अमित शाह से मिले अमरिंदर; पीएम और कांग्रेस के असंतुष्टों से भी मिलेंगे!

अमित शाह से करीब एक घंटे की मुलाकात के बाद पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस से नाराज चल रहे कैप्टेन अमरिंदर सिंह कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के खेमे (जी-23) से भी मिल सकते हैं। चर्चा यह भी है कि सीमावर्ती राज्य पंजाब की सुरक्षा और किसानों की मांगों के मसले पर वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल से भी मिल सकते हैं, हालांकि इसकी अभी पुष्टि नहीं हुई है। उधर पंजाब में कांग्रेस अध्यक्ष पद से नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे पर अभी भी जंग चली हुई है और कोई हल नहीं निकल पाया है।

कैप्टेन अमरिंदर सिंह, जिन्होंने कल दिल्ली पहुँचने पर एयरपोर्ट पर पत्रकारों से कहा था कि वे किसी भी राजनीतिक नेता से नहीं मिलेंगे, ने 24 घंटे के भीतर आज शाम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। समझा जाता है कि उन्होंने नवजोत सिद्धू पर ‘देश की सुरक्षा के लिए खतरा’ वाले जो आरोप लगाए थे, उसी सिलसिले में वे शाह से मिले हैं। इसके अलावा किसानों के मसले पर भी चर्चा होने के कयास हैं।  उनकी मुलाकात एक घंटे तक चली। अभी यह साफ़ नहीं है कि क्या उन्होंने अपने आरोपों के पक्ष में कोई दस्तावेज भी गृह मंत्री को दिए हैं या नहीं।

यह दिलचस्प है कि खुद अमरिंदर सिंह को उनके विरोधी पाकिस्तानी पत्रकार अरूसा से कथित रिश्ते के कारण घेरते रहे हैं। यह लोग आरोप लगाते रहे हैं कि पाकिस्तानी पत्रकार से तब पंजाब के मुख्यमंत्री से मिलना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता है।

चर्चा है कि सीमावर्ती राज्य पंजाब की सुरक्षा के मसले पर वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल से भी मिल सकते हैं, हालांकि इसकी अभी पुष्टि नहीं हुई है। अभी यह साफ़ नहीं है कि क्या कैप्टेन भाजपा में जाने की सोच रहे हैं या उनका इरादा सिद्धू को घेरने का ही है। इसका कारण यह भी है कि आज दिन में कांग्रेस के असंतुष्ट खेमे के नेता अचानक काफी सक्रिय दिखे।

कपिल सिब्बत ने जहाँ बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके नेतृत्व को फिर घेरने की कोशिश की वहीं गुलाम नबी आज़ाद ने अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पात्र लिखकर सीडब्ल्यूसी की बैठक तत्काल बुलाने की मांग की है। मनीष तिवारी ने भी एक तरह से आलाकमान के खिलाफ ही बात की है। बहुत दिलचस्प बात यह है कि सबने पंजाब की सुरक्षा का मसला उठाया। सबकी एक तरह की भाषा से जाहिर होता है कि यह सब योजनावद्ध तरीके से हो रहा है।

उधर पंजाब में कांग्रेस अध्यक्ष पद से नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे पर अभी भी जंग चली हुई है और कोई हल नहीं निकल पाया है। सिद्धू क्या फैसला करेंगे, इसकी अभी कोई जानकरी नहीं है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें कुछ समय दिया है कि वे अपना इस्तीफा वापस ले लें अन्यथा नए अध्यक्ष को लेकर पार्टी फैसला करेगी।

पंजाब में सिद्धू के पक्ष में दो मंत्रियों के अलावा पार्टी के कुछ पदाधिकारियों ने भी इस्तीफे दिए हैं। आज मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी सिद्धू से मिले हैं। फिलहाल कोई हल नहीं निकला है।

यह चर्चा रही है कि कांग्रेस के असंतुष्ट अपना अलग गुट बना सकते हैं या कोई नई पार्टी भी सकते हैं। एनसीपी नेता शरद पवार पहले ही तीसरे मोर्चे को खड़ा करने की कोशिश में जुटे हैं। ऐसे में जी-23 के नेताओं की सक्रियता राजनीतिक लगती है।