यस्थता कमेटी गठित की है। यह कुछ मापदंडों के तहत काम करता है। बाबरी मस्जिद बनने से पहले वहां राम मंदिर था। अगर राम वहां पैदा हुए थे तो मुझे वहां प्रार्थना करने का मौलिक अधिकार है। विवादित जमीन पर मंदिर बनना है। क्या इसके बगल में मस्जिद बनाई जा सकती है, मेरा जवाब है नहीं।”