आपकी राजनीतिक विचारधारा क्या है?
मेरे दादा द्वारका प्रसाद मिश्र मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. बेहद ताकतवर, लोकप्रिय और इंदिरा गांधी के करीबी. लेकिन मैं उनसे दूर चला आया. मैंने कभी किसी को यह बताकर लाभ हासिल करने की कोशिश नहीं की कि वे मेरे संबंधी हैं. मैंने चुपचाप चपरासी तक का काम करना मंजूर किया. आखिर ऐसी ताकत भी बहुत कम समय के लिए होती है. मैं एक अध्यापक का बेटा हूं. मेरे पिता गणितज्ञ थे और वामपंथी झुकाव वाले नेहरूवादी थे. मैं भी राजनीतिक रूप से सजग हूं लेकिन पारंपरिक राजनीति में नहीं पड़ना चाहता. मेरी राजनीतिक विचारधाराएं अस्थायी हैं क्योंकि जिंदगी में हमेशा शोरगुल मचा रहता है.
देश में छोटे बजट की स्वतंत्र रूप से बन रही फिल्मों की क्या स्थिति है?
अब दर्शकों की समझ बढ़ रही है. पांच साल बाद आपको एक क्रांति देखने को मिलेगी. भारतीय सिनेमा अब परिपक्व हो रहा है. युवा अब बुजुर्गों के पांव नहीं छू रहे हैं और न ही पुरानी मठाधीशी को तवज्जो दे रहे हैं. आपने देखा कि किस तरह उन्होंने बिना किसी नेता के दिल्ली की सड़कों पर निकल कर सवाल पूछे. यह सब सिनेमा के परदे पर भी दिखेगा. पांच सालों में हमें एक नया और महत्वपूर्ण सिनेमा देखने को मिलेगा.