हिमाचल में कांग्रेस ने ठोकी ताल

वीरभद्र की विरासत पर उनकी पत्नी प्रतिभा ने दी भाजपा और आम आदमी पार्टी को चुनौती

क्या हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस आने वाले विधानसभा चुनाव में उत्तराखण्ड, पंजाब और गोवा के नतीजों को दोहरायेगी? या उसने कोई बेहतर रणनीति अपनायी है? हाल ही में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह की सांसद पत्नी प्रतिभा सिंह को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने के साथ-साथ कई और नियुक्तियाँ की हैं। नयी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने कांग्रेस में एकता होने और पार्टी को सत्ता में वापस लाने का भरोसा जताया है। उनसे बातचीत पर आधारित अनिल मनोचा की रिपोर्ट :-

प्रतिभा सिंह ने हाल के महीनों में इस बात को बहुत अच्छे से समझा है कि हिमाचल के लोग पूर्व मुख्यमंत्री और पहाड़ी राज्य के सबसे बड़े नेता दिवंगत वीरभद्र सिंह से आज भी प्यार करते हैं और उनका सम्मान करते हैं। प्रतिभा सिंह का दावा है कि हाल में एक संसदीय सीट और तीन विधानसभा सीटों के उपचुनाव में कांग्रेस की जीत जनता की तरफ़ से साफ़ संदेश था कि वीरभद्र सिंह आज भी उनके दिलों में बसे हैं।

बातचीत के दौरान प्रतिभा सिंह ने पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी के साथ अपने जुड़ाव को याद किया, जिन्होंने उनके पति वीरभद्र सिंह को इस पहाड़ी राज्य के लोगों की सेवा के लिए चुना था। उन्होंने कहा कि वह भी वीरभद्र सिंह के पदचिह्नों पर चलकर जनता की सेवा करेंगी।

प्रदेश के चुनाव में दस्तक दे रही आम आदमी पार्टी (आप) को लेकर प्रतिभा सिंह ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा के अलावा किसी अन्य दल के लिए प्रदेश की राजनीति में कोई जगह नहीं रही है, न जनता उसे अब स्वीकार करेगी। ध्यान रहे आम आदमी पार्टी ने पड़ोसी राज्य पंजाब में कांग्रेस को दूसरे स्थान पर धकेलकर दो महीने पहले ही सत्ता पायी है।

प्रतिभा कहती हैं- ‘हिमाचल अलग है। यहाँ लोग वीरभद्र सिंह की विरासत का सम्मान करते हैं। आम आदमी पार्टी की तरफ़ से कोई चुनौती नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की विरासत को आगे बढ़ाना एक चुनौती है; लेकिन लोगों ने उनका काम देखा है। मैं लोगों की आकांक्षाओं से वाक़िफ़ हूँ और हम सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित करेंगे कि हिमाचल में कांग्रेस फिर सत्ता में आये।’

प्रदेश अध्यक्ष का ज़िम्मा सँभालने के बाद इस ख़ास बातचीत में प्रतिभा सिंह ने आम आदमी पार्टी की चुनौती को ख़ारिज़ करते हुए कहा कि किसी को यह लगता है कि वह (आप) हिमाचल में पैठ बना रही है, तो यह उसकी ग़लतफ़हमी है। इसका चुनाव पर कोई असर नहीं होगा। हमारा सीधा मुक़ाबला भाजपा से है। हिमाचल में तीसरे पक्ष की कभी मौज़ूदगी नहीं रही।

मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा पर उन्होंने यह कहकर आक्रमण किया कि सरकार लोगों का भरोसा जीतने में नाकाम रही है। सत्तारूढ़ भाजपा अपने प्रदर्शन को दोहरा नहीं पाएगी। प्रतिभा ने कहा- ‘ईंधन, एलपीजी और आम ज़रूरत की चीज़ों की क़ीमतें आसमान छू रही हैं। आम आदमी की हालत ख़राब है। केंद्र सरकार पूरी तरह नाकाम रही है। भाजपा ने उपचुनाव के नतीजों से कोई सबक़ नहीं सीखा। केंद्र सरकार भावनात्मक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करके लोगों के ज्वलंत मुद्दों से उनका ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है।’

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने पुलिस भर्ती परीक्षा रद्द करके 70,000 से अधिक उम्मीदवारों के भविष्य को ख़तरे में डालने के लिए जयराम ठाकुर सरकार को लताड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार निष्पक्ष रूप से भर्ती परीक्षा आयोजित करने में विफल रही है।

पदभार सँभालने के बाद प्रतिभा सिंह ने राजीव गाँधी भवन में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं से आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए तालमेल बनाने के लिए एक टीम के रूप में काम करने का आह्वान किया। उनके अलावा चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू और चार कार्यकारी अध्यक्षों ने भी ज़िम्मा सँभाला। मुकेश अग्निहोत्री पहले से ही नेता प्रतिपक्ष हैं। पार्टी नेताओं ने इस मौके पर एकजुटता दिखायी। सबके भाषणों में एक ही लक्ष्य दिखा- ‘भाजपा को सत्ता से बाहर करना।’

राज्य विधानसभा चुनाव से पहले जब प्रदेश कमेटी की नयी अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और अभियान समिति के अध्यक्ष और पुनरुत्थान कांग्रेस के अन्य पदाधिकारियों ने कांग्रेस नेताओं की मौज़ूदगी में अपना नया कार्यभार सँभाला, उससे पहले पार्टी के नेताओं ने एक रैली के दौरान भाजपा पर हमला करते हुए एकजुटता का प्रदर्शन किया। चौड़ा मैदान में बीआर अंबेडकर की प्रतिमा के पास ‘अभिनंदन रैली’ में हिमाचल मामलों के प्रभारी राजीव शुक्ला, सह प्रभारी संजय दत्त, गुरकीरत सिंह कोहली और तजिंदर पाल सिंह हाथ में हाथ डाले यह सन्देश देने की कोशिश करते दिखे कि पार्टी में एकता है।

प्रतिभा सिंह ने औपचारिक रूप से जब पार्टी के नये राज्य प्रमुख के रूप में पदभार सँभाला, तो उनकी तरफ़ से भी ताक़त का प्रदर्शन किया गया। इससे ज़ाहिर हुआ कि वीरभद्र सिंह के समय की इस गुट की ताक़त अभी भी बनी हुई है। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, पार्टी विधानसभा चुनाव प्रचार समिति के प्रभारी सुखविंदर सिंह सुक्खू, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर और विधानसभा सदस्य वरिष्ठ नेता राम लाल ठाकुर जैसे तमाम बड़े नेता इस मौके पर उपस्थित थे। अभिनन्दन रैली को सम्बोधित करते हुए प्रतिभा सिंह ने कहा कि एआईसीसी प्रमुख सोनिया गाँधी ने हिमाचल की एक महिला को पार्टी प्रमुख बनाकर उसके प्रति सम्मान दिखाया है। उन्होंने कहा कि वह वीरभद्र सिंह की विरासत को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कांग्रेस वीरभद्र सिंह द्वारा फिर से सत्ता में आने के बाद शुरू किये गये रोडमैप और विकास कार्यक्रमों को आगे बढ़ाएगी।

हालाँकि आश्चर्य की बात यह है कि हिमाचल मामलों के प्रभारी राजीव शुक्ला ने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह वीरभद्र सिंह का सपना था कि कांग्रेस हिमाचल में सत्ता में आये; लेकिन साथ ही कहा कि लड़ाई शीर्ष कुर्सी के लिए नहीं है। यह पार्टी आलाकमान को तय करना है कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? शुक्ला ने कहा कि गाँधी परिवार ने प्रतिभा सिंह, सुक्खू और अग्निहोत्री की त्रिमूर्ति को हिमाचल में पार्टी को फिर से सत्ता में लाने की ज़िम्मेदारी दी है।

चार कार्यकारी अध्यक्षों हर्ष महाजन, राजेंद्र राणा, विनय कुमार और पवन काजल ने भी हिमाचल प्रदेश में पार्टी को सत्ता में वापस लाने के लिए नयी ज़िम्मेदारी सँभाली है। हालाँकि कुछ राजनीतिक प्रेक्षक सवाल करते हैं कि चार कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने का क्या औचित्य है? क्या केवल सभी को ख़ुश करने के लिए यह किया गया? क्या पदाधिकारियों का जमावड़ा बना देना चुनाव की पूर्व संध्या पर नवनियुक्त अध्यक्ष के अधिकार और प्रभाव को कम नहीं कर रहा?

वह कैसे सभी को साथ रख सकती हैं, जब उनका अधिकार ही सीमित कर दिया गया है। प्रतिभा सिंह के पद ग्रहण पर प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला का क्या यह कहना कि कांग्रेस की त्रिमूर्ति प्रतिभा, अग्निहोत्री और सुक्खू नया हिमाचल बनाएँगे और वीरभद्र और सुखराम के सपनों को पूरा करेंगे; का क्या अर्थ है? क्या कांग्रेस को मुख्यमंत्री के के चेहरे के साथ चुनाव में जाना चाहिए, इस पर नयी अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने ख़ुद कहा कि हमारा पहला मक़सद चुनाव जीतना है। एक बार जब वह लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा, तो निर्वाचित विधायक अपने नेता का फैसला करेंगे।

राज्य इकाई के भीतर बड़ी लड़ाई से इन्कार करते हुए प्रतिभा सिंह कहती हैं- ‘हम सत्ताधारी पार्टी को हराने के लिए सभी पार्टी नेताओं को साथ ले जाने का प्रयास करेंगे। हम स्वीकार करते हैं कि हमारे पास बहुत कम समय है; लेकिन विश्वास है कि जल्द ही एक ठोस रणनीति तैयार करेंगे। बहुत कम समय बचा है और कांग्रेस को अपना काम मिलकर करना है और मतदाताओं तक पहुँचना है। मैं जल्द ही पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठूँगी और रणनीति बनाऊँगी कि भाजपा को सत्ता में आने से पहले लोगों से किये वादों को पूरा नहीं करने के लिए कैसे एक्सपोज किया जाए।’