अफ़ग़ानी महिला संगठन की अध्यक्ष लगभग 50 साल की अनीशा का परिवार 11 साल पहले भारत आया था, तब तो शान्ति थी। फिर आप क्यों भारत आ गये? पूछने पर अनीशा कहती है कि कौन-सी शान्ति आज स्कूल जला रहे हैं? मस्जिदों, गुरुद्वारों पर हमले और औरतों पर अत्याचार तालिबान ने कभी बन्द नहीं किये। तालिबान के बारे में हम क्या कहें? पूरी दुनिया देख रही है कि तालिबान कौन है? क्या कर रहा है? दुनिया में इतने इस्लामिक देश हैं। फिर आप लोग भारत या पश्चिमी देशों में ही क्यों रहना चाहते हो? पूछने पर अनीशा कहती है कि हम कहाँ जाएँ? पाकिस्तान, अमेरिका, इरान सब अफ़ग़ानिस्तान के दुश्मन हैं। तजाकिस्तान और क़जाकिस्तान के पास अपने लोगों के लिए कुछ नहीं है; हमें क्या देंगे? हमारी बेटियाँ सुरक्षित रहनी चाहिए। इसलिए हम भारत और पश्चिमी देशों में शरण लेना पसन्द करते हैं।
अचानक अफ़ग़ानिस्तानियों के धरना-प्रदर्शन और नारेबाज़ी पर संयुक्त राष्ट्र महासंघ शरणार्थी उच्चायुक्त के भारत कार्यालय के प्रवक्ता कीरी अत्री ने ‘तहलका’ को बताया कि भारत में बरसों से रह रहे अफ़ग़ानी शरणार्थी मौक़े का फ़ायदा उठाना चाहते हैं। दरअसल ऑस्ट्रेलिया, कनाड़ा यूएस और यूके ने जो 20-20 हज़ार अफ़ग़ानिस्तानियों को शरण देने की पेशकश की है। वो इनके लिए नहीं है; बल्कि अभी जो अफ़ग़ानिस्तान में फँसे हैं, उनके लिए हैं। भारत में पहले से जो शरणार्थी रह रहे हैं, हम उनमें हर साल लगभग 200 को वीजा देते हैं। लेकिन यह हमारे हाथ में नहीं है। जो देश जितने लोगों को शरण देने के लिए राज़ी होता है, हम उतनों को भेज देते हैं। कोरोना वायरस के कारण यह प्रक्रिया फ़िलहाल बन्द है। अत्री कहते हैं कि हम इनको लिखित में सारी जानकारी दे चुके हैं; लेकिन ये मान नहीं रहे हैं। कोराना-काल में बीमारी फैलने का डर भी है। हमने पुलिस से इनको 300 मास्क बँटवाये हैं।