बजट में मध्यम वर्ग को राहत न देने से चुनाव में नुकसान की भाजपा नेताओं को आशंका

किसानों को भी बजट में कोई राहत नहीं मिली है। किसानों ने एक महीना पहले ही  सरकार के भरोसे के बाद अपना एक साल पुराना आंदोलन स्थगित किया था। किसानों के लिए जो घोषणाएं की गयी हैं, उनमें एमएसपी का पैसा सीधे खाते में डालने की बात की गयी है।

किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष राकेश टिकैत ने कहा – ‘आम बजट में मोदी सरकार  ने एमएसपी का बजट पिछले साल के मुकाबले कम कर दिया है। पिछले बजट (2021-22) के बजट में एमएसपी की खरीदी पर बजट 2,48,000 करोड़ रूपये था जिसे 2022-23 के बजट में घटाकर 2,37,000 करोड़ रूपये कर दिया गया है। टिकैत ने कहा – ‘यह भी सिर्फ़ धान और गेहूं की खरीदी के लिए है। इसे लगता है कि सरकार दूसरी फसलों की एमएसपी पर खरीदी करना ही नहीं चाहती।’

टिकैत का यह भी कहना है कि ‘किसानों की आय दोगुनी करने, सम्मान निधि, दो करोड़ रोजगार देने और एमएसपी, खाद-बीज, डीजल और कीटनाशक पर कोई राहत नहीं दी गयी है। उन्होंने कहा कि इससे जाहिर होता है कि सरकार किसानों के साथ धोखा कर रही है।

उत्तर प्रदेश के चुनाव के अलावा पंजाब और उत्तराखंड में भी किसानों का बड़ा रोल रहेगा। ऐसे में बजट में किसानों को राहत नहीं मिलने से भाजपा को चुनावी नुकसान से इंकार नहीं किया जा सकता। उत्तर प्रदेश की पश्चिम पट्टी में किसानों का वोट हर चुनाव में मायने रखता रहा है। इस बार किसान आंदोलन तो हुआ ही है, लखीमपुर खीरी में 4 किसानों के कथित तौर पर भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री के बेटे की कार के नीचे कुचले जाने के बाद किसानों में काफी गुस्सा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि जनता चुनाव में क्या फैसला करती है।