हंगामे के साथ संसद के मानसून सत्र की शुरुआत

विपक्ष के शोरशराबे के चलते मंत्रियों का परिचय नहीं करा पाए प्रधानमंत्री
संसद के मानसून सत्र का हंगामे के साथ आगाज हुआ। दोनों सदनों में सोमवार को विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष हमलावर दिखा। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने नए मंत्रिपरिषद के साथियों का भी परिचय नहीं करा सके।

प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कुछ लोगों को यह रास नहीं आ रहा है कि दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग और महिला मंत्रियों का यहां परिचय कराया जाए। उन्होंने विपक्षी दलों के रवैये को महिला एवं दलित विरोधी मानसिकता तक करार दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने पहले लोकसभा में और बाद में राज्यसभा में जब नए मंत्रियों का सदन में परिचय देना शुरू किया। उसी दौरान दोनों सदनों में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया। राज्यसभा के सभापति एम वैंकेया नायडू एवं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों से शांत होने और मंत्रियों का परिचय होने देने की अपील की। किंतु उनकी अपील का विपक्षी सदस्यों पर कोई असर नहीं हुआ।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि विपक्ष परंपराओं को न तोड़े। आप लंबे समय तक शासन में रहे हैं, परंपरा को तोड़कर सदन की गरिमा को कम न करें।

राजनाथ ने हंगामे को दुखद बताया
बाद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नए मंत्रियों का परिचय कराने के दौरान कांग्रेस सदस्यों के हंगामे को दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने संसद में ऐसा दृश्य अपने 24 वर्ष के संसदीय जीवनकाल में नहीं देखा। उन्होंने कहा कि संसद की सबसे बड़ी शक्ति स्वस्थ परंपराएं होती हैं। ये परंपराएं संविधान एवं संसद नियमों पर आधारित होती हैं। इनको बनाकर रखना सत्ता पक्ष, विपक्ष सभी की जिम्मेदारी है।

इसके बाद जब प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में मंत्रिपरिषद के सदस्यों का परिचय कराना शुरू किया तो वहां पर भी हंगामा शुरू हो गया। ऐसे में प्रधानमंत्री ने उच्च सदन में प्रश्न किया कि यह कौन सी मानसिकता है कि आदिवासी के बेटे, दलित के बेटे और किसान के बेटे का गौरव करने को लोग तैयार नहीं हैं? नेता सदन पीयूष गोयल ने विपक्ष के इस आचरण की निंदा की। गोयल ने कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री के समय से चल रही इस परंपरा में बाधा पहुंचाना बहुत दुखद है। उन्होंने कहा कि विपक्ष का यह व्यवहार देश के लोकतंत्र को हानि पहुंचाएगा।