भारतीय खेलों में मी टू

हालाँकि अयोध्या में आयोजित होने वाली एजीएम को खेल मंत्रालय के एक स$ख्त संदेश के बाद रद्द कर दिया गया था, जिसमें डब्ल्यूएफआई को तत्काल प्रभाव से चल रही सभी गतिविधियों को निलंबित करने के लिए कहा गया था। इसमें सिंह के गढ़ उत्तर प्रदेश के गोंडा में रैंकिंग टूर्नामेंट भी शामिल था। मंत्रालय ने निष्पक्ष जाँच सुनिश्चित करने के लिए डब्ल्यूएफआई के सहायक सचिव विनोद तोमर को भी निलंबित कर दिया। डब्ल्यूएफआई कर रहा आरोपी का बचाव आरोपों का संज्ञान लेते हुए खेल मंत्रालय ने डब्ल्यूएफआई से स्पष्टीकरण माँगा था और उसे अगले 72 घंटे के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया था। इसके जवाब में भारतीय कुश्ती महासंघ ने कहा कि जिन एथलीटों ने उसके प्रमुख के ख़िलाफ़ यौन उत्पीडऩ के आरोप लगाये थे, उनका एक छिपा हुआ एजेंडा था। कुश्ती निकाय ने युवा मामलों के मंत्रालय को एक पत्र में कहा- ‘विरोध पहलवानों के सर्वोत्तम हित में नहीं है और न ही भारत में अच्छी कुश्ती को बढ़ावा देने के लिए है; लेकिन डब्ल्यूएफआई के मौज़ूदा निष्पक्ष और स$ख्त प्रबंधन को ख़त्म करने के लिए और इस तरह के प्रतिकूल माहौल बनाने की साज़िश के लिए कुछ व्यक्तिगत और साथ ही छिपे हुए एजेंडे हैं, जिनका मक़सद सार्वजनिक रूप से अनुचित दबाव बनाना है।’ कुप्रबंधन के आरोपों का जवाब देते हुए कुश्ती संघ ने कहा कि उसने हमेशा पहलवानों के हित को ध्यान में रखकर काम किया है। संघ ने कहा- ‘डब्ल्यूएफआई को उसके संविधान के अनुसार एक निर्वाचित निकाय द्वारा मैनेज किया जाता है, और इसलिए अध्यक्ष सहित व्यक्तिगत रूप से किसी के द्वारा डब्ल्यूएफआई में मनमानी और कुप्रबंधन की कोई गुंजाइश नहीं है।’ संघ ने आगे कहा- ‘धरने पर बैठ कर और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रदर्शनकारियों / पहलवानों द्वारा अपने आरोप को हवा देने का तरी$का निश्चित रूप से निहित स्वार्थ के लिए कुछ कमज़ोर पहलवानों पर दबाव डालकर या अपने लिए ज़मीन हासिल करने और संघ या उसके अध्यक्ष या कोचों के प्रबंधन को बदनाम और बदनाम करना निहित स्वार्थों की गहरी और बड़ी साज़िश का हिस्सा है और कुछ नहीं। उसने कहा कि यौन उत्पीडऩ का एक भी आरोप स्वीकार नहीं किया गया है और न ही कभी देखा गया है और न ही पाया गया है और न ही अब तक शिकायत की गयी है और न ही डब्ल्यूएफआई की यौन उत्पीडऩ समिति को सूचित किया गया है। इसलिए इस आशय के आरोप समान रूप से दुर्भावनापूर्ण और निराधार हैं, सिवाय इसके कि मामले में कोई सच्चाई नहीं है। डब्ल्यूएफआई के वर्तमान प्रबंधन के साथ-साथ डब्ल्यूएफआई के मौज़ूदा अध्यक्ष की जनता के बीच प्रतिष्ठा को नुक़सान पहुँचाने के लिए मीडिया के माध्यम से यह सब किया गया है। डब्ल्यूएफआई ने कहा कि उसने हमेशा खिलाडिय़ों के हित में काम किया है। डब्ल्यूएफआई विशेष रूप से मौज़ूदा अध्यक्ष के तहत डब्ल्यूएफआई ने हमेशा भारत के सर्वोत्तम हित के साथ-साथ पहलवानों के सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखते हुए काम किया है और मौज़ूदा अध्यक्ष के तहत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती की छवि को बेहतर किया है। बीबीएस सिंह के कुक विक्की ने कथित तौर पर दिल्ली उच्च न्यायालय में पहलवानों के ख़िलाफ़ एक याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि विनेश विरोध प्रदर्शनों को लेकर डब्ल्यूएफआई प्रमुख को ब्लैकमेल कर रही थी और खिलाड़ी अदालत के बजाय मीडिया के पास गये थे; लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया गया था। आरोपों पर राजनीति उत्तर प्रदेश के कैसरगंज से भाजपा सांसद, डब्ल्यूएफआई प्रमुख बीबीएस सिंह के आसपास के विवाद ने जल्द ही राजनीतिक रूप ले लिया क्योंकि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने उन पर हमला बोला था। सिंह छ: बार सांसद रहे हैं, जिनमें से पाँच बार भाजपा और एक बार सपा के टिकट पर। वे सन् 2009 में समाजवादी पार्टी के साथ थे। सिंह ने पूर्व में गोंडा और बलरामपुर का प्रतिनिधित्व किया है, और अब कैसरगंज से सांसद हैं। सिंह ने अपनी ओर से विवाद की साज़िश रचने के लिए हरियाणा के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा को दोषी ठहराया और कहा कि उन पर आरोप लगाने वाले सभी पहलवान एक ही समुदाय से थे। उन्होंने कहा कि दीपेंद्र ने हरियाणा चुनाव में फ़ायदा उठाने के लिए साज़िश रची थी। हालाँकि कांग्रेस नेता ने यह कहते हुए पलटवार किया कि सिंह कहानियाँ गढ़ रहे हैं, क्योंकि उन पर यौन दुराचार का आरोप लगा है। हुड्डा ने विवाद में उनका नाम घसीटने के लिए सिंह पर मानहानि का मुक़दमा करने की भी धमकी दी। उत्तर प्रदेश की कांग्रेस प्रभारी और पार्टी महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा ने भी विरोध कर रहे पहलवानों का समर्थन किया। एक ट्वीट में उन्होंने कहा- ‘हमारे खिलाड़ी देश का गौरव हैं। वे विश्व स्तर पर अपने प्रदर्शन से देश का नाम रोशन करते हैं। खिलाडिय़ों ने भारतीय कुश्ती महासंघ और उसके अध्यक्ष पर शोषण के गम्भीर आरोप लगाये हैं और उनकी आवाज़ सुनी जानी चाहिए।’ मीडिया प्रभारी कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मामले पर आश्चर्य जताते हुए कहा- ‘महिलाओं पर अत्याचार करने वाले सभी लोग भाजपा के सदस्य क्यों हैं। कुलदीप सेंगर, चिन्मयानंद, पिता-पुत्र की जोड़ी विनोद आर्य और पुलकित आर्य और अब यह नया मामला! महिलाओं पर अत्याचार करने वाले भाजपा नेताओं की सूची अंतहीन है।’ कांग्रेस नेता ने ट्वीट करके कहा- ‘मिस्टर पीएम! क्या बेटी बचाओ भाजपा नेताओं से बेटियों को बचाने की चेतावनी थी? भारत जवाब का इंतज़ार कर रहा है। आपने कहा था कि पिछले आठ साल में खेलों के लिए एक बेहतर वातावरण बनाया गया है। क्या यह बेहतर माहौल है, जिसमें देश का नाम रोशन करने वाली हमारी बेटियाँ भी असुरक्षित हैं? कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि बीबीएस सिंह का इस्तीफ़ा विरोध के पहले दिन ही आना चाहिए था। उन्होंने कहा- ‘यह पहला क़दम होना चाहिए था। अगर कोई और संवेदनशील सरकार होती, तो यह तत्काल हो गया होता। फिर प्रधानमंत्री को एक बयान जारी करना चाहिए और इन परिवारों के विश्वास को बहाल करना चाहिए। हमारे परिवार रूढि़वादी हैं, यह एक कठिन विकल्प है। बच्चों को ट्रेनिंग के लिए भेजना, देश के लिए लडऩा और पदक जीतना।’ कांग्रेस की तरफ़ से प्रमुख मुक्केबाज़ विजेंदर सिंह और चक्का फेंक खिलाड़ी कृष्णा पूनिया भी भारतीय कुश्ती महासंघ को भंग करने, उसके प्रमुख बीबीएस सिंह को बर्ख़ास्त करने और खेल निकाय में हाल के विवाद पर प्रधानमंत्री मोदी को निशाना बनाने के लिए आगे आये। इन लोगों ने कहा कि डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप है। यह आरोप एक महिला खिलाड़ी की तरफ़ से लगा है जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी बेटी बताया था। आज वही बेटी कह रही है कि इस देश में लड़कियाँ पैदा नहीं होनी चाहिए। इससे ज़्यादा दर्दनाक और क्या हो सकता है?
उन्होंने कहा कि एक तरफ़ देश खिलाडिय़ों से पदक की उम्मीद करता है। वहीं दूसरी ओर हमारी बेटियाँ यौन शोषण का शिकार होती हैं। क्या माता-पिता अब अपनी बेटियों को खेलकूद में भेजेंगे? जब हम पदक जीतते हैं तो हर कोई हमारे साथ फोटो खिंचवाना चाहता है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारे की धज्जियाँ उड़ायी जा रही हैं। डब्ल्यूएफआई को भंग कर देना चाहिए। याद रहे कृष्णा पूनिया का एक खिलाड़ी के रूप में भारत में एक विशिष्ट रिकॉर्ड था और वह राजस्थान में कांग्रेस के विधायक भी हैं। वह 2008 और 2012 के ओलंपिक में भाग लेने के अलावा पद्म श्री और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित हैं। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएफआई पर गम्भीर आरोप हैं। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री की चुप्पी शर्मनाक है। आईपीसी के प्रावधानों के तहत मामले में तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। सिर्फ़ खिलाड़ी ही दूसरे खिलाडिय़ों की भावनाओं को समझ सकते हैं। जब मुक्केबाज़ी पर बैठक होती है, तो खिलाडिय़ों को नहीं बुलाया जाता है। कांग्रेस प्रव$क्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा- ‘विनेश फोगाट ने अक्टूबर 2021 में पूरे मामले से प्रधानमंत्री को अवगत कराया था। उन्होंने अपनी जान को ख़तरे की बात भी कही थी। मुद्दा यह है कि प्रधानमंत्री यह सब जानते थे; लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। वह अभी भी चुप हैं। सर्वोच्च न्यायालय को आरोपों का स्वत: संज्ञान लेना चाहिए और डब्ल्यूएफआई को भंग कर देना चाहिए। राष्ट्रीय महिला आयोग क्या कर रहा है, जो आमतौर पर एक ट्वीट पर कार्रवाई करता है। नेताओं पर इस तरह के कई आरोप लगे हैं; लेकिन उन्होंने कभी कोई कार्रवाई नहीं की।’ कांग्रेस नेता ने विभिन्न खेल निकायों पर शासन करने वाले राजनेताओं के मुद्दे पर भी केंद्र से सवाल किया। श्रीनेत ने कहा कि वह कहते थे कि खेल निकायों में नेताओं का दख़ल नहीं होना चाहिए लेकिन उनके कई नेता ऐसे पदों पर हैं। उदाहरण के लिए, असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा बैडमिंटन संघ के प्रमुख हैं, रणिंदर सिंह राइफल संघ के प्रमुख हैं, अर्जुन मुंडा तीरंदाज़ी संघ के प्रमुख हैं, जय शाह सचिव बीसीसीआई हैं, दिलीप तिर्की हॉकी महासंघ के प्रमुख हैं और मेघना चौटाला टेबल टेनिस फेडरेशन की अध्यक्ष हैं। आम आदमी पार्टी के संस्थापक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि उन लोगों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गयी, जिन पर महिला पहलवानों ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। गम्भीर आरोप लगाये गये हैं; लेकिन न तो इस्तीफ़ा दिया गया है और न ही कोई कार्रवाई हुई है। यह पार्टी और इसकी सरकार महिला खिलाडिय़ों की सुरक्षा के मामले में अपने नेताओं को बचाने में लगी है। यह बेहद शर्मनाक है। घटनाओं पर प्रतिक्रिया करते हुए दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल भाजपा सांसद और कुश्ती महासंघ अध्यक्ष सिंह के ख़िलाफ़ एक नोटिस जारी किया, जिसमें पुलिस उपायुक्त और खेल सचिव से मामले की जाँच करने और विवरण प्रदान करने को कहा। उधर कांग्रेस के हमले के बाद भाजपा भी सक्रिय हुई। पूर्व पहलवान और भाजपा नेता बबीता फोगाट ने विरोध प्रदर्शनों का राजनीतिकरण करने के ख़िलाफ़ कांग्रेस को चेतावनी दी। एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि पहलवानों की लड़ाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और भाजपा के ख़िलाफ़ नहीं है। बबीता फोगाट ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए ट्वीट में आगे कहा कि खिलाड़ी फेडरेशन और एक व्यक्ति के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ रहे हैं। मैं कांग्रेस पार्टी से कहना चाहती हूँ कि वह अपने फ़ायदे के लिए खिलाडिय़ों के आन्दोलन पर ओछी राजनीति करना बन्द करे। पहलवान बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक ने भी इसी तरह की भावनाओं को प्रतिध्वनित किया। हालाँकि उन्होंने किसी विशेष पार्टी का नाम नहीं लिया। पुनिया ने हिंदी में अपने ट्वीट में कहा कि हमारी लड़ाई सरकार से नहीं है। हम खिलाड़ी महासंघ और उसके अध्यक्ष के ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं। कोई भी राजनीतिक दल इस आन्दोलन पर राजनीति न करे। साक्षी मलिक ने कहा कि मी टू आन्दोलन खिलाडिय़ों और खेल के भविष्य के बारे में था। उन्होंने कहा- ‘हमारा आन्दोलन महासंघ और उसके अध्यक्ष के ख़िलाफ़ है। किसी भी राजनीतिक दल को अपने फ़ायदे के लिए इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।’