देश के करोड़ों घरों में अब रातों में भी उजाला

वंशवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ  मुहिम

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अर्से से लोगों को इंतजार था कि प्रधानमंत्री देश की आर्थिक विकास दर दुरुस्त करने के लिए ऐसी योजनाएं पेश करेंगे जिससे रोजगार दर बढ़े और शहरी और ग्रामीण इलाकों में विकास हो। प्रधानमंत्री ने भारतीय जनता पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक के दिन 25 सितंबर को पूरे देश में 31 दिसंबर 2018 तक चार करोड़ घरों में बिजली कनेक्शन मुहैया कराने की पेशकश की। देश की आज़ादी के 70 साल बाद भी देश में चार करोड़ घरों में उजियारा करने की घोषणा पर अमल पर जोर देना खासा महत्वपूर्ण है। इससे गरीबी की रेखा के नीचे रहने वालों के चेहरों पर मुस्कान आएगी साथ ही वे देश की मुख्य धारा में शामिल हो सकेंगे। लेकिन इसके साथ ही ज़रूरी है कि सड़क मार्गों, रेलवे, सिंचाई और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में वित्तीय मदद दी जाए। इससे रोजगार की दर बढ़ेगी और देश की विकास दर भी। प्रधानमंत्री का आर्थिक सलाहकार परिषद फिर सक्रिय करने और उससे सलाह लेने का फैसला बेहतर है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उम्मीद थी कि वे सत्ता में तीन साल होने पर भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पंडित दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर एक बड़े पैकेज की घोषणा करेंगे। इससे देश के शहरी और ग्रामीण इलाकों में उम्मीदें बढ़ेंगी। पार्टी और मजबूत होगी।

भारतीय जनता के बड़े नेताओं को भी उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आर्थिक विकास बढ़ाने के लिए शहरी और ग्रामीण इलाकों के लिए बड़ी परियोजनाओं की घोषणा करेंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं । इसकी बजाए प्रधानमंत्री ने वंशवाद और भ्रष्टाचार पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा ।

देश को आज़ाद हुए 70 साल हो जाने पर भी अभी चार करोड़ से ज़्यादा परिवार हैं जो रात के अंधेरे में गुजर-बसर करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में बिजलीकरण और सौर ऊर्जा के ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल पर जोर दिया। उन्होंने ऊर्जा विभाग से इस काम को दिसंबर 2018तक पूरा करने का निर्देश दिया । प्रधानमंत्री सहज बिजली, हर घर योजना ‘सौभाग्यÓ के तहत तमाम शहरी और ग्रामीण इलाकों के 40 करोड़ परिवारों को बिजनी कनेक्शन मुफ्त मिल जाएगा।

केंद्र सरकार के अनुसार इस योजना के तहत पूरे देश में बिजलीकरण का काम 31 दिसंबर 2018 तक पूरा कर ही लेना है। इसके तहत उन्हें लाभ मिलेगा जिनका पंजीकरण सामाजिक – आर्थिक जाति सर्वे 2011 में हो चुका है। जो घर इस सर्वे में शामिल नहीं किए जा सके। उन्हें भी महज 500 रुपए मात्र पर कनेक्शन दे दिया जाएगा। जिसे बाद में बिजली वितरण कंपनियां दस किस्तों में वसूल लेंगी। रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कारपोरेशन के सुपुर्द यह पूरा काम है।

देश में हाल फिलहाल ग्रामीण बिजलीकरण है लेकिन ऐसे परिवार जो गरीबी की रेखा (बीपीएल) के नीचे रह रहे हैं उन्हें राज्य सरकारें बिजली कनेक्शन देती हैं। पिछले तीन साल में केंद्र सरकार सभी को चौबीस घंटे, सातों दिन के आधार पर लगातार बिजली मुहैया कराने पर राय मशविरा करती रही हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह दुखद है कि देश में इतनी बड़ी संख्या में आज भी घर हैं जहां शाम होने से पहले ही खाना बन जाता है क्योंकि घर में बिजली नहीं है। ऐसे घरों में आज भी लोग लालटेन और मोमबत्तियों का इस्तेमाल रात में उजालेे के लिए करते हैं। बच्चों को पढ़ाई में भी काफी परेशानी होती है। क्योंकि, उन्हें पढऩे के लिए लालटेन की रोशनी पर ही निर्भर रहना होता है। यह अफसोस की बात है कि आज़ादी के 70 साल बाद भी चार करोड़ घरों में रोशनी नहीं पहुंच पाई।Ó

हालांकि केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार देश के ज़्यादातर गांवों यानी लगभग 99.5 फीसद घरों में बिजली पहुंच गई है। राज्यों से मिले आंकड़ों के तहत देश के उन्तीस राज्यों में एक करोड़ बहत्तर लाख ग्रामीण घरों में बिजली नहीं है। इसकी अहम वजह यह है कि नियमों में ही अफसरशाही उलझी रही। नियमों में यह साफ नहीं है कि बिजली कनेक्शन किन घरों को किस आधार पर उपलब्ध कराना है।

तहलका ब्यूरो

 

 

‘सौभाग्यÓ योजना पूरी तौर पर मुफ्त नहीं है। इसके तहत, ‘इस्तेमाल पहले, पैसा बाद में,Ó प्रणाली रखी गई है जिससे अंधेरे में डूबे घरों में मुफ्त में बिजली कनेक्शन पहुंचे बाद में बिजली प्रसार देखने वाली निजी कंपनियां आसान किश्तों पर बिजली के इस्तेमाल में होने वाले खर्च को वसूलती रहेंगी। राज्यों में विभिन्न नगरों में कटियां डाल कर बिजली का अवैध इस्तेमाल करने वालों पर कुछ रोक लगेगी। आमतौर पर इसे राज्य का विषय मान कर अफसरशाही ध्यान नहीं देती थी। साथ ही हर पार्टी बिजली-पानी को मुद्दा बना कर वोट बैंक की तलाश किया करती थी।

अब मोदी के इस फैसले को यदि ईमानदारी से अफसरशाही अमल में लाती है तो हर गरीब -दलित- आदिवासी परिवार के बेहद करीब होगी भारतीय जनता पार्टी जो दूसरी तमाम राजनीतिक पार्टियों की तुलना में। उधर गरीबी की रेखा के नीचे रहने वाले और समाज के निचले तबकों में बिजली की ज़रूरत के अनुरूप उपयोग और उसके बिल को अदा करने की नीयत बना सकेगी।

देश में कोयला और लिग्नाइट के बिजली उत्पादन केंद्रों में उत्पादन को बढ़ाने और सप्लाई। का सिलसिला भी दुरूस्त करना चाहिए जिससे उत्पादन बर्बाद न हो। यदि आंकड़ों की बात करें तो 2016-17 में 59.88 फीसद ही उत्पादन रहा जबकि 2009-10 में यह 77.5 फीसद था। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी का यह आंकड़ा गौर करने लायक है। यह कमी राज्य वितरण कंपनियों की मांग कम होते जाने के कारण हुई है। दो साल पहले उज्जवल डिस्कॉम एशोएरेंस योजना (उदय) शुरू हुई थी। इसे बनाने का इरादा इसलिए हुआ क्योंकि राज्य बिजली वितरण एजेंसियों पर बढ़ती देनदारी कम हो। चूंंिक वितरण एजेंसियां अपनी ओर से लाभ की गुंजायश नहीं रख सकतीं इसलिए वे भी खासे आर्थिक दबाव में हैंैै। पार्टी कार्यकत्र्ताओं और नेताओं को भारतीय जनता पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक में वंशवाद और भ्रष्टाचार से बचने और जनता के बीच सक्रिय होने का मंत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया। उन्होंने इनसे होने वाली परेशानियों के प्रति भी आगाह किया और लगभग चेतावनी देते हुए यह भी याद दिलाया कि खुद उनके पास परिवार नहीं है। हालांकि यह कठिन ही है कि भाई- भतीजावाद, जातिवाद, वंशवाद और भ्रष्टाचार के जरिए लाभ कमाने में कमी आए। हालांकि देश की जनता में अब खासी निराशा दिखने लगी हैं।

प्रधानमंत्री ने बिजली की समस्या के समाधान हेतु समय के अंदर काम करने का प्रण लिया है वह चुनौतीपूर्ण है। केंद्र मेें आई तमाम सरकारें दूरदराज के गांवों, दलितों कें यहां बिजली का कनेक्शन देने और उत्पादित बिजली में कमी होने पर सौर ऊर्जा के भरपूर उपयोग का प्लान बनाती रही हैं। लेकिन यह कभी कामयाब नहीं दिखता। हालांकि इस बार प्रधानमंत्री ने खुद कमर कसी है। वे चाहते हैं कि प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना या’सौभाग्यÓ योजनाओं के तहत दिसंबर 2018 तक हर दलित – आदिवासी घर में बिजली का कनेक्शन हो और रात में वहां हमेशा रोशनी जले। इस योजना के लिए रुपए16 हजार करोड़ मात्र से कुछ ज़्यादा राशि लग सकती है लेकिन बिना खर्च के बिजली घर-घर होगी।

यह योजना 2015 में शुरू हुई पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना और राजीव गांधी ग्रामीण बिजलीकरण योजना पर आधारित है जो 2005 में शुरू हुई थी। इन दोनों ही योजनाओं के तहत गरीब को मुफ्त बिजली दी जाती थी। अब शायद उन योजनाओं पर ध्यान देते हुए उन गांवों में बिजली कनेक्शन पहुंचा दिया जाए जहां सत्तर साल में बिजली का तार और खंभे तो हैं लेकिन न बिजली आती है और न बिजली कनेक्शन ही हैं।