लोकप्रियता के फ़र्ज़ी ठिकाने

विडंबना है कि सोशल मीडिया अकाउंट्स के लिए लाइक, कमेंट, व्यूज और फॉलोअर्स ख़रीदना आसान है। गूगल सर्च में बस ‘भारत में फॉलोअर्स ख़रीदें’ डालने भर से इस व्यवसाय में शामिल साइट्स की एक बड़ी संख्या सामने आ जाती है। एक बार जब आप एक फोमो बनाने में सफल हो जाते हैं या गीत, फ़िल्म, किसी उत्पाद या एक सेलिब्रिटी के बारे में फ़र्ज़ी चर्चा बनाकर ‘ग़ायब होने का डर’ बनाने में सक्षम हो जाते हैं, तो आप अपना लक्ष्य सही से साध रहे होते हैं। इसी तरह आप सोशल मीडिया प्लेटफाम्र्स के ज़रिये इन सभी के बारे में नकारात्मक राय बना सकते हैं। हाल में यहाँ तक कि राजनीतिक दल और उनके नेता भी इन रणनीतियों का उपयोग प्रसिद्धि पाने या किसी की बदनामी करने के लिए कर रहे हैं। वैसे कोई क़ानूनी प्रावधान नहीं है, जो इस तरह के कृत्य को सीधे प्रतिबंधित या मुक़दमा चलाने लायक बनाता हो। और इसका परिणाम यह है कि फ़र्ज़ी प्रसिद्धि और बदनामी का व्यवसाय फल-फूल रहा है। निश्चित ही इस ऑनलाइन झूठ और हेराफेरी से निपटने के लिए एक क़ानून की दरकार है।