सिसोदिया, शराब, गिरफ़्तारी और इस्तीफ़ा
माना जा रहा है कि उनके मंत्री न रहने से दिल्ली सरकार की कई महत्त्वाकांक्षी योजनाओं पर असर पड़ेगा। शिक्षा, स्वास्थ्य, लोक निर्माण विभाग समेत कई विभागों की योजनाएँ पटरी से उतर सकती हैं। क्या अब मनीष सिसोदिया पार्टी में भी बने रहेंगे? यह बड़ा प्रश्न है। हालाँकि आम आदमी पार्टी के हो-हल्ला से तो लग रहा है कि मनीष सिसोदिया के साथ पार्टी का हर व्यक्ति खड़ा है। आम आदमी पार्टी के लोगों को इस बात का डर है कि गिरफ़्तारी के बहाने सिसोदिया के साथ कुछ ग़लत न हो।
प्रश्न यह भी है कि क्या मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किसी दबाव में मनीष सिसोदिया का इस्तीफ़ा लिया है? या मनीष सिसोदिया को प्रताडऩा से बचाने के लिए ऐसा किया है? जो भी हो, दिल्ली और देश की जनता में यही संदेश जाएगा कि सिसोदिया कहीं न कहीं ग़लत हैं और अब उनकी गिरफ़्तारी को भाजपा चिल्ला-चिल्लाकर सही साबित करने की कोशिश करेगी। अब सिसोदिया के हटने पर सभी विभाग स्वत: मुख्यमंत्री के पास चले जाएँगे। प्रश्न यह है कि बजट कौन पेश भी करेगा? शायद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही पेश करें।
बता दें कि दिल्ली में विकास के कार्यों को लेकर दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल में टकराव की स्थिति बनी रही है। उप राज्यपाल वी.के. सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के बीच तो सीधा टकराव रहा है। आम आदमी पार्टी ने हमेशा कहा है कि उप राज्यपाल दिल्ली के विकास में अड़ंगा लगाते हैं, फाइलें रोकते हैं और मनमानी कर कामों में हस्तक्षेप करते हैं।
वहीं उप राज्यपाल इसे अपना अधिकार बताते हैं और हर फाइल को अपने पास मंगाते हैं। आरोप है कि वह महीनों तक फाइलें दबाकर रखते हैं। अगर नयी आबकारी नीति दिल्ली सरकार ने नहीं बनायी होती, तो क्या आज सिसोदिया गिरफ़्तार होते? लेकिन प्रश्न यह भी है कि जब सभी काम उप राज्यपाल की मर्ज़ी से होते हैं, तो क्या नयी शराब नीति पर उनकी सहमति नहीं थी? अगर नहीं थी, तो उन्होंने उसे शुरू में ही क्यों नहीं रोक दिया?
इधर, मनीष सिसोदिया ने अपनी गिरफ़्तारी को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी, जहाँ उन्हें राहत नहीं मिली। वहीं सिसोदिया के पक्ष में कई राजनीतिक दल, बॉलीवुड स्टार और लोग उतरे हुए हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट करके लिखा है- ‘समाजवादी पार्टी दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया जी की गिरफ़्तारी की कड़ी निंदा करती है। सरकारी संपत्तियों को बेचने, महँगाई और बेरोज़गाारी जैसे मुद्दों को दबाने के लिए विपक्षी नेताओं को जबरन गिरफ़्तार करवा रही भाजपा। लोकतंत्र को ख़त्म करना चाहती है दमनकारी भाजपा सरकार।’
बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी ने कहा- ‘असल मुद्दे से ध्यान भटकाया जा रहा है, जिस चीज़ को संसद नहीं चली, वो गायब हो गयी। केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आएगा, विपक्षी नेताओं पर और एक्शन होगा।’ वहीं बॉलीवुड एक्टर कमाल राशिद ख़ान ने ट्वीट में लिखा- ‘क्रिमिनल्स देश भर में खुले घूम रहे हैं। बिना किसी $खौफ़ के रेप और हत्या कर रहे हैं। शिक्षा मंत्री को जेल में डाला जा रहा है। इससे क्या बदल जाएगा? भारत की तर$क्$की हो जाएगी? समझ में नहीं आ रहा कि आख़िर देश में हो क्या रहा है। मैं बिलकुल हैरान हूँ।’ $िफल्ममेकर विनोद कापड़ी ने ट्वीट किया है- ‘मनीष देश इकलौते ऐसे राजनीतिज्ञ हैं, जिन्होंने स्कूल और शिक्षा पर सबसे ज़्यादा फोकस किया।’
एक सोशल मीडिया यूजर्स ने लिखा- ‘देश मे दो लोग काम कर रहे हैं, सिसोदिया और गडकरी; दोनों को उसकी सज़ा मिल रही है। देश में तानाशाही पूरे ज़ोर पर है। ये आपातकाल नहीं है; लेकिन उससे ज़्यादा है।’ अमित नाम के यूजर ने लिखा कि ‘देश में मज़ाक़ चल रहा है, पढ़े लिखे जेल में बंद पड़े हैं और गुंडे राज कर रहे हैं।’
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा- ‘सीबीआई द्वारा मनीष सिसोदिया की गिरफ़्तारी एक और उदाहरण है कि कैसे भाजपा विपक्ष को डराने के लिए केंद्र सरकार की एजेंसियों का दुरुपयोग करती है। यह सत्ता का दुरुपयोग है और लोकतंत्र पर हमला है। इस तरह का दमन हमारे राष्ट्र की नींव को कमज़ोर करता है, जिसका विरोध किया जाना चाहिए।’ राउत ने कहा- ‘मनीष सिसोदिया के ऊपर जिस तरह से कार्रवाई हुई है, उससे लग रहा है कि केंद्र सरकार अपने विरोधियों की आवाज़ बंद करने की कोशिश कर रही है। क्या भाजपा में हिमालय से लाये हुए संत, महात्मा या साधु बैठे हैं? हमारी पार्टी मनीष सिसोदिया के साथ खड़ी रहेगी।’