इसके अलावा अलीगंज के पुराने हनुमान मन्दिर का निर्माण नवाब शुजाउद्दौला की बेगम छतर कुँअर ने कराया था। कहा जाता है कि हनुमान जी की पूजा-पाठ करने से छतर कुँअर ने मंगलवार के दिन पुत्र के रूप में सआदत अली ख़ाँ उर्फ़ मंगलू को जन्म दिया। इसके बाद छतर कुँअर ने अलीगंज में मन्दिर का निर्माण कराया। आज भी यहाँ हर साल ज्येष्ठ माह में मंगल के दिन मंगल भण्डारा उत्सव होता है, जिसमें सनातनी और मुसलमान बड़े श्रद्धाभाव से सम्मिलित होते हैं। दोनों ही भण्डारे की व्यवस्था में शामिल होते हैं। यह सब बताने का अर्थ यह है कि ईश्वर तो एक ही है। हम सब लोग अपनी-अपनी भाषा के अनुसार अलग-अलग नामों से उसे पुकारते हैं; अपनी-अपनी समझ के अनुसार अलग-अलग स्वरूप मानकर उसी की उपासना करते हैं। कुल मिलाकर उसे बाँटने के चक्कर में लोग ही बँट गये हैं। मेरा एक शेर देखें-
‘‘ख़ुदा बाँटा, ज़मीं बाँटी, ज़ुबाँ, मज़हब सभी बाँटे
मगर इंसान ख़ुद ही बँट गया, ये ही हक़ीक़त है।’’