महिला विश्व कप हॉकी कितनी तैयार है भारतीय नारी

भारतीय टीम अब 18 और 19 जून को नीदरलैंड में दो मैच खेलेगी। नीदरलैंड एक जानी मानी टीम है। यह ठीक है कि बेल्जियम के ख़िलाफ़ खेलने का अनुभव वहाँ काम आएगा पर भारतीय टीम और उनकी कोच जेनेके शोपमैन को टीम की कमजोरियों पर काम करना पड़ेगा। टीम में प्रतिभा और स्किल की कोई कमी नहीं है। बस आत्मविश्वास जगाना होगा। इसके बाद 21 और 22 जून को अमेरिका से मैच खेलने हैं। वो कोई बड़ी टीम नहीं है; लेकिन दुनिया की किसी भी टीम मो टक्कर देने में सक्षम है।

इस एफआईएच प्रो लीग में कुल नौ टीमें भाग ले रही हैं, जिनमें भारत के अलावा अर्जेंटीना, बेल्जियम, चीन, ब्रिटेन, जर्मनी, नीदरलैंड, स्पेन और अमेरिका शामिल हैं। ध्यान रहे कि भारत को इसमें खेलने का मौक़ा ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के भाग न लेने के कारण मिला है। इन दोनों टीमों ने कोरोना महामारी के कारण टूर्नामेंट से नाम वापस ले लिया था। इसके बाद टीम विश्व कप के लिए टीम तैयार है।

विश्व कप

महिला विश्व कप हॉकी टूर्नामेंट इस बार कुल 16 टीमें भाग ले रही हैं, जिनमें एशिया की चार टीमें भारत, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया शामिल हैं। भारत को अपेक्षाकृत आसान पूल मिला है। वह इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और चीन के साथ पूल बी में है। उसे राष्ट्रमंडल खेलों में इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के ख़िलाफ़ खेलने का का$फी अनुभव है। चीन के साथ भारत एशियाई खेलों में खेलता रहता है। इसके अलावा पूल-ए में मेज़बान नीदरलैंड के साथ जर्मनी, आयरलैंड और चिली की टीमें हैं। पूल-सी में अर्जेंटीना, स्पेन, कोरिया, और कनाडा को रखा गया है। पूल-डी में ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, जापान और दक्षिण अफ्रीका हैं। भारत के लिए पूल क्लियर करने का अच्छा अवसर है।

भारत का पहला मैच 3 जुलाई को पूल की सबसे मज़बूत टीम इंग्लैंड के साथ है। फिर 05 जुलाई को वह चीन से भिड़ेगी। पूल का आख़िरी मुक़ाबला न्यूजीलैंड से 07 जुलाई को न्यूजीलैंड के साथ होगा।
भारत के लिए इंग्लैंड को हराना ज़रूरी होगा। टोक्यो ओलिंपिक में इंग्लैंड ने अन्तिम समय में गोल करके भारत को 4-3 से हराकर उसे कांस्य पदक जीतने से वंचित कर दिया था। यहाँ बदला लेने का अवसर है।
जहाँ तक न्यूजीलैंड की बात है, तो उसे हराकर भारत एक बार राष्ट्रमंडल खेलों का गोल्ड जीत चुका है। इस कारण उसका कोई मनोवैज्ञानिक असर भारतीय टीम पर नहीं होना चाहिए। चीन को तो भारत कुछ दिन पहले ही हरा चुका है। वैसे भी भारत के लिए बड़ी चुनौती यूरोप के देश ही बनते हैं। एशिया में भारत एक बड़ी ताक़त है।

पूल देखकर यह भी लगता है कि पूल-सी से कोरिया और पूल-डी से जापान का आगे निकल पाना शायद मुमकिन न हो, क्योंकि पूल-सी में अर्जेंटीना और स्पेन और पूल-डी में ऑस्ट्रेलिया और बेल्जियम के होने से जापान के लिए मौक़ा कम ही है।