मुश्किल में टाइटलर

क्या है कोर्ट का हालिया आदेश?

1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगे के साये एक बार फिर से कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर पर पड़ने लगे हैं. दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई को एक बार फिर से आदेश दिया है कि वह 1984 के दंगों में टाइटलर की संलिप्तता की फिर से जांच करे. कोर्ट ने यह फैसला दंगों के पीड़ित एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. 10 अप्रैल को आए इस आदेश के बाद एक बार फिर से जगदीश टाइटलर के राजनीतिक भविष्य और सीबीआई की संदिग्ध भूमिका पर बहस छिड़ गई है. सीबीआई ने सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए 2009 में इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी.

टाइटलर पर क्या आरोप हैं? 
टाइटलर उन तीन बड़े कांग्रेसी नेताओं में से एक हैं जिन पर आरोप है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों के दौरान उन्होंने लोगों को भड़काया और उस हिंसक भीड़ की अगुवाई की जिसने एक नवंबर, 1984 को तीन सिखों की हत्या कर दी थी. इसके अलावा उनके भड़कावे के कारण दिल्ली में कई और जगहों पर सिखों का कत्लेआम हुआ. 1984 के इन दंगों में तीन हजार से भी ज्यादा लोगों की जानें गई थीं. इन दंगों में टाइटलर के अलावा दो और बड़े कांग्रेसी नेताओं एचकेएल भगत और सज्जन कुमार का नाम सामने आया था. एचकेएल भगत की मृत्यु हो चुकी है, जबकि सज्जन कुमार के खिलाफ अदालत में मामला लंबित है.

मामला फिर से क्यों सामने आया है? 
टाइटलर के खिलाफ सीबीआई द्वारा क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के बाद मामला खत्म हो गया था. इसके फैसले के विरोध में कोर्ट में अपील दायर की गई थी जिसमें यह दलील दी गई है कि सीबीआई ने इस मामले में कई अहम गवाहों से पूछताछ नहीं की. इन्हीं दंगों में अपने पति को खो चुकी एक महिला लखविंदर कौर के मुताबिक जांच एजेंसी ने दो ऐसे गवाहों से बातचीत ही नहीं की जो इस घटना के चश्मदीद थे और महत्वपूर्ण जानकारियां दे सकते थे. अदालत ने सीबीआई को आदेश दिया है कि वह इन गवाहों से पूछताछ करने के बाद फिर से जांच रिपोर्ट दाखिल करे. अदालत के इस फैसले से टाइटलर की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. उनका राजनीतिक भविष्य भी अधर में लटक गया है.
-प्रदीप सती