महासमुंद का महासमर

हमारे सफर का पहला पड़ाव छत्तीसगढ़ का सबसे आखिरी गांव बलौदा था, जिससे दस किलोमीटर की दूरी से ओडिशा की सीमा लग जाती है. लेकिन बलौदा पहुंचने के पहले रास्ते में कई गांव पड़ते हैं, जहां आम चुनाव की आहट सुनाई नहीं पड़ती. भाजपा प्रत्याशी चंदूलाल साहू के स्लोगन भी शायद इसलिए नजर नहीं आते क्योंकि वे 2009 में भी यहां से जीत हासिल कर चुके हैं और उनकी चुनावी रणनीति बगैर किसी शोर शराबे के मतदाताओं को रिझाने की है. वैसे भी महासमुंद सीट पर साहू मतदाता भी बड़ी संख्या में है. जिनके मत 2009 में भाजपा के पक्ष में ही पड़े थे.

महासमुंद लोकसभा चुनाव में एक बात और सबसे ज्यादा आकर्षित करती है..वो है अजीत जोगी की जीवटता. जोगी का चुनाव प्रचार व्हील चेयर के सहारे है. इसी खस्ताहाल सड़क के रास्ते वे एक गांव से दूसरे गांव पहुंचकर मतदाताओं से बात कर रहे हैं. चार लोग उन्हें व्हील चेयर समेत गाड़ी से उतारते हैं और मंच तक पहुंचाते हैं. मंच पर मौजूद कार्यक्रम संचालक मतदाताओं को ये बताना नहीं भूलता कि जोगी छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री तो थे ही, साथ ही रायपुर कलेक्टर भी रह चुके हैं. जब जोगी कलेक्टर थे, तब रायपुर महासमुंद तक फैला हुआ था. जोगी लोगों से अपील कर रहे हैं कि एक बार फिर मुझे चुनकर लोकसभा में भेजो. अपनी चिरपरिचित हास्य से परिपूर्ण शैली में जोगी कहते हैं कि भाजपा ने नारा दिया है हर-हर मोदी. मैं नया नारा दे रहा हूं डर-डर मोदी-थर-थर मोदी.

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