अब नसबंदी मच्छरों की!

मच्छरों से फैलने वाले चिकनगुनिया, डेंगू और जीका जैसी बीमारियों पर काबू पाने की कोशिश

आजकल एक नयी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए नर मच्छरों को स्टरलाइज्ड (रेडिएशन के ज़रिये नर मच्छरों को प्रजनन में असमर्थ बना/ बंध्‍याकरण) कर दुनिया भर में मच्छरों से फैलने वाले चिकनगुनिया, डेंगू और जीका जैसी बीमारियों पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है।

स्टराइल इंसेक्ट तकनीक (एसआईटी) यानी कीटों का बर्थ कंट्रोल तकनीक। बड़ी तादाद में  रेडिएशन के ज़रिये नर मच्छरों का बंध्याकरण कर उन्हें  छोड़ दिया जाता है। ये नर मच्छर, मादा मच्छरों के साथ रहते तो है, लेकिन प्रजनन करके लार्वा पैदा नहीं कर सकते। बर्थ कंट्रोल ज़रिये इनकी जनसंख्या कम होती चली जाती है।

डब्ल्यूएचओ ने एक स्पेशल प्रोग्राम के तहत ट्रॉपिकल डिजीज एंड इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी और फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन ऑफ द यूनाइटेड स्टेट के साथ मिलकर इस नयी तकनीक के तहत बीमारी फैलाने मच्छरों की विशेष प्रजाति एडीज के टेस्ट के लिए विशेष योजना तैयार की है। ऐसे कई देश हैंं, जो इस नयी तकनीक से एडीज मच्छरों पर वार करने तैयार हैंं। इसके परीक्षण के लिए लिए डब्ल्यूएचओ ने गाइड लाइन्स तैयार किये हैं।

डब्ल्यूएचओ के चीफ साइंटिस्ट डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन का मानना है कि विश्व की आधी आबादी पर डेंगू का खतरा मंडरा रहा है और यही आधी दुनिया पर भी लागू होता है। और इस पर काबू पाने के प्रयास पूरी तरह से सफल नहीं है, इसका मुकाबला नयी तकनीक से करना आज की ज़रूरत है।

हाल के दशकों में पर्यावरण बदलाव, बेतरतीब शहरीकरण, यात्राएँ और रोगों को फैलने से रोकने की दिशा मे उठाये जा रहे अपर्याप्त कदमों की वजह से मामला और भी गम्भीर व संवेदनशील बनता जा रहा है।

डेंगू के प्रकोप से कई देश ग्रसित हैं, भारतीय उप-महाद्वीप विशेष रूप से इसकी चपेट में है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार सन् 2000 से बांग्लादेश डेंगू से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ है। जनवरी, 2019 से दक्षिण एशियाई देशों मे डेंगू के मरीज़ों की संख्या 92 हज़ार से अधिक दर्ज की गयी है। हाल ही के कुछ सप्ताह में तकरीबन एक हज़ार से अधिक नये डेंगू रोगियों को हर दिन भर्ती किया जा रहा है। ऐसे देश इस नयी तकनीक रुचि दिखा रहे हैं।

दुनिया-भर में 17 फीसदी संक्रामक रोगों की वजह मच्छरों से फैलने वाली मलेरिया, डेंगू, जीका, चिकनगुनिया और येलो फीवर है। और इसकी वजह से हर साल 7 लाख से अधिक लोग अपनी ज़िन्दगी से हाथ धो बैठते हैं।

कृषि और खाद्य क्षेत्र में परमाणु तकनीक के संयुक्त एफएओ/आईएईए डिवीजन में मेडिकल एंटोमोलॉजिस्ट जेरी बोयर के अनुसार पिछले 60 वर्षों में कृषि क्षेत्र में एसआईटी तकनीक के उपयोग से पता चला है कि यह एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। मानव रोगों से लडऩे के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में इस तकनीक को लाने के लिए टीडीआर और डब्ल्यूएचओ के साथ सहयोग करने के लिए उत्साहित हैं।

कीटों को स्टराइल करने की तकनीक सबसे पहले अमेरिका के कृषि विभाग द्वारा विकसित की गयी थी। इसका उपयोग सफलतापूर्वक कीटकों के िखलाफ किया गया, जिनसे फसलों और पशुधन को बहुत अधिक नुकसान हुआ करता था। िफलहाल विश्व स्तर पर छ: महाद्वीपों में कृषि क्षेत्र में इसका प्रयोग किया जा रहा है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट कहती है कि िफलहाल इस तकनीक का परीक्षण चरणबद्ध तरीके से विशेष निगरानी के तहत उन देशों में किया जाएगा, जो इसमें रुचि रखते हैं।