चम्पत राय भी हुए राहुल के मुरीद
राहुल गाँधी के निशाने पर यदि कोई सबसे ज़्यादा रहता है, तो वह है आरएसएस। इसी आरएसएस के नेता और श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने भारत जोड़ो यात्रा और राहुल गाँधी की तारीफ़ की, तो कई को आश्चर्य हुआ। अयोध्या राम मन्दिर के मुख्य पुजारी ने भारत जोड़ो यात्रा के स्वागत में बा$कायदा राहुल गाँधी को एक पत्र लिखा। विहिप नेताओं के राहुल गाँधी की तारीफ़ करने के बाद बागपत के बड़ौली में भाजपा कार्यालय में पार्टी नेताओं ने राहुल और यात्रियों का अभिवादन किया।
राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा की ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी ने भी खुलकर सराहना की। चम्पत राय ने कहा- ‘वह (राहुल गाँधी) इस ख़राब मौसम में चल रहे हैं। इसकी सराहना की जानी चाहिए। मुझे कहना होगा कि हर किसी को देश की यात्रा करनी चाहिए।’
उधर गोविंद देव गिरी ने कहा- ‘राम का नाम लेकर कोई भी कुछ कार्य करे, तो हम तो उसकी सराहना ही करेंगे। भगवान श्री राम उनकी बुद्धि में वही प्रेरणा दें, जिससे राष्ट्र एक और समर्थ बना रहे। एक 50 साल का नौजवान पैदल चल रहा है देश में, प्रशंसा की बात है। इसमें ख़राब बात कौन-सी है? आलोचना किसने की है?’ राहुल यात्रा के दौरान मन्दिरों में भी जा रहे हैं। ऐसे में विहिप / आरएसएस नेता भला क्यों तारीफ़ न करें।
कांग्रेस में आएँगे वरुण?
वरुण गाँधी काफ़ी महीनों से चर्चा में हैं। भाजपा के सांसद हैं; लेकिन भाजपा से ही उनकी पटरी नहीं बैठ रही। राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा के उत्तर प्रदेश में जाने के समय वरुण गाँधी ने एक ऐसा बयान दे दिया, जिससे कांग्रेसी तो चहक पड़े; लेकिन भाजपा की भृकुटि तन गयीं। दरअसल वरुण ने कांग्रेस और पंडित जवारलाल नेहरू को लेकर एक बयान वीडियो के ज़रिये दिया, जो जल्दी ही वायरल हो गया। वरुण गाँधी इस वीडियो में कह रहे हैं- ‘मैं न कांग्रेस के ख़िलाफ़ हूँ और न पंडित नेहरू के ख़िलाफ़। देश की राजनीति देश को जोडऩे की होनी चाहिए।
गृहयुद्ध पैदा करने की नहीं होनी चाहिए। आज जो लोग केवल धर्म और जाति के नाम पर वोट ले रहे हैं, उनसे हमें रोज़गार, शिक्षा और हेल्थ से सम्बन्धित सवाल पूछना चाहिए। हमें वह राजनीति नहीं करनी, जो लोगों को दबाये। हमें वह राजनीति करनी है, जो लोगों को उठाये।’ यह वही बातें जो राहुल गाँधी कह रहे हैं। इसके बाद राहुल गाँधी का भी एक बयान सुर्ख़ियाँ बन गया।
उन्होंने कहा- ‘वरुण गाँधी के पार्टी में शामिल होने या नहीं होने का सवाल खडग़े जी से करिये। वैसे तो भारत जोड़ो यात्रा में उनका या सबका स्वागत है; लेकिन वो भाजपा में हैं, उनको दि$क्क़त हो जाएगी। स्वागत तो सबका है। लेकिन वह भाजपा में हैं, तो प्रॉब्लम तो होगी ही उनको।’ अब सवाल यह है कि क्या 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले वरुण गाँधी और राहुल गाँधी एक मंच पर आ रहे हैं? बहुत चर्चा है कि भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में वरुण को टिकट नहीं देगी। वरुण लगातार अपनी पार्टी भाजपा के ख़िलाफ़ हमलावर हैं। महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर वरुण गाँधी के सभी बयान पार्टी लाइन से अलग हैं। वरुण गाँधी अब कोई राजनीतिक फ़ैसला लेने के मूड में दिखते हैं। कांग्रेस उत्तर प्रदेश की बाग़डोर वरुण गाँधी को दे सकती है। और इसका कारण हैं कांग्रेस की उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गाँधी।
इनके नज़दीकी लोगों का दावा है कि प्रियंका की परिवार को लेकर वरुण से बातचीत होती रहती है। हाल में वरुण गाँधी ने बेरोज़गारी, अग्निवीर योजना से लेकर किसान आन्दोलन तक पर भाजपा के ख़िलाफ़ रुख़ दिखाया है। योगी सरकार से लेकर मोदी सरकार पर वह बेहिचक निशाना साध रहे हैं। फिर भी भाजपा के नेता उनके ख़िलाफ़ बयान नहीं देते हैं।
हाल में जब वरुण ने कहा कि भाई को बाँटो और भाई को काटो की राजनीति हम नहीं होने देंगे। ज़ाहिर है यह भाजपा पर सीधा निशाना है। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम मुद्दे को लेकर मीडिया पर भी निशाना साधा, वैसे ही जैसे राहुल गाँधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दिल्ली के लाल क़िले के भाषण में साधा था।
वरुण भाजपा के कमज़ोर नस ‘किसान मुद्दे’ पर भी बोल रहे हैं। वरुण का कहना है कि किसान इस समय कितने संकट में है। कोई टीवी चैनल और अख़बार इस पर बोलने या लिखने को तैयार नहीं है। केवल हिन्दू-मुस्लिम, ज़ात-पात की बात हो रही है। तोते की तरह रटाया गया है।
नेता वह होना चाहिए जो ग़रीब जनता को अपने कंधे पर उठाकर चले, न कि अपने जूते पर बिठाये। अपनी आवाज़ उठाओ। लेकिन इस सबके बीच यह सवाल उठता है कि क्या मेनका गाँधी बेटे वरुण को कांग्रेस में जाने देंगी?
मेनका की नाराज़गी इंदिरा गाँधी से थी, जिनके रहते उन्हें घर छोडऩा पड़ा था; वो अब हैं नहीं। सोनिया गाँधी इन चीज़ों में ज़्यादा पड़ती नहीं दिखी हैं। प्रियंका लगातार वरुण से बात करती हैं। ऐसे में हो सकता है, मेनका पुरानी बातें भूलकर वरुण को उनका फ़ैसला करने दें।
उत्तर-दक्षिण के प्रियंका-राहुल!
क्या कांग्रेस राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी को देश के दो अहम राजनीतिक हिस्सों में ज़िम्मेदारी देने जा रही है? चर्चा है कि प्रियंका गाँधी को हिन्दी बेल्ट में पार्टी को मज़बूत करने, जबकि राहुल गाँधी की दक्षिण में लोकप्रियता को देखते हुए पार्टी को 2024 चुनाव से पहले ज़मीन पर उतारा जा सकता है। वैसे तो राहुल और प्रियंका की छवि देशव्यापी है; लेकिन पार्टी को लगता है छवि के चक्रव्यूह से बाहर निकलकर दोनों लोकप्रिय नेताओं की क्षमता और लोकप्रियता का लाभ संगठन को मज़बूत करने में लगाया जाए। एक रणनीति बनाकर चलने को पार्टी बेहतर विकल्प मान रही है, $खासकर भारत जोड़ो यात्रा की सफलता को देखते हुए। उत्तर प्रदेश में दलित, किसान और मुस्लिन जिस तरह राहुल की यात्रा में जुटे उससे पार्टी को लगता है कि एक साल तक मेहनत करने भाजपा के लिए संकट पैदा किया जा सकता है। प्रियंका गाँधी उत्तर प्रदेश की प्रभारी हैं और यदि वरुण गाँधी कांग्रेस में आ जाते हैं, तो उन्हें इस सबसे बड़े राज्य में पार्टी मज़बूती से साथ जोड़ लेगी। प्रियंका गाँधी दक्षिण भारत में राहुल की यात्रा के दौरान शामिल नहीं हुई थीं। यात्रा जब उत्तर भारत (मध्य प्रदेश) में प्रवेश कर गयी तब जाकर प्रियंका जुड़ीं।
राहुल गाँधी ने वायनाड (केरल) के संसद के रूप में जैसा काम किया है, उसकी काफ़ी तारीफ़ हुई है। कोरोना से लेकर बाढ़ तक वो अपने लोगों के बीच दिखे हैं और विकास के काम भी उन्होंने करवाये हैं। हालाँकि यह चर्चा है कि क्या वह अमेठी से लड़ेंगे? कहा जाता है कि अमेठी में मिली हार से राहुल गाँधी बहुत आहत हुए थे, क्योंकि उन्हें पिता के इस लोकसभा हलक़े से उन्हें भावनात्मक लगाव था।
उन्होंने वहाँ काम भी किये थे। प्रियंका गाँधी को लेकर कहा जाता है कि वह माँ सोनिया गाँधी की रायबरेली सीट से चुनाव लड़ सकती हैं, यदि पार्टी सोनिया गाँधी को मैदान में नहीं उतारती हैं।
“देश में भाजपा के विरोध में लहर बन रही है। अगर सभी विपक्षी दल एक साथ आते हैं, तो भाजपा के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव जीतना मुश्किल हो जाएगा। भारत जोड़ो यात्रा में लोगों की बड़ी भागीदारी ने साबित किया है कि उन्हें भारत की वर्तमान स्थिति को लेकर चिन्ता है। भाजपा-आरएसएस देश को बाँट रहे हैं और हमारी यात्रा इसके विरोध में और देश को एकजुट करने के लिए है। यात्रा सफल रही है और देश समझने लगा है कि उन्हें तोडऩे की कोशिश हो रही है, जिससे देश को नुक़सान होगा।“
राहुल गाँधी
कांग्रेस नेता
“मैं प्रधानमंत्री के तौर पर खुद को उम्मीदवार नहीं मानता हूँ। राहुल की दावेदारी पर हमें कोई एतराज़ नहीं है। राज्य में हमारी सहयोगी कांग्रेस अगले आम चुनाव में राहुल गाँधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने पर ज़ोर दे रही है, तो हमें कोई समस्या नहीं है।“
नीतीश कुमार
मुख्यमंत्री, बिहार