अब जीना और मरना ही गाँवों में है

महामारी का भय है, परिवार वालों का दवाब है

जब कभी भी देश दुनिया में कोई विपत्ति, आपदा या महामारी जैसी आयी तो वहां के लोगों और सरकारों ने बस एक ही बात कहीं कि मिलजुलकर सामना करना होगा और एकता का परिचय देते रहें। पर इस बार कोविड-19 कोरोना वायरस  महामारी ने सबको अलग -थलग कर दिया। इस महामारी में सोशेल डिस्टेंश यानि की सामाजिक दूरी में भला है। जो सामाज के लिये हितकर है। देश दुनिया में मचे हाहाकार और भय से लोगों में एक अजीब सा डर है कि ये महामारी कहीं काल बन कर धीरे से ठस ना लें। दिल्ली- एनसीआर में दशकों से जमंे लोग जोे दिहाड़ी मजदूरी के साथ-साथ सब्जी और फल बेंचने का काम करते थे। उनका आज पूरा काम- काज 14 अप्रैल तक लॉक डाउन  होने की वजह से बंद पड़ा है। ये हजारों की तदाद में अपने घरों यानि अपनें गांवों में जाने को मजबूर है। उनका कहना है कि अब उनके सामने रोजी रोटी का संकट है। काम धंधा बंद हो गया है। ऐसे में उनके सामने बस एक ही रास्ता बचा है कि वे अपने गांवों घरों में जाकर रहें।तहलका संवादाता ने उन लोगों से बात की जो कोविड-19 कोरोना वायरस के कारण आयी विपदा से वेहाल होकर अपने गांव जा रहेे है। तो उन्होंने बताया कि दिल्ली में सरकार जरूर कह रही है कि खाना और रहना मिलेगा। पर खाना और रहना से कोई जिदंगी नहीं चलेगी। तमाम काम ऐसे होते है जिसमें पैसा की जरूरत होती है। इन्हीं के कारण से वे अब अपने गांवों में जा रहे।  बिहार के रहने वाले जो गणेश नगर पुस्ता में रह रहे थे मनोज सिंह , संतोष कुमार और सुदेश रंजन ने बताया कि बीमारी का भय है कि वे कहीं इस बीमारी की चपेट में ना आ जाये तो ऐसे में उनको काफी दिक्कत होगी। उनके परिवार जनों का भी कहना है कि जो भी होगा वो अब अपने गांवों में आ जायें ऐसे में उनके सामने सामने बस एक ही बिकल्प है कि वे रेल और बसों के बंद होने के कारण ना जा सकतें तो वो अपने सब्जी बंचने वाले वाहन से गांव तो जा सकतें है।  ऐसे में वे दर्जनों लोगों के साथ सुबह सुबह से ही दिल्ली से अपने गांवों के लिये रवाना हो गयेें।
यहीं हाल उत्तर -प्रदेश के रहने वाले राजेन्द्र विनोद रघुवर और ममता ने बताया कि दिल्ली में रोजी रोटी का संकट अब उनके सामने दिन व दिन बढ़ता ही जायेगा । और बीमार होने का भय भी सता रहा है। ये लोग हापुड जिले के गांवों के  रहने वाले है मजबूरी में अब दिल्ली को फिलहाल छोड़ कर जा रहे है।
ऐसे में तहलका संवाददाता ने  इन लोगों से कहा कि वहां पर भी रोजगार का संकट होगा क्योंकि लॉक डाउनू तो पूरे देश में है तो उन्होंने कहा कि अब जीना और मरना ही अपने गांवों में है। दिल्ली में मजदूरी की है तो गांवों में जाकर ही मजदूरी करने में क्या दिक्कत है। ये कह कर चलतें चलें गयें।