खास बात
राष्ट्रीय टीम के पूर्व कप्तान के रूप में कोच होंग म्युंग बो पुराने और नए दोनों तरह के खिलाड़ियों के लिए हमेशा प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं. पार्क च्वांग जैसे खिलाड़ी जिन्होंने अपने करियर का अधिकतर समय ‘मेरा नंबर कब आएगा’ की तर्ज पर आर्सनल क्लब में अपनी बारी का इंतजार करते हुए बिताया है, के लिए होंग प्रेरक के तौर- तरीके संजीवनी का काम कर सकते हैं
अगर उत्तर कोरिया के तानाशाह अपनी न्यूक्लियर क्षमता का हवाला देकर विश्व को धमका सकते हैं तो दक्षिण कोरिया के पास सोन हियुंग मिन्ह जैसा करिश्माई खिलाड़ी है जिसके दम पर वह विश्व कप में विपक्षी टीमों के अरमानों पर पानी फेर सकती है. अपनी जबर्दस्त फुर्ती के लिए चर्चित और दोनों पैरों में से किसी से भी बेहद सटीकता के साथ वार करने में पारंगत मिन्ह सभी एशियाई टीमों द्वारा मैदान पर किए गए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनों का केंद्रबिंदु होंगे. स्ट्राइकर पार्क च्वांग जो इंग्लिश चैंपियनशीप में वाटफोर्ड के लिए खेलते हैं, उनसे एक शानदार खेल दिखाने की पूरी उम्मीद है. दक्षिण कोरिया में 2002 में हुए विश्व कप के समय वर्तमान कोच होंग म्युंग बो राष्ट्रीय टीम के कप्तान थे. उस समय दक्षिण कोरियाई टीम ने सेमीफाइनल में अपनी जगह बनाकर सभी को चौंका दिया था. होंग की रणनीति के तहत मिडफील्ड में हान कुक यंग, पार्क जंग वू और किम बो यूंग मोर्चा संभालेंगे. एक और खिलाड़ी ली चुंग यॉंग पर सबकी नजर रहेगी. हालांकि ली के पास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का अनुभव ज्यादा नहीं है, लेकिन मैदान पर वे दाएं छोर के खिलाड़ियों के लिए बेहतरीन पार्टनर साबित हो सकते हैं. दक्षिण कोरिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती उसकी कमजोर रक्षा पंक्ति साबित होने वाली है. गोलकीपर के रूप में कोच की पहली पसंद जुंग सुंग यॉंग को टीम की कमजोर कड़ी कहा जा रहा है. कहा जा रहा है कि कोच को अब पांच खिलाड़ियों को मिलाकर रक्षा पंक्ति तैयार करने में बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए. |