फीफा ने एआईएफएफ से सिफ़ारिश की कि सीओए के संविधान मसौदे में निर्धारित 50 फ़ीसदी के बजाय एआईएफएफ को अपनी कार्यकारी समिति में 25 फ़ीसदी प्रख्यात खिलाडिय़ों का प्रतिनिधित्व रखना चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने 3 अगस्त को एआईएफएफ कार्यकारी समिति को सीओए द्वारा प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार चुनाव जल्द-से-जल्द कराने के निर्देश दिये और कहा कि एआईएफएफ की कार्यकारी समिति के लिए निर्वाचक मंडल में 36 राज्य संघों के प्रतिनिधि और 36 प्रख्यात फुटबॉल खिलाड़ी शामिल होंगे।
इस बीच 13 अगस्त को एआईएफएफ के 28 अगस्त को होने वाले चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में शामिल मतदाताओं की सूची में बाईचुंग भूटिया और आईएम विजयन सहित 36 प्रतिष्ठित खिलाड़ी शामिल करने की घोषणा की। हालाँकि फीफा ने 15 अगस्त को खेल मंत्रालय को सूचित किया कि वह अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के चुनावों के लिए निर्वाचक मंडल में व्यक्तिगत सदस्यों को शामिल करने के विरोध पर अडिग है। फीफा ने तीसरे पक्ष के अनुचित प्रभाव के कारण एआईएफएफ को निलंबित कर दिया था, जिससे भारत से अंडर-17 महिला विश्वकप के मेज़बानी का अधिकार छिन गया था।
फीफा के फ़ैसले का यह असर हुआ है कि जब तक प्रतिबन्ध नहीं हटता ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन और भारतीय फुटबॉल टीम किसी भी अंतरराष्ट्रीय मैच का हिस्सा नहीं ले सकेगी। भारतीय फुटबॉल संघ पर लगा यह बैन तभी हट सकता है, जब एआईएफएफ एक्जीक्यूटिव कमेटी को पूरी तरह से हटाकर उसकी जगह सीओए (कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स) को शक्ति दी जाए और एआईएफएफ प्रशासन को रोज़मर्रा के कामों के लिए पूरी ताक़त सौंप दी जाए।
एआईएफएफ के पूर्व महासचिव कुशाल दास ने कहा था कि इस फ़ैसले पर दु:ख है। उन्होंने कहा- ‘हमने 12 साल तक पूरी क्षमता के साथ वित्तीय स्थिति को मज़बूत किया। उन्होंने कहा कि जब मैंने फेडरेशन को छोड़ा उसके पास 20 करोड़ रुपये की सम्पत्ति थी, जो बीसीसीआई के बाद शायद सबसे ज़्यादा होगी। लिहाज़ा वित्तीय अनियमितता के दावे सही नहीं हैं। फीफा के फ़ैसले से भारतीय फुटबॉल पर बेहद ख़राब प्रभाव पड़ेगा।’
“फीफा परिषद् ब्यूरो ने भारतीय फुटबॉल संघ पर तीसरे पक्ष के अनुचित दख़ल के कारण लगाया गया निलंबन हटाने का फ़ैसला किया है। परिणामस्वरूप 11 से 30 अक्टूबर तक होने वाला अंडर-17 महिला विश्व कप भारत में ही होगा।’’
फीफा का बयान
“यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि फीफा ने भारतीय फुटबॉल को प्रतिबंधित कर दिया है; और मुझे लगता है कि यह फ़ैसला बेहद कड़ा है। लेकिन इसके साथ ही मुझे लगता है कि यह अपनी व्यवस्था को सुधारने का बेहतरीन मौक़ा है। यह बेहद महत्त्वपूर्ण है कि सभी हित धारक महासंघ, राज्य संघ साथ आएँ और व्यवस्था को सुधारें तथा भारतीय फुटबॉल की बेहतरी के लिए काम करें।’’
बाइचुंग भूटिया
पूर्व फुटबॉल कप्तान