‘हर्पीज और एलर्जी अलग हैं’

वैसे यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है सो यह न मान लें कि जवानी में हुई है तो ‘हर्पीज’ हो ही नहीं सकती. हां, प्राय: यह बाद की उम्र की बीमारी है.

यदि यह चेहरे पर हो जाए तो कभी आंख की पुतली पर दाने भी बन जाते हैं तब इससे आंख की रोशनी तक जा सकती है. जुबान तथा कान के अंदर तक दाने हो जाने पर ऐसा हो सकता है कि आधी जीभ में स्वाद का ही पता न चले. चेहरे की ‘हर्पीज’ में चेहरे की नस खराब हो जाए तो चेहरा (चांद के मुंह की तरह) टेड़ा हो सकता है.

प्राय: ये दाने आएं, दर्द उससे पूर्व ही चालू हो जाता है. आदमी दर्द से तड़प कर अस्पताल जाता है जहां उस दर्द को कुछ भी समझकर कुछ भी जांचें तथा इलाज शुरू हो सकता है. मैंने छाती की ‘हर्पीज’ के ऐसे रोगियों को देखा है जिनको ‘हार्ट अटैक’ की लाइन पर इलाज चल पड़ा और एक दो दिन में जब छाती पर दाने निकल आए तब जाकर पता चला कि असली मामला क्या है! हां, एक अलर्ट डॉक्टर दर्द के विवरण से ही जान जाता है कि शायद ‘हर्पीज’ हो रहा है.

क्या ‘हर्पीज’ वाला मरीज दूसरे को हर्पीज कर सकता है? नहीं. ‘हर्पीज’ सालों का मामला है. अलबत्ता, कमजोर बूढ़ों या जिनको चिकनपॉक्स का टीका न लगा हो और कभी चिकनपॉक्स भी न हुआ हो वे यदि हर्पीज जॉस्टर के मरीज के सघन संपर्क में रहें तो उनको इससे चिकनपॉक्स अवश्य हो सकता है. एचआईवी, बहुत ज्यादा उम्र, बहुत कमजोर लोग, कैंसर की कीमोथैरेपी ले रहे लोगों में हर्पीज बिगड़ भी सकती है- पूरे शरीर में फैल भी सकती है. वर्ना, प्राय: यह दो तीन सप्ताह में ठीक हो जाने वाली बीमारी है.

इसका इलाज क्या है डॉक्टर साहब?
इलाज है. घरेलू इलाज न लेने बैठ जाएं. न ही, केमिस्ट से लेकर एलर्जी की कोई गोली खा लें. खासकर, बहुत ज्यादा दाने हों तब तो पक्का ही इलाज लें. यदि एकदम शुरुआत में एंटी वायरल दवाइयां दी जाएं तो बाद में ठीक रहेंगे. वर्ना दाने ठीक हो जाने के बाद भी उस इलाके में बेहद तेज दर्द बना रह सकता है जिसका ठीक से इलाज किसी के पास भी नहीं. तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर

की सलाह लें!

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