अब बिहार की राजनीति तेजस्वी और चिराग पासवान के इर्द-गिर्द

अपनी-अपनी ढ़पली अपने –अपने राग इसी पर चल रही है बिहार की सियासत। बतातें चलें, लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने टिकट वितरण को लेकर भाजपा से जो राग अलापना शुरू किया । उससे बिहार की सियासत में नये समीकरण ऊभर कर सामने आने लगे है। बताते चलें बिहार की राजनीति का मिजाज क्या है। वहां के राजनीतिक समीकरण, चुनाव के पहले और बाद के मद्देनजर रखकर चुनावी खेल-खेला जाता है। क्योंकि चुनाव के पूर्व में किसी के साथ गठबंधन होता है, तो किसी से चुनाव के बाद गठबंधन कर सरकार बना ली जाती है। बिहार के स्थानीय नेताओं का कहना है ,कि इस बार जो कोरोना काल में चुनाव हो रहा है। वो सही मायने में अनोखा चुनाव हो रहा है। जैसे पहले बिहार की राजनीति में लालू यादव , नीतिश कुमार अहम् होते थे। रामविलास पासवान बिहार में  मुख्यमंत्री पद के दावे दार तो नहीं रहे पर बिहार के राजनीतिक समीकरण बनाने और बिगाड़ने में अहम् भूमिका निभाते रहे है। लेकिन इस लालू यादव के जेल में होने के कारण उनका बेटा तेजस्वी यादव जो महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार है। तेजस्वी यादव बिहार की राजनीति में स्थापित नेता माने जाते है।

वहीं इस बार लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान ने अपने दम पर 143 सीटों पर भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात करके और नीतिश कुमार के विरोध में जो राग अलापा है। उससे बिहार की राजनीति में चिराग एक बड़े नेता बनकर उभरे है।कुल मिलाकर अब इस बार बिहार के बड़े नेताओँ के बेटों तेजस्वी यादव और चिराग पासवान का सीधा मुकाबला नीतिश कुमार से होगा।बिहार के एक नेता रोहित सिंह का कहना है कि बिहार में अब तक भाजपा का कोई भी नेता मुख्यमंत्री नहीं बना है। ऐसे में जो राग नये –नये अलापे जा रहे है, कहीं वो भाजपा के सियासी दांव तो नहीं ।मौजूदा वक्त में बिहार की राजनीति उलझी हुई है। बिहार के पत्रकारों का कहना है, कि बिहार की जनता बदलाव के मूड़ में दिख रही है जरूर चुनावी परिणाम चौंकाने वाले हो सकते है।