युवाओं को प्रेरित करती पुलिस अधिकारी की किताब

शिवदीप लांडे को सिंघम और दबंग जैसे शब्दों का पुलिस बल और ख़ुद के साथ जोड़ा जाना पसन्द नहीं है। उनका विचार है कि पुलिसकर्मी और अधिकारी ड्यूटी पर रहते हैं और जांबाज़ी से देश व देश के नागरिकों की रक्षा और सेवा करना उनका फ़र्क़ होता है। लेकिन नेताओं को उसके काम में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। शिवदीप लांडे मानते हैं कि साहित्य समाज को जागृत करने के अलावा रास्ता दिखाता है, इसलिए वह अभी और किताबें भी लिखेंगे। वुमन बिहाइंड लायन पुस्तक में उन्होंने लिखा है कि बिहार में करियर के बाद तीन प्रोडक्शन हाऊस उनके पीछे थे। जिन चीज़ों ने उन्हें परेशान किया, वो बिहार में अपने कर्तव्यों में सन्तुष्टि की सुखद चीज़ों से अलग थीं। उन्होने युवा दुनिया को क़रीब से देखा और महाराष्ट्र में पढ़ाई के बाद बिहार में पुलिस बल मे भर्ती होकर युवाओं को प्रेरित किया कि वे भटकने से बेहतर है अपने करियर पर ध्यान दें।

सिगरेट, सिनेमा में समय बिताने से भविष्य बर्बाद होता जाता है, जिसका अहसास उन्हें जब होता है, तब तक उम्र और वक़्त दोनों निकल जाते हैं। शिवदीप ने बचपन से ही इसका अनुभव किया है। बचपन से ही महाराष्ट्र के विदर्भ जैसे शुष्क क्षेत्रों के हालात से लड़ते हुए लेखक गहरे अवसाद से बाहर आये। इस अवस्था से उन्होंने सीखा कि यह निराशावाद या लक्ष्य भटकाव की ओर ले जाने वाली नहीं, बल्कि कुछ कर दिखाने की उम्र है। इसलिए उन्होंने ख़ुद को इससे बचाया।

अकोला ज़िले के बालापुर तालुका के पारस गाँव में एक किसान परिवार में जन्में शिवदीप के माता-पिता कम पढ़े-लिखे थे। इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करके शिवदीप मुम्बई में भारतीय प्रशासनिक सेवा की पढ़ाई करके राजस्व विभाग में सेवाएँ देने लगे। इसके बाद भारतीय पुलिस सेवा परीक्षा पास करके 2006 में बिहार पुलिस में शामिल हुए। यहीं से पुलिस करियर के दौरान पटना, अररिया, पूर्णिया और मुंगेर जैसे ज़िलों में सेवा के दौरान अपने अनुभवों को भी लेखक ने किताब में जगह दी है।

इसमें आम जनजीवन से लेकर नक्सल प्रभावित इलाक़ों के अनुभव भी साझा हैं। समाजसेवा की भावना से प्रेरित शिवदीप की एक अलग आदत यह रही कि वह शादी से पहले अपने वेतन का 60 फ़ीसदी हिस्सा ग़ैर-सरकारी संगठनों को दे देते थे। जब उन्होंने शादी का मन बनाया, तो उनके बैंक में मात्र 32,000 रुपये थे। यह वह दौर था, जब महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों के ख़िलाफ़ विद्रोह हुआ था। इसका असर बिहार में देखने को मिला। अच्छी बात यह रही कि पुलिस अधिकारी शिवदीप लांडे की तरह ही उनकी पत्नी भी समाजसेवा की भावना से प्रेरित हैं। पुलिस सेवा में बेहतर प्रदर्शन करने वाले शिवदीप एक अच्छे लेखक हैं, इसका प्रमाण उनकी किताब वुमन बिहाइंड लायन है।