अब चूँकि अमेरिका में देखे गये चीन के जासूसी ग़ुब्बारे को पहले अंडमान निकोबार में देखा गया था, यह साफ़ हो गया है कि चीन कुछ शरारत कर रहा है। इस गुबारी का आकर इतना बड़ा था कि पोर्ट ब्लेयर में 6 जनवरी को आम लोगों तक ने इसे ऊँचाई पर उड़ते हुए देखा था। इससे कुछ महीने पहले की बात करें, तो दिसंबर 2021 में अंडमान निकोबार कमांड ने तीनों सेनाओं वाला बड़ा युद्धाभ्यास किया था।
निश्चित ही चीन इस इलाक़े में भारतीय कमांड की गतिविधियों की टोह लेना चाहता होगा। भारतीय सेनाओं की अंडमान में तैनाती से निश्चित ही चीन में बेचैनी रही है। इस युद्धाभ्यास की वीडियो कमांड की तरफ़ से सोशल मीडिया पर शेयर की गयी थीं, जिसमें भारतीय सेना, वायुसेना, नौसेना और कोस्ट गार्ड हथियारों के साथ युद्धाभ्यास कर रही थी।
पोर्ट ब्लेयर में देखे गये ग़ुब्बारे की फोटो वहाँ के लोगों ने सोशल मीडिया पर शेयर की थीं। एक स्थानीय न्यूज पोर्टल की रिपोर्ट पर भरोसा करें, तो वह ग़ुब्बारा बिलकुल वैसा ही था जैसा अमेरिका में मार गिराया गया। इस ग़ुब्बारे का आकार और अपारदर्शी मटेरियल और सोलर पैनल्स, अंडमान में नज़र आये ग़ुब्बारे जैसा ही बताया गया है। अमेरिकी के एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि चीन का यह जासूसी ग़ुब्बारा, दक्षिण एशिया में भी दिखा है। उनके मुताबिक, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी हाल के वर्षों में ऐसे ग़ुब्बारे भेज चुकी है और यह कई देशों, जिनमें पूर्वी एशिया, दक्षिण एशिया और यूरोप के पाँच महाद्वीपों के देश शामिल हैं, में दिखे हैं।
अमेरिका सक्रिय
चीनी ग़ुब्बारों को लेकर अमेरिका काफ़ी सक्रिय है। अमेरिका ने एफ-22 जेट फाइटर उसके पीछे लगाकर न केवल चीनी ग़ुब्बारे को मार गिराया, बल्कि मित्र देशों को इसे लेकर एकजुट किया है। भले अमेरिका की कार्रवाई से चीन ग़ुस्से में हो, अमेरिका को इसकी परवाह नहीं है। अमेरिका ड्रैगन की लगातार पोल खोल रहा है। अमेरिका ने दावा किया है कि चीनी जासूसी ग़ुब्बारा था और 200 फुट ऊँचा था। ज़ाहिर है यह ग़ुब्बारा नाम का ही था और वास्तव में एक बड़े यात्री विमान के बराबर वज़न का पेलोड ले जा रहा था।
इसे लेकर विशेषज्ञों का मत है कि इस ग़ुब्बारे में विस्फोटक भी थे, ताकि पकड़े जाने पर उसे नष्ट किया जा सके। अमेरिका नौसेना इसकी जाँच कर रही है। पहले ग़ुब्बारे के मलबे की जाँच की गयी है और उसमें क्या उपकरण थे, इसे लेकर भी कुछ जानकारियाँ पेंटागन के सामने आयी हैं। पेंटागन पुष्टि कर चुका है कि ग़ुब्बारों में विस्फोटक हो सकता है। अमेरिका अब ग़ुब्बारा काण्ड से चीन के पूरे जासूसी नेटवर्क की जानकारी जुटा रहा है। ज़ाहिर है चीन के लिए यह अच्छी ख़बर नहीं है।
अमेरिका और चीन के रिश्ते ग़ुब्बारे की घटना के बाद और तल्ख़ हो गये हैं। ग़ुब्बारे के मलबे को दक्षिणी कैरोलिना में समुद्र के अंदर से सोनार का इस्तेमाल कर निकाला गया है। इस घटना का इतना बड़ा असर हुआ कि चीन की यात्रा पर जाने वाले अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अपना कार्यक्रम स्थगित कर दिया। अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और उनके चीनी समकक्ष जनरल वेई फेंघे के बीच टेलीफोन पर बातचीत के अनुरोध को चीन ने ठुकरा दिया।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की प्रेस सेक्रेटरी का कहना था कि इस जासूसी ग़ुब्बारे के मलबे से यह मौक़ा मिलेगा कि चीन के जासूसी ग़ुब्बारों के बारे में काफ़ी सूचना हासिल की जा सके। इसी वजह से अमेरिका ने उसे समुद्र में गिराया, ताकि चीनी ग़ुब्बारे के मलबे को हासिल किया जा सके।
जो बाइडेन, अमेरिका के राष्ट्रपति
“चीन ने अमेरिकी महाद्वीप में ग़ुब्बारों को उड़ाने का दुस्साहस पूर्ण कृत्य किया, क्योंकि वे चीनी सरकार है। ग़ुब्बारे और अमेरिका पर जासूसी करने का प्रयास कुछ ऐसा है, जिसकी चीन से अपेक्षा की जा सकती है। जब हमने चीन से पूछा, तो उन्होंने इस बात से इनकार नहीं किया कि यह उनका ग़ुब्बारा नहीं है। उन्होंने सिर्फ इसके पीछे के मक़सद से इनकार किया। बात चीन पर भरोसा करने की नहीं है। यह इस बात का फैसला करने का समय है कि क्या हमें साथ काम करना चाहिए और हमारे पास क्या विकल्प हैं?’’