अपराधियों का अड्डा बनता सोशल मीडिया

बीती 18 जुलाई को शाम का धुँधलका घना हो चला था। सूरत के एक कॉफी हाउस में काले रंग की कैफरी पेंट और नाभि से कई इंच ऊपर टॉप पहने लड़की पर कई लोगों की नज़र थी। तभी एक लड़का उसके सामने आता है। दोनों हाथ मिलाते हैं; लेकिन थोड़ा नर्वस लगते हैं। लड़के का सवाल था- ‘क्या तुम वक़्ती तौर पर मेरे साथ हो या लम्बे समय तक सम्बन्ध बनाये रखना चाहती हो? एकाएक लड़की की ज़ुबान में तल्ख़ी आ गयी- ‘सिर्फ़ एक रात के लिए तुम्हारे साथ रहना चाहती, तो जयपुर से सूरत क्यों आती? क्या सिर्फ़ एक रात बिताने के लिए? लड़का एकाएक हड़बड़ाया- ‘मेरा मतलब यह नहीं था।’ एकाएक पीछे से कंधे पर किसी का हाथ पड़ा और लड़की के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ती दिखीं। लड़का फुर्ती से पीछे मुड़ा, तो सामने पुलिस खड़ी थी।

सूरत के पांडेसरा निवासी क्रिश सिंह के प्रेमजाल में फँसी जयपुर की रहने वाली लड़की अनामिका (बदला हुआ नाम) की उससे सात महीने पहले जयपुर के एक सिटी मॉल में मुलाक़ात हुई थी। तबसे वे फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्स ऐप पर दोनों चैटिंग कर रहे थे। कुछ दिन पहले वह लड़के के कहने पर ट्रेन में बैठकर सूरत पहुँच गयी। परिजनों ने पुलिस में लड़की के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज करवायी। सोशल मीडिया की जाँच के बाद लड़की को सूरत से पकड़ा गया।

सोशल मीडिया की फ्रेंडशिप ने अब तक राजस्थान में अनेक लड़कियों को गुमराह किया है। दरअसल किशोरावस्था की दहलीज़ लाँघती लड़कियों में पर वर्जनाएँ थोप दी जाती हैं, जबकि इसी दौर में उनमें लड़कों के प्रति आकर्षण बढऩे लगता है। प्यार में पगलायी ऐसी लड़कियों की काउंसिलिंग बेहद जटिल काम होता है। 12 जुलाई को कोटा पुलिस ने चैटिंग के ज़रिये प्यार की दुनिया में पहला क़दम रखने वाली ज़िद्दी लड़की को ढूँढकर बाल कल्याण समिति के हवाले किया। समिति के रोस्टर सदस्य अरुण भार्गव बताते हैं कि लड़की पिछले तीन साल से एक लड़के की सोहबत में थी। लड़के ने उसे मोबाइल दिलवाया, जो उनके बीच चैटिंग का ज़रिया बना। लड़की ने कहा कि मुझे लड़के से चैटिंग करना अच्छा लगता था। मुझे उससे बेहद प्यार है और रहेगा। प्यार में पड़ी इस लड़की ने घर से निकलकर लड़के के साथ इकलेरा में गृहस्थी बसा ली। पुलिस ने संदेहास्पद रहन-सहन को देखकर दोनों को पकड़ा और बाल कल्याण समिति को सौंप दिया। कुछ घटनाएँ, जिसमें पुलिस द्वारा पकड़ी की गयी लड़कियाँ बाल कल्याण समिति को जैसा कुछ बताती हैं; यक़ीन से परे लगती हैं। हालाँकि भार्गव कहते हैं कि हमें जो कुछ आप बीती लड़कियाँ बताती हैं, उस पर यक़ीन करना पड़ता है। मसलन 28 जुलाई को ग्रामीण पुलिस द्वारा पकड़ी की गयी लड़की का कहना था कि किसी ने उसे कुछ सुंघाकर बेहोश कर दिया। फिर रामगंजमण्डी में ट्रेन में सूरत से ले जा रहा था। नागदा स्टेशन पर उसकी नींद खुल गयी। उसने किसी राहगीर से मोबाइल लेकर परिजनों को इत्तला की। लेकिन सोशल मीडिया की आभासी छाया फिर भी छिपाये नहीं छिपी। भार्गव समिति की विवशता बताते हुए कहते हैं कि हम लड़कियों को 18 साल की होने तक ही रख सकते। जबकि उन पर जुनून सवार होता है।

वह कहते हैं कि सोशल मीडिया ने ऐसी ख़्वाहिशों की आग में घी का काम किया है। लड़कियाँ 16वें साल के रूमानी दौर में उत्तेजक संसार में विभोर हो रही हैं, तो आश्चर्य कैसा? कई शादीशुदा औरतें तो ढलती उम्र के बावजूद देह की बची-खुची मादकता की नुमाइश करने से कोई परहेज़ नहीं करतीं। उन्हें मनचाहे ठिकानों पर अजनबियों को अपनी ख़्वाहिशों में बिंधी कहानी बताने में कोई हर्ज नहीं। फेसबुक साइट पर बेशुमार ‘लाइक’ उनका हौसला दोबाला करते हैं। दरअसल वे अपनी शादीशुदा ज़िन्दगी के रूखे हो जाने से तंग आयी हुई होती हैं। उन्हें प्रबलता से प्यार करने वाले नये घोंसलों की तलाश होती है। उनकी इस छानबीन में इंटरनेट मददगार होता है, जो दाम्पत्य जीवन में दरार डालने का औज़ार बन चुका है। सोशल मीडिया ने लोगों के एकाकीपन को तोड़कर व्यस्त रखने के लिए मैत्री का एक नया संसार रच दिया है, तो अपराधियों के लिए भी जुर्म के नये रास्ते खोल दिये हैं। पिछले दिनों दबंगों के एक गिरोह ने अजमेर ज़िले के एक व्यापारी को अश्लील चैटिंग के जाल में फँसाया और 15 लाख रुपये झटक लिये। पुलिस ने अश्लील चैटिंग को हथियार बनाने वाले आरोपियों को गिरफ़्तार कर लिया।

साइबर ठगी के लिए झारखण्ड का जामताड़ा कुख्यात है। लेकिन इन शातिरों के लिए अब राजस्थान का मेवात भी नया जामताड़ा (ठगी का नया अड्डा) बन गया है। ठगों का कहना है कि सब कुछ बेहद आसान है। फेसबुक, ओएलएक्स पर महँगी चीज़ें सस्ते में डालकर जाल फेंकते हैं, तो लोग आसानी से जाल में फँस जाते हैं। पुलिस ने ऐसी ठगी करने वाले सलीम, शाकिर ख़ान, सुनील कुमार, योगेश कुमार और असलम को गिरफ़्तार किया है। अलवर ज़िले के मेहराणा गाँव के रोज़लीन के बारे में पुलिस का कहना है कि यह बड़ा शातिर जालसाज़ है। विषेशज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया पर शिकार की तलाश में लगे इन अपराधियों से बच्चे तक सुरक्षित नहीं हैं। उन्हें नियंत्रित करना बड़ी चुनौती है। बच्चा ऑनलाइन के ज़रिये अश्लील कंटेंट या हानिकारक अथवा ग्राफिक वेबसाइट्स तक पहुँच सकता है। तकनीकी प्रमुखों का कहना कि टेक कम्पनियों को विवादास्पद तकनीक से आगे बढऩा चाहिए, जो उपभोक्ता के मोबाइल पर बाल शोषण की तस्वीरें स्केन करती हैं।
भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना ने इलेक्ट्रॉनिक एवं सोशल मीडिया को फटकारते तथा चेतावनी देते हुए कहा कि वो ज़िम्मदारी से काम करें, मीडिया ट्रायल, कंगारू अदालतें आयोजित करने, एजेंडा संचालित डिबेट प्रसारित करने पक्षपातपूर्ण मत एवं राय का प्रचार करने तथा स्वेच्छाचारी रवैये से बाज़ आ जाए। उन्होंने कहा कि आपसी ज़िम्मदारी अतिक्रमण एवं उल्लंघन के चलते, उनसे अपेक्षा की जाती है कि ध्यान रखें, क्योंकि वे दोनों ही हमारे लोकतंत्र को दो क़दम पीछे ले जा रहे हैं।

वरिष्ठ पत्रकार जाल खंबाता ने ख़बर का ख़ुलासा करते हुए कहा कि प्रिंट मीडिया में ज़िम्मदारी तथा जवाबदेही को एक मात्रा फिर भी है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की जवाबदेही शून्य हो गयी है; क्योंकि जो कुछ यह दिखाता है, वह विरल हवा में खो जाता है। इससे भी ज़्यादा बदतर स्थिति सोशल मीडिया की है। इलेक्ट्रानिक एवं सोशल मीडिया द्वारा प्राय: किये जा रहे उल्लंघनों एवे अतिक्रमणों के फलस्वरूप होने वाली सामाजिक अशान्ति के परिणाम सामने आ रहे हैं। मीडिया के लिए सब कुछ निभाने की बढ़ती हुई माँग का हवाला देते हुए मुख्य न्यायाधीश रमन्ना ने कहा कि हाल ही के तौर-तरीक़ों एवं प्रवृतियों को देखते हुए मीडिया के लिए सर्वोत्तम चीज़ यही है कि वे स्वनियंत्रण को अपनाएँ तथा अपने शब्दों को नाप-तोलकर काम में लें।

हनीट्रेप में फँसा जवान

राजस्थान इंटेलिजेंस ऑपरेशन ने भारतीय सेना में जयपुर में पदस्थ कंचनपुर निवासी जवान शान्तिमोय राणा को जासूसी करने के आरोप में पकड़ा है। डी.जी. उमेश मिश्रा ने बताया कि जवान सोशल मीडिया के ज़रिये पाकिस्तानी ख़ुफ़िया हैंडलर को भेज रहा था। एडीजी एस. मेंगाथिर के मुताबिक, पाक महिला एजेंट ने सोशल मीडिया पर ख़ुद को मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज में कार्यरत बताकर राणा को रूप जाल में फँसाया। एक अन्य महिला एजेंट ने निष (छद्म नाम) बताकर आरोपी जवान के बैंक खाते में 6,000 रुपये जमा करवाये। आरोपी जवान को पाक महिला एजेंट ने अपना पता शाहजहाँपुर (उत्तर प्रदेश) और छद्म नाम गुरनूर उर्फ़ अंकिता बता रखा था। पाक महिला एजेंट ने आरोपी से सेना के गोपनीय दस्तावेज़ के फोटोग्राफ्स, वार्षिक युद्धाभ्यास के वीडियो सोशल मीडिया के ज़रिये मँगवाये। आरोपी जवान ढाई वर्ष से पाक महिला एजेंट के सम्पर्क में था। क़रीब एक वर्ष पहले वह इंटेलिजेंस के रडार पर आया था। तभी से उसकी गतिविधियों पर नज़र रखी जा रही थी। वह छुट्टी पर अपने गाँव गया था। जयपुर लोटा, तो इंटेलिजेंस ने नोटिस देकर उसे पूछताछ के लिए बुलाया। काफ़ी सुबूत मिलने के बाद उसे गिरफ़्तार कर लिया गया।