भारतीय खेलों में मी टू

पहलवानों के विरोध का डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष पर नहीं असर

ग्लैमर की दुनिया में गन्दगी इस दर हावी हो जाती है कि पर्दे के अन्दर झाँककर देखने पर नफ़रत होने लगती है। खेलों का ग्लैमर इन दिनों इतना हावी है कि करोड़ों लोग खेलों और खिलाडिय़ों के दीवाने हो चुके हैं। यही वजह है कि इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए युवा-युवतियाँ लालायित रहते हैं। इस क्षेत्र में मैडल जीतकर लाने का मक़सद हर खिलाड़ी का सपना होता है। लेकिन खेलों के लिए बनी संस्थाओं और मंत्रालयों में मठाधीश बनकर बैठे लोग, जिनकी बिना इच्छा के कोई खिलाड़ी आगे नहीं बढ़ सकता; इन खिलाडिय़ों का शोषण करते हैं। महिला खिलाड़ी इनका आसान शिकार होती हैं। आजकल कुश्ती की महिला खिलाडिय़ों के शरीरिक शोषण को लेकर देश भर में हंगामा मचा हुआ है। इसी को लेकर अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट :-

पूरा देश तब हतप्रभ हैरान रह गया, जब जनवरी में बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, रवि दहिया और दीपक पुनिया जैसे नामी पहलवानों ने राजधानी दिल्ली में खेलों में भारत के सबसे बड़े ‘मी टू’ विरोधी धरने का नेतृत्व किया। भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह और कोचों के ख़िलाफ़ यौन दुराचार के आरोपों को लेकर यह खिलाड़ी सडक़ों पर उतरे। दबाव ऐसा था कि सरकार को इस मामले में जाँच के आदेश देने के लिए मजबूर होना पड़ा।

नई दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध करने वाले पहलवानों ने आरोप लगाया कि डब्ल्यूएफआई प्रमुख और उसके कोच वर्षों से युवा महिला खिलाडिय़ों का यौन और मानसिक शोषण कर रहे हैं। पहलवानों ने डब्ल्यूएफआई में वित्तीय कुप्रबंधन का भी आरोप लगाया और खेल निकाय में बदलाव की माँग की।

खेलों में यौन शोषण का मामला देश में कोई नया नहीं है। हाल में पूर्व हॉकी कप्तान और हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह पर एक जूनियर कोच ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। काफ़ी विरोध के बाद उन्हें खेल मंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा। हालाँकि उनके पास अभी मुद्रण तथा लेखन सामग्री (स्वतंत्र कार्यभार) है।

सन् 1990 में 14 वर्षीय रुचिका गिरहोत्रा, जो एक होनहार टेनिस खिलाड़ी थी; की तरफ़ से उस समय हरियाणा टेनिस संघ के प्रमुख एसपीएस राठौड़ पर उनसे छेड़छाड़ के आरोप लगे थे। राठौड़ उस समय राज्य के पुलिस महानिरीक्षक भी थे। रुचिका ने आत्महत्या कर ली; लेकिन प्रभावशाली पुलिस अधिकारी को पदोन्नति मिल गयी।

पिछले वर्षों में हरियाणा ने एक ऐसा राज्य होने का गौरव अर्जित किया है, जो पहलवानों सहित विश्व स्तर के खिलाड़ी पैदा करता है, जिन्होंने देश के लिए कई पदक और पुरस्कार जीते हैं। इस वजह से डब्ल्यूएफआई प्रमुख और उसके कोचों पर पहलवानों के लगाये गये आरोपों ने देश भर के खेल प्रेमियों को झकझोर कर रख दिया।

आरोपी भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह, जो भाजपा के सांसद भी हैं; ने आरोपों को ग़लत बताया और विरोध-प्रदर्शन को हरियाणा कांग्रेस के नेताओं की रची गयी साज़िश क़रार दिया। घटनाक्रम से नाराज़ कांग्रेस पहलवानों के समर्थन में उतर आयी और इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया।

प्रधानमंत्री मोदी के इस दावे के बीच कि खेल के लिए बेहतर माहौल बनाने के लिए पिछले आठ वर्षों में काम किया गया है, स्थिति से निपटने में सरकार के लिए यह कठिन समय था। प्रधानमंत्री ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि कई प्रतिभाएँ मैदान से दूर रहीं। लेकिन पिछले आठ वर्षों में देश इस पुरानी सोच को पीछे छोड़ चुका है। खेलों के लिए बेहतर माहौल बनाने का काम किया गया है और अब ज़्यादा बच्चे और युवा खेल को करियर के विकल्प के रूप में देख रहे हैं।’

विवाद पर जनता के मूड को भाँपते हुए केंद्र ने तब केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर को मोर्चे पर तैनात किया, जिन्होंने दो दौर में पहलवानों से बात करने के बाद घोषणा की कि ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज़ मैरी कॉम की अध्यक्षता वाली पाँच सदस्यीय समिति आरोपों की पड़ताल करेगी और चार हफ़्ते में रिपोर्ट पेश करेगी। मंत्री ने यह भी कहा कि बृजभूषण शरण सिंह जाँच पूरी होने तक डब्ल्यूएफआई के प्रमुख के पद पर नहीं रहेंगे।

इस भरोसे के बाद पहलवानों ने अपना धरना समाप्त कर दिया। बजरंग पुनिया ने कहा- ‘हमें सम्मानित मंत्री से आश्वासन मिला है। धन्यवाद! हमने केवल अन्तिम उपाय के रूप में विरोध किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वास्तव में हमारे खेल में मदद की है।’

आईओए की जाँच

खिलाडिय़ों ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की प्रमुख पीटी उषा से भी आरोपों की जाँच करने का आग्रह किया था, एसोसिएशन ने डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ आरोपों की जाँच करने और 10 दिन में एक रिपोर्ट पेश करने के लिए मुक्केबाज़ मैरी कॉम की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का गठन किया।

पैनल में भारतीय भारोत्तोलन महासंघ के अध्यक्ष सहदेव यादव, तीरंदाज़ डोला बनर्जी और ओलंपिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त शामिल हैं। कमेटी में दो वकील भी होंगे। आईओए की आपातकालीन कार्यकारी परिषद् की बैठक के दौरान यह निर्णय किया गया, जिसमें शीर्ष निशानेबाज़ अभिनव बिंद्रा, योगेश्वर दत्त के साथ आईओए अध्यक्ष पीटी उषा और संयुक्त सचिव कल्याण चौबे ने भाग लिया।

पीटी उषा को लिखे पत्र में पहलवानों ने डब्ल्यूएफआई में धन की हेराफेरी का आरोप लगाया था और दावा किया था कि राष्ट्रीय शिविर में कोच और खेल विज्ञान कर्मचारी बिलकुल अक्षम थे।

ओलंपिक कांस्य पदक विजेता योगेश्वर दत्त ने कहा कि यौन उत्पीडऩ के आरोपों के मामले में कोई समझौता नहीं हो सकता। अगर ऐसा हुआ है, तो इसकी जाँच होनी चाहिए और आरोपियों को सज़ा मिलनी चाहिए। अगर आरोप झूठे हैं, तो इसकी जाँच की जानी चाहिए कि उन्हें क्यों लगाया गया और इसके पीछे क्या मक़सद था? हम खेल मंत्रालय और गृह मंत्रालय दोनों के साथ-साथ प्रधानमंत्री को भी रिपोर्ट भेजेंगे।’

सवाल और आरोप

राष्ट्रमंडल स्वर्ण पदक विजेता विनेश फोगाट ने नई दिल्ली के जंतर मंतर पर कई शीर्ष पहलवानों की उपस्थिति में आरोप लगाये। फोगाट ने आरोप में कहा कि महिला पहलवानों का राष्ट्रीय शिविरों में प्रशिक्षकों और डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह द्वारा यौन उत्पीडऩ किया गया है। राष्ट्रीय शिविरों में नियुक्त कोचों में से कुछ वर्षों से महिला पहलवानों का यौन उत्पीडऩ कर रहे हैं। डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष भी यौन उत्पीडऩ में शामिल हैं।

उन्होंने आरोपों में आगे कहा कि यह शोषण हर दिन हो रहा है। लखनऊ में ही क्यों होता है राष्ट्रीय शिविर? हमने प्रधानमंत्री और खेल मंत्री को लिखा है। वहाँ ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि वहाँ उसका घर है और इसलिए लड़कियों का शोषण करना आसान है। वे हमें बहुत परेशान करते हैं। वे हमारे निजी जीवन और रिश्तों में दख़ल देते हैं। वे सब कुछ जानना चाहते हैं।

हरियाणा की रहने वाली विनेश ने कहा कि आरोप लगाने के बाद उन्हें अपनी जान का ख़तरा महसूस हो रहा है। उन्होंने आरोप में आगे कहा- वे (प्रशिक्षक और मंत्री) बहुत शक्तिशाली हो गये हैं। मैंने आज बोला है और मुझे नहीं पता कि इस वजह से मैं कल ज़िन्दा रहूँगा या नहीं। मैं ऐसी 10-20 लड़कियों को जानती हूँ, जिनका पिछले 10 साल में नेशनल कैंप में शोषण हुआ है। वह लड़कियाँ अपने पारिवारिक पृष्ठभूमि को लेकर डरी हुई हैं। वे उनके ख़िलाफ़ नहीं लड़ सकतीं, क्योंकि वे शक्तिशाली नहीं हैं। मैं ऐसा कर सकती हूँ, क्योंकि मुझे कोई आपत्ति नहीं है अगर वे मुझे कुश्ती से रोकते हैं। मेरे पास घर है, मेरे पास रोज़ी-रोटी का ज़रिया है। मैं यहाँ इसलिए हूँ, क्योंकि मैं नहीं चाहती कि आने वाली पीढिय़ाँ इस दु:ख और दर्द से गुज़रें। कुश्ती ही हमारी रोज़ी-रोटी का ज़रिया है। वे हमारी रोज़ी-रोटी छीन रहे हैं। हमारा एकमात्र विकल्प मौत है, इसलिए अच्छा कर सकते हैं और मर सकते हैं।’

फोगाट ने बीबीएस सिंह की कथित मनमानी पर कहा- ‘वह मुझे हर चीज़ के लिए मानसिक रूप से प्रताडि़त करता है। कोई भी अनुमति प्राप्त करने के लिए हमें उनके सामने और यहाँ तक कि सहायक सचिव से भीख माँगनी पड़ती है। खिलाड़ी उसे राष्ट्रीय शिविर में जाने के लिए उपहार देते हैं। राष्ट्रीय शिविर में जाने के लिए कोच भी ऐसा ही करते हैं।’

भारत की एकमात्र ओलंपिक पदक विजेता पहलवान साक्षी मलिक ने विनेश के आरोपों का समर्थन किया। उन्होंने कहा- ‘हम सिर्फ़ युवा पहलवानों को बचाने आये हैं। हम उनके लिए लड़ रहे हैं। जब समय आएगा, हम बोलेंगे। हम उन लोगों के नाम देंगे, जिनका शोषण हुआ है और जो भी जाँच कर रहे हैं। विनेश और साक्षी के अलावा विश्व चैंपियनशिप विजेता सरिता मोर, संगीता फोगाट, अंशु मलिक, सोनम मलिक, सत्यव्रत मलिक, जितेंद्र किन्हा, अमित धनखड़ और राष्ट्रमंडल खेलों के पदक विजेता सुमित मलिक भी धरना स्थल पर मौज़ूद थे। क़रीब 30 पहलवान वहाँ विरोध के इकट्ठे हुए थे।

विनेश फोगाट ने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी भी इस तरह के शोषण का सामना नहीं किया; लेकिन दावा किया कि जंतर मंतर पर धरने में एक पीडि़ता मौज़ूद थी। उसने कहा कि पीडि़तों के नाम का ख़ुलासा करने से उन्हें ख़तरा होगा और कहा कि यह अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं करने के कारणों में से एक था।

फोगाट ने कहा- ‘अगर हम पीडि़तों के नाम का ख़ुलासा करते हैं, तो यह उनके परिवारों सहित उन्हें ख़तरे में डाल देगा। हम उनकी पहचान का ख़ुलासा नहीं कर सकते, क्योंकि कुछ भी काग़ज़ पर नहीं रखा गया है और इसे अभी तक आधिकारिक नहीं बनाया गया है। हम यहाँ लडऩे के लिए आये थे। हमारी गरिमा ही अगर हमसे छीन ली गयी, तो हमारे विरोध करने का क्या मतलब है? हम सभी जटिल विवरण साझा नहीं कर सकते, क्योंकि यह महिला पहलवानों के स्वाभिमान से जुड़ा एक संवेदनशील मामला है। हम आपके साथ सभी विवरण साझा करेंगे एक बार सब कुछ हमारे लिए आश्वस्त हो जाए।’

उन्होंने कहा कि हम सभी मुद्दों को सामने ला रहे हैं। यदि यह केवल कुश्ती के बारे में होता, तो चर्चा के बाद मामला हल हो जाता। लेकिन यह एक बड़ा मुद्दा है। यह सिर्फ़ एक नहीं, बल्कि कई लड़कियों का मामला है। हम उनकी पहचान का ख़ुलासा नहीं कर सकते हैं और अगर हम करते हैं, तो यह उनके जीवन और परिवारों के लिए ख़तरा होगा।

एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता और अर्जुन पुरस्कार विजेता विनेश ने कहा कि उन्होंने डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण सरन सिंह से टोक्यो ओलंपिक से लौटने के बाद उनसे मिलने का अनुरोध किया था; लेकिन उन्होंने उनके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया। विनेश ने कहा- ‘जब मैं टोक्यो ओलंपिक से वापस आयी तबसे वह मुझसे नहीं मिला है। कई खिलाडिय़ों ने महासंघ को अपने साथ हुए उत्पीडऩ के बारे में लिखा; लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। अगर हम अपने मुद्दे को सार्वजनिक करते हैं, तो डब्ल्यूएफआई प्रमुख अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए मामले को रफ़ा-दफ़ा करने की कोशिश करेंगे।’

आरोपों से इनकार

जैसा कि अपेक्षित था कि फरवरी, 2019 में लगातार तीसरी बार डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध चुने गये बीबीएस सिंह ने आरोपों से इनकार किया। क्या कोई कह रहा है कि डब्ल्यूएफआई ने एक पहलवान का यौन उत्पीडऩ किया? विनेश ने ही कहा है। क्या किसी ने आगे आकर कहा है कि उनका व्यक्तिगत रूप से यौन उत्पीडऩ किया गया है? यहाँ तक कि अगर एक पहलवान भी सामने आती है और कहती है कि उसका यौन उत्पीडऩ किया गया है, तो उस दिन मुझे फाँसी दे दें। सिंह ने 21 जनवरी को उत्तर प्रदेश के गोंडा में अपने जवाब देने के लिए एक संवाददाता सम्मेलन बुलाया था। हालाँकि खेल मंत्री के सुझाव के बाद उन्होंने ज़्यादा कुछ नहीं कहा। उन्होंने मामले को राजनीतिक बताया और कहा कि वह इसका भंडाफोड़ करेंगे।

हालाँकि उस दिन उनके बेटे और गोंडा सदर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा विधायक प्रतीक ने कहा कि डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष 22 जनवरी को खेल निकाय की वार्षिक आम बैठक के बाद उनके ख़िलाफ़ यौन उत्पीडऩ के आरोपों पर एक बयान जारी करेंगे। आरोपों पर प्रतीक ने 22 जनवरी को खेल निकाय की वार्षिक आम बैठक के बाद अपने ब्यान में कहा- ‘मैं यहाँ अपने पिता की ओर से हूँ और मैं आप सभी को सूचित करना चाहता हूँ कि हम 22 जनवरी को डब्ल्यूएफआई की एजीएम के बाद ही एक लिखित बयान जारी करेंगे। हम पूरे भारत के सदस्यों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करना चाहते हैं और फिर कोई फ़ैसला लेंगे। हम जो भी निर्णय लेंगे, हम एक लिखित बयान के माध्यम से प्रेस को सूचित करेंगे।’

हालाँकि अयोध्या में आयोजित होने वाली एजीएम को खेल मंत्रालय के एक स$ख्त संदेश के बाद रद्द कर दिया गया था, जिसमें डब्ल्यूएफआई को तत्काल प्रभाव से चल रही सभी गतिविधियों को निलंबित करने के लिए कहा गया था। इसमें सिंह के गढ़ उत्तर प्रदेश के गोंडा में रैंकिंग टूर्नामेंट भी शामिल था। मंत्रालय ने निष्पक्ष जाँच सुनिश्चित करने के लिए डब्ल्यूएफआई के सहायक सचिव विनोद तोमर को भी निलंबित कर दिया।

डब्ल्यूएफआई कर रहा आरोपी का बचाव

आरोपों का संज्ञान लेते हुए खेल मंत्रालय ने डब्ल्यूएफआई से स्पष्टीकरण माँगा था और उसे अगले 72 घंटे के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया था। इसके जवाब में भारतीय कुश्ती महासंघ ने कहा कि जिन एथलीटों ने उसके प्रमुख के ख़िलाफ़ यौन उत्पीडऩ के आरोप लगाये थे, उनका एक छिपा हुआ एजेंडा था।

कुश्ती निकाय ने युवा मामलों के मंत्रालय को एक पत्र में कहा- ‘विरोध पहलवानों के सर्वोत्तम हित में नहीं है और न ही भारत में अच्छी कुश्ती को बढ़ावा देने के लिए है; लेकिन डब्ल्यूएफआई के मौज़ूदा निष्पक्ष और स$ख्त प्रबंधन को ख़त्म करने के लिए और इस तरह के प्रतिकूल माहौल बनाने की साज़िश के लिए कुछ व्यक्तिगत और साथ ही छिपे हुए एजेंडे हैं, जिनका मक़सद सार्वजनिक रूप से अनुचित दबाव बनाना है।’

कुप्रबंधन के आरोपों का जवाब देते हुए कुश्ती संघ ने कहा कि उसने हमेशा पहलवानों के हित को ध्यान में रखकर काम किया है। संघ ने कहा- ‘डब्ल्यूएफआई को उसके संविधान के अनुसार एक निर्वाचित निकाय द्वारा मैनेज किया जाता है, और इसलिए अध्यक्ष सहित व्यक्तिगत रूप से किसी के द्वारा डब्ल्यूएफआई में मनमानी और कुप्रबंधन की कोई गुंजाइश नहीं है।’

संघ ने आगे कहा- ‘धरने पर बैठ कर और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रदर्शनकारियों / पहलवानों द्वारा अपने आरोप को हवा देने का तरी$का निश्चित रूप से निहित स्वार्थ के लिए कुछ कमज़ोर पहलवानों पर दबाव डालकर या अपने लिए ज़मीन हासिल करने और संघ या उसके अध्यक्ष या कोचों के प्रबंधन को बदनाम और बदनाम करना निहित स्वार्थों की गहरी और बड़ी साज़िश का हिस्सा है और कुछ नहीं।

उसने कहा कि यौन उत्पीडऩ का एक भी आरोप स्वीकार नहीं किया गया है और न ही कभी देखा गया है और न ही पाया गया है और न ही अब तक शिकायत की गयी है और न ही डब्ल्यूएफआई की यौन उत्पीडऩ समिति को सूचित किया गया है। इसलिए इस आशय के आरोप समान रूप से दुर्भावनापूर्ण और निराधार हैं, सिवाय इसके कि मामले में कोई सच्चाई नहीं है। डब्ल्यूएफआई के वर्तमान प्रबंधन के साथ-साथ डब्ल्यूएफआई के मौज़ूदा अध्यक्ष की जनता के बीच प्रतिष्ठा को नुक़सान पहुँचाने के लिए मीडिया के माध्यम से यह सब किया गया है। डब्ल्यूएफआई ने कहा कि उसने हमेशा खिलाडिय़ों के हित में काम किया है। डब्ल्यूएफआई विशेष रूप से मौज़ूदा अध्यक्ष के तहत डब्ल्यूएफआई ने हमेशा भारत के सर्वोत्तम हित के साथ-साथ पहलवानों के सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखते हुए काम किया है और मौज़ूदा अध्यक्ष के तहत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती की छवि को बेहतर किया है।

बीबीएस सिंह के कुक विक्की ने कथित तौर पर दिल्ली उच्च न्यायालय में पहलवानों के ख़िलाफ़ एक याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि विनेश विरोध प्रदर्शनों को लेकर डब्ल्यूएफआई प्रमुख को ब्लैकमेल कर रही थी और खिलाड़ी अदालत के बजाय मीडिया के पास गये थे; लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया गया था।

आरोपों पर राजनीति

उत्तर प्रदेश के कैसरगंज से भाजपा सांसद, डब्ल्यूएफआई प्रमुख बीबीएस सिंह के आसपास के विवाद ने जल्द ही राजनीतिक रूप ले लिया क्योंकि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने उन पर हमला बोला था। सिंह छ: बार सांसद रहे हैं, जिनमें से पाँच बार भाजपा और एक बार सपा के टिकट पर। वे सन् 2009 में समाजवादी पार्टी के साथ थे। सिंह ने पूर्व में गोंडा और बलरामपुर का प्रतिनिधित्व किया है, और अब कैसरगंज से सांसद हैं।

सिंह ने अपनी ओर से विवाद की साज़िश रचने के लिए हरियाणा के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा को दोषी ठहराया और कहा कि उन पर आरोप लगाने वाले सभी पहलवान एक ही समुदाय से थे। उन्होंने कहा कि दीपेंद्र ने हरियाणा चुनाव में फ़ायदा उठाने के लिए साज़िश रची थी। हालाँकि कांग्रेस नेता ने यह कहते हुए पलटवार किया कि सिंह कहानियाँ गढ़ रहे हैं, क्योंकि उन पर यौन दुराचार का आरोप लगा है। हुड्डा ने विवाद में उनका नाम घसीटने के लिए सिंह पर मानहानि का मुक़दमा करने की भी धमकी दी।

उत्तर प्रदेश की कांग्रेस प्रभारी और पार्टी महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा ने भी विरोध कर रहे पहलवानों का समर्थन किया। एक ट्वीट में उन्होंने कहा- ‘हमारे खिलाड़ी देश का गौरव हैं। वे विश्व स्तर पर अपने प्रदर्शन से देश का नाम रोशन करते हैं। खिलाडिय़ों ने भारतीय कुश्ती महासंघ और उसके अध्यक्ष पर शोषण के गम्भीर आरोप लगाये हैं और उनकी आवाज़ सुनी जानी चाहिए।’

मीडिया प्रभारी कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मामले पर आश्चर्य जताते हुए कहा- ‘महिलाओं पर अत्याचार करने वाले सभी लोग भाजपा के सदस्य क्यों हैं। कुलदीप सेंगर, चिन्मयानंद, पिता-पुत्र की जोड़ी विनोद आर्य और पुलकित आर्य और अब यह नया मामला! महिलाओं पर अत्याचार करने वाले भाजपा नेताओं की सूची अंतहीन है।’

कांग्रेस नेता ने ट्वीट करके कहा- ‘मिस्टर पीएम! क्या बेटी बचाओ भाजपा नेताओं से बेटियों को बचाने की चेतावनी थी? भारत जवाब का इंतज़ार कर रहा है। आपने कहा था कि पिछले आठ साल में खेलों के लिए एक बेहतर वातावरण बनाया गया है। क्या यह बेहतर माहौल है, जिसमें देश का नाम रोशन करने वाली हमारी बेटियाँ भी असुरक्षित हैं?

कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि बीबीएस सिंह का इस्तीफ़ा विरोध के पहले दिन ही आना चाहिए था। उन्होंने कहा- ‘यह पहला क़दम होना चाहिए था। अगर कोई और संवेदनशील सरकार होती, तो यह तत्काल हो गया होता। फिर प्रधानमंत्री को एक बयान जारी करना चाहिए और इन परिवारों के विश्वास को बहाल करना चाहिए। हमारे परिवार रूढि़वादी हैं, यह एक कठिन विकल्प है। बच्चों को ट्रेनिंग के लिए भेजना, देश के लिए लडऩा और पदक जीतना।’

कांग्रेस की तरफ़ से प्रमुख मुक्केबाज़ विजेंदर सिंह और चक्का फेंक खिलाड़ी कृष्णा पूनिया भी भारतीय कुश्ती महासंघ को भंग करने, उसके प्रमुख बीबीएस सिंह को बर्ख़ास्त करने और खेल निकाय में हाल के विवाद पर प्रधानमंत्री मोदी को निशाना बनाने के लिए आगे आये।

इन लोगों ने कहा कि डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप है। यह आरोप एक महिला खिलाड़ी की तरफ़ से लगा है जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी बेटी बताया था। आज वही बेटी कह रही है कि इस देश में लड़कियाँ पैदा नहीं होनी चाहिए। इससे ज़्यादा दर्दनाक और क्या हो सकता है?

उन्होंने कहा कि एक तरफ़ देश खिलाडिय़ों से पदक की उम्मीद करता है। वहीं दूसरी ओर हमारी बेटियाँ यौन शोषण का शिकार होती हैं। क्या माता-पिता अब अपनी बेटियों को खेलकूद में भेजेंगे? जब हम पदक जीतते हैं तो हर कोई हमारे साथ फोटो खिंचवाना चाहता है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारे की धज्जियाँ उड़ायी जा रही हैं। डब्ल्यूएफआई को भंग कर देना चाहिए।

याद रहे कृष्णा पूनिया का एक खिलाड़ी के रूप में भारत में एक विशिष्ट रिकॉर्ड था और वह राजस्थान में कांग्रेस के विधायक भी हैं। वह 2008 और 2012 के ओलंपिक में भाग लेने के अलावा पद्म श्री और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित हैं।

उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएफआई पर गम्भीर आरोप हैं। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री की चुप्पी शर्मनाक है। आईपीसी के प्रावधानों के तहत मामले में तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। सिर्फ़ खिलाड़ी ही दूसरे खिलाडिय़ों की भावनाओं को समझ सकते हैं। जब मुक्केबाज़ी पर बैठक होती है, तो खिलाडिय़ों को नहीं बुलाया जाता है।

कांग्रेस प्रव$क्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा- ‘विनेश फोगाट ने अक्टूबर 2021 में पूरे मामले से प्रधानमंत्री को अवगत कराया था। उन्होंने अपनी जान को ख़तरे की बात भी कही थी। मुद्दा यह है कि प्रधानमंत्री यह सब जानते थे; लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। वह अभी भी चुप हैं। सर्वोच्च न्यायालय को आरोपों का स्वत: संज्ञान लेना चाहिए और डब्ल्यूएफआई को भंग कर देना चाहिए। राष्ट्रीय महिला आयोग क्या कर रहा है, जो आमतौर पर एक ट्वीट पर कार्रवाई करता है। नेताओं पर इस तरह के कई आरोप लगे हैं; लेकिन उन्होंने कभी कोई कार्रवाई नहीं की।’

कांग्रेस नेता ने विभिन्न खेल निकायों पर शासन करने वाले राजनेताओं के मुद्दे पर भी केंद्र से सवाल किया। श्रीनेत ने कहा कि वह कहते थे कि खेल निकायों में नेताओं का दख़ल नहीं होना चाहिए लेकिन उनके कई नेता ऐसे पदों पर हैं। उदाहरण के लिए, असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा बैडमिंटन संघ के प्रमुख हैं, रणिंदर सिंह राइफल संघ के प्रमुख हैं, अर्जुन मुंडा तीरंदाज़ी संघ के प्रमुख हैं, जय शाह सचिव बीसीसीआई हैं, दिलीप तिर्की हॉकी महासंघ के प्रमुख हैं और मेघना चौटाला टेबल टेनिस फेडरेशन की अध्यक्ष हैं।

आम आदमी पार्टी के संस्थापक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि उन लोगों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गयी, जिन पर महिला पहलवानों ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। गम्भीर आरोप लगाये गये हैं; लेकिन न तो इस्तीफ़ा दिया गया है और न ही कोई कार्रवाई हुई है। यह पार्टी और इसकी सरकार महिला खिलाडिय़ों की सुरक्षा के मामले में अपने नेताओं को बचाने में लगी है। यह बेहद शर्मनाक है।

घटनाओं पर प्रतिक्रिया करते हुए दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल भाजपा सांसद और कुश्ती महासंघ अध्यक्ष सिंह के ख़िलाफ़ एक नोटिस जारी किया, जिसमें पुलिस उपायुक्त और खेल सचिव से मामले की जाँच करने और विवरण प्रदान करने को कहा।

उधर कांग्रेस के हमले के बाद भाजपा भी सक्रिय हुई। पूर्व पहलवान और भाजपा नेता बबीता फोगाट ने विरोध प्रदर्शनों का राजनीतिकरण करने के ख़िलाफ़ कांग्रेस को चेतावनी दी। एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि पहलवानों की लड़ाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और भाजपा के ख़िलाफ़ नहीं है।

बबीता फोगाट ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए ट्वीट में आगे कहा कि खिलाड़ी फेडरेशन और एक व्यक्ति के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ रहे हैं। मैं कांग्रेस पार्टी से कहना चाहती हूँ कि वह अपने फ़ायदे के लिए खिलाडिय़ों के आन्दोलन पर ओछी राजनीति करना बन्द करे। पहलवान बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक ने भी इसी तरह की भावनाओं को प्रतिध्वनित किया। हालाँकि उन्होंने किसी विशेष पार्टी का नाम नहीं लिया। पुनिया ने हिंदी में अपने ट्वीट में कहा कि हमारी लड़ाई सरकार से नहीं है। हम खिलाड़ी महासंघ और उसके अध्यक्ष के ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं। कोई भी राजनीतिक दल इस आन्दोलन पर राजनीति न करे।

साक्षी मलिक ने कहा कि मी टू आन्दोलन खिलाडिय़ों और खेल के भविष्य के बारे में था। उन्होंने कहा- ‘हमारा आन्दोलन महासंघ और उसके अध्यक्ष के ख़िलाफ़ है। किसी भी राजनीतिक दल को अपने फ़ायदे के लिए इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।’