वर्ष 2022-23 में अब तक इस क्षेत्र में अवैध खनन के आरोप में 123 एफआईआर दर्ज हो चुकी है। सैकड़ों वाहन ज़ब्त किये जा चुके हैं। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की पालना नहीं हो पा रही है। या पालना के लिए यह सब किया जा रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 01 जुलाई से 15 सितंबर तक हरियाणा में किसी भी तरह से अवैध खनन पर पूरी तरह से रोक लगा रखी है। पचगाँव की बड़ी घटना इसी दौरान हुई है। अरावली क्षेत्र में किसी तरह से निर्माण पर सर्वोच्च न्यायालय का रुख़ बेहद कड़ा है।
जून, 2021 में खनन के लिए प्रतिबंधित ज़िले फ़रीदाबाद के खोरी गाँव के 500 से ज़्यादा घरों को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद गिरा दिया गया था। हज़ारों लोग प्रभावित हुए थे; लेकिन राज्य सरकार ने न्यायालय के आदेश की पालना करायी। वह तो एक सीमित क्षेत्र की बात थी; लेकिन अरावली के बड़े और बीहड़ जैसे इलाक़े पर पूरी तरह से खनन गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगाना असम्भव कैसे हो रहा है? हाँ, यह काम थोड़ा मुश्किल ज़रूर है; लेकिन सरकार की मंशा हो, तो यह किया जा सकता है। समस्या यह है कि अवैध खनन से जुड़े लोग किसी तरह राजनीतिक और सरकारी संरक्षण हासिल कर ही लेते हैं। अरावली क्षेत्र में फार्म हाउसेस के लिए बन रही पक्की सडक़ों के काम को भी न्यायालय के आदेश के बाद बन्द करना पड़ा था। इस धंधे के लोग किसी भी तरह के दुस्साहस कर जाते हैं, उन्हें ऊपर से संरक्षण मिला होता है। लाखों-करोड़ों रुपये के इस धंधे में डंपर चालक, ख़लासी, मज़दूर या अन्य छोटे मोटे लोग नहीं होते इन्हें चलाने वाले बड़े रसूख़ वाले होते हैं। यह भी जगज़ाहिर है कि ऐसे धंधे सरकारी संरक्षण में ही फलते-फूलते रहे हैं। अवैध खनन की एक सूचना पर वे पचगाँव डंपर चालक ने क़ानून से बचने के लिए यह दुस्साहस किया या फिर अवैध खनन माफिया के संरक्षण के चलते यह सब हुआ।
सबसे बड़ा सवाल यह कि हरियाणा में अरावली की पहाडिय़ों में अवैध खनन पर पूरी तरह से रोक के बावजूद मिलीभगत से यह धंधा चल रहा है। वर्ष 2009 में सर्वोच्च न्यायालय ने गुडग़ाँव, फ़रीदाबाद और नूह में अवैध खनन पर पूरी से रोक लगा दी थी। बावजूद इसके बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है। पिछले एक दशक में अवैध खनन में लगे हज़ारों वाहन ज़ब्त हुए हैं। इनसे लाखों रुपये की वसूली भी हुई; लेकिन अवैध खनन बदस्तूर जारी रहा। नूह ज़िले के पचगाँव की घटना को देखते हुए राज्य सरकार को बेलगाम होते खनन माफिया पर लगाम लगानी पड़ेगी; नहीं तो फिर डीएसपी सुरेंद्र बिश्नोई की तरह कोई और अफ़सर इनका शिकार बनेगा।
“पचगाँव की घटना के दोषियों पर सख़्त कार्रवाई होगी। कोई भी दोषी क़ानून से नहीं बच पाएगा। सरकार ने न्यायिक जाँच के आदेश जारी कर दिये हैं। अवैध खनन पर जल्द ही कड़े क़दम उठाये जाएँगे।’’
अनिल विज
गृहमंत्री, हरियाणा
“डीएसपी सुरेद्र बिश्नोई को डंपर से कुचलने की घटना राज्य में बदहाल क़ानून व्यवस्था का नतीजा है। जब पुलिस अधिकारी ही सुरक्षित नहीं, तो आम लोगों की क्या बिसात है? राज्य में अवैध खनन का जारी रहना सरकार की नाकामी है।’’
भूपेंद्र सिंह हुड्डा
पूर्व मुख्यमंत्री
अरावली को नष्ट कर रहे माफिया
अरावली की पहाडिय़ाँ लगभग 700 किलोमीटर क्षेत्र में फैली हैं। इस पर्वत का तीन-तिहाई से ज़्यादा हिस्सा राजस्थान में है, तो एक-तिहाई से कम हिस्सा हरियाणा में है। दोनों ही राज्यों में अवैध खनन होता है। इस क्षेत्र में खनन से दिल्ली सीमा से जुड़े बड़े भूभाग के पर्यावरण सन्तुलन के बिगडऩे का ख़तरा है। दिल्ली सीमा क्षेत्र के साथ लगते फ़रीदाबाद, गुडग़ाँव और नूह में इन पहाडिय़ों के अवैध खनन पर सर्वोच्च न्यायालय रोक लगा चुका है। अवैध खनन न होने पाये, इसके लिए खनन और भूगर्भ विभाग, पुलिस, वन विभाग पर आधारित समितियाँ गठित की गयी हैं। अवैध खनन रोकने की इनकी सीधी ज़िम्मेदारी है। यह सब कुछ होते हुए भी अरावली क्षेत्र में अवैध तौर पर खनन हो रहा है। सरकारी तंत्र में लालची अफ़सरों, कर्मचारियों और सरकार में भ्रष्ट मंत्रियों, नेताओं और विधायकों पर लगाम कसकर सरकार को कड़े क़दम उठाने होंगे। लेकिन ये क़दम उठायेगा कौन? बड़ा सवाल यह है कि हरियाणा में अवैध खनन माफिया का आक़ा कौन है?
सम्मानजनक अन्तिम विदाई
हिसार ज़िले के सारंगपुर गाँव में डीएसपी सुरेंद्र बिश्नोई की पूरे राजकीय सम्मान के अन्तिम विदाई की गयी। सैकड़ों लोगों के अलावा इस मौक़े पर राज्य के पुलिस महानिदेशक भी मौज़ूद रहे। विश्नोई के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा एक बेटा और बेटी हैं। परिवार में घटना से सदमे जैसी हालत है। सुरेंद्र बिश्नोई हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के परिवार से रिश्तेदारी थे।