शोएब : ट्वीट का कंटेंट दे दिया सबको, फिक्स। …हर बंदा वही डालेगा।
रिपोर्टर : ऐसे लोग हैं आपके पास?
शोएब : सर! ये भी इस्तेमाल करते हैं आउटसोर्सिंग कम्पनियाँ हैं, फ़र्जी रिव्यू ये लोग करते हैं।
शोएब और उज़ैर के मुताबिक, वे उन कम्पनियों को हायर करेंगे, जो ट्विटर पर हमारा कंटेंट ट्रेंड करवाएँगी। इन कम्पनियों में कई लोग हैं, जिन्हें वे सामग्री प्रदान करते हैं, और ये लोग अलग-अलग स्थानों से ट्विटर पर एक ही सामग्री को ट्वीट करते हैं।
शोएब ने अब अपनी अगली योजना का ख़ुलासा किया- प्रतिद्वंद्वी वेबसाइट को कैसे क्रैश किया जाए?
शोएब : ये भी होता है सर! अगर डाउनग्रेड करना है किसी को; अगर किसी वेबसाइट को डाउनग्रेड करना है, तो आपके पास स्क्रिप्ट्स होती हैं, हैंड स्क्रिप्ट्स चला करके किसी की भी वेबसाइट डाउनग्रेड करायी जा सकती है।
रिपोर्टर : समझा नहीं मैं!
शोएब : सर! आपका रहता है… सर्वर स्पेस होता है किसी भी वेबसाइट का। …आप एक्सेस कर रहे हैं। सर्वर पर हिट कर रहे हैं। मैं एक्सेस कर रहा हूँ। सर्वर पर हिट कर रहा हूँ, जितने ज़्यादा लॉग सर्वर पर हिट करते हैं, उतना सर्वर सँभल नहीं पाता। ठीक है सर! कुछ स्क्रिप्ट बनायी जाती हैं, डाउनग्रेड करने के लिए ये अपना चलाते हैं। …अपने कम्प्यूटर से हाई पॉवर पर, वो एक के बाद एक हिट कर रहा होता है। वो दिखता ऐसा है कि लाख लोग वेबसाइट पर आ गये हैं, उनकी वेबसाइट पर; …और वेबसाइट क्रैश हो जाती है। सर्वर डाउन हो जाता है।
रिपोर्टर : मतलब, अगर आपको अपने प्रतियोगी की वेबसाइट डाउन करवानी है, तो ऐसे हम करवा सकते हैं?
शोएब : हम्म… ऐसा करा जाता है। हो सकता है सर! हमारे साथ भी कुछ मामलों में हमें सर्वर चेंज करना होगा, फटाफट से।
अब शोएब ने ख़ुलासा किया कि वह हमारे लिए फेक नेगेटिव और पॉजिटिव कमेंट्स को कैसे मैनेज करेंगे।
रिपोर्टर : अच्छा, अगर हम कमेंट चाहते हैं… अपनी किसी कंटेंट पर पॉजिटिव; वो कैसे मिलेंगे?
शोएब : सर! सकारात्मक टिप्पणियाँ, वही तरीक़ा है उसके लिए भी। मूल रूप से उपभोक्ता को लक्षित करना है। रिव्यू वाला तरीक़ा है, जहाँ से रिव्यू मिलता है। …इनकी अपनी अलग-अलग दरें होती हैं। …वो देखते-पढ़ते हैं।
रिपोर्टर : अच्छा, यह भी पेड होगा… कमेंट वाला?
शोएब : जी, पेड रहेगा सर! क्योंकि अगर हमें कमेंट्स करवाने हैं, तो फिर हम असली लोगों से करवाएँगे। असली लोगों से आप कितने करवा लोगे अधिकतम…? आप मान लीजिये 100 से करेंगे। 100 से हम करेंगे। 200 से करवा लें, इनसे हमारा काम नहीं होने वाला; …हज़ारों होते हैं।
रिपोर्टर : वो नक़ली होंगे?
शोएब : हाँ।
रिपोर्टर : वो हैं आपके पास?
शोएब : सर! वो इनसे ही मिला है।
रिपोर्टर : कम्पनी के खाते के माध्यम से?
शोएब : कम्पनी के ज़रिये ही मिला है। उनसे टाईअप करना… और जो रहती है इनकी कॉस्ट (लागत)।
रिपोर्टर : कितना रहता है इनका चार्ज, एक कमेंट का?
शोएब : इनका अलग-अलग रहता है। …100-150 के आस पास मान लीजिए।
रिपोर्टर : एक कमेंट का?
शोएब : जी।
रिपोर्टर : उसमें पॉजिटिव भी करवा लें, नेगेटिव भी?
शोएब : जी, जी।
रिपोर्टर : किसी को गाली बकवानी है, तो वो भी होगा?
शोएब : जी, बिलकुल।
अब हम मनीष कुमार से मिले। दिल्ली की एक और डिजिटल मार्केटिंग कम्पनी माई आईटी टेकी के मालिक। यह मुलाक़ात भी दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में हुई थी। शोएब और उज़ैर की तरह हमने मनीष को भी बताया कि हम न्यूज वेबसाइट और एक यूट्यूब चैनल लेकर आ रहे हैं। और इसके लॉन्च के पहले दिन से हम लाखों में व्यू, सब्सक्राइबर, लाइक, फॉलोअर आदि चाहते हैं। मनीष ने हमारी माँग पर सहमति जतायी और तुरन्त हमें अपने यूट्यूब चैनल के लॉन्च के पहले दिन से ही लाखों व्यूज जनरेट करने की अपनी योजना के बारे में बताया।
रिपोर्टर : अच्छा हमें ये व्यूज पहले दिन से लाखों में चाहिए; यूट्यूब पर पहले दिन से।
मनीष : हर वीडियो पर?
रिपोर्टर : हर वीडियो पर।
मनीष : हो जाएगा।
रिपोर्टर : जैसा आपने उदाहरण दिया था, बादशाह का वीडियो डाला था।
मनीष : हाँ।
रिपोर्टर : लड़की पागल है? …लाखों व्यूज आ गये थे।
मनीष : हाँ, क़रीब 30 लाख। …वो एक बार में नहीं आने देते; लेकिन धीरे-धीरे ले जाते हैं।
रिपोर्टर : वैसे ही लाखों देखे गये, दिन एक से यूट्यूब पर; वो कैसे आएँगे?
मनीष : शुरुआत से अगर लेके चलेंगे, तो कर सकते हैं। अगर मान लीजिए आप लाखों में बात कर रहे हैं, एक लाख तक तो हम कर सकते हैं।
रिपोर्टर : पहले दिन से?
मनीष : पहले दिन से।
रिपोर्टर : लेकिन वो ऑर्गेनिक तो होंगे नहीं।
मनीष : ऑर्गेनिक भी आते हैं और बोट्स भी आते हैं… बोट्स के मुक़ाबले आर्गेनिक हमें सस्ते पड़ते हैं। …होते ऑर्गेनिक ही हैं। पर वो देश सस्ते दे रहा है, जहाँ से वो व्यू आ रहे हैं।
रिपोर्टर : अच्छा जो बोट्स होंगे, वो आपके डायरेक्ट कॉन्टैक्ट में होंगे या आप जिस कम्पनी से सर्विस लोगे?
मनीष : सर्विस है, वो आप भी करोगे, …मैं भी यूज करूँगा, …कोई भी यूज करेगा, उसके पैनल प्रोवाइडर हैं। …किसी भी कम्पनी में आप सर्च करोगे, …सबका प्राइस (भाव) वही होगा।
रिपोर्टर : मतलब आप कह रहे हैं कि जो पहले दिन से एक लाख व्यूज आएँगे हमारे यूट्यूब पे?
मनीष : हाँ, दे सकते हैं।
रिपोर्टर : उसमें बोट्स होंगे?
मनीष : सर! अगर मैं 300 डॉलर ख़र्च कर रहा हूँ एक लाख व्यूज के लिए या 2,000 ख़र्च कर रहा हूँ; तो वही चीज़ मैं 100 डॉलर में भी ले सकता हूँ। वही व्यूज मैं 500 डॉलर में भी ले सकता हूँ। 100 डॉलर भी मेरे लग रहे हैं और 500 डॉलर भी। क़ीमत का भेदभाव ही यही है कि जो सस्ते ब्रांड ले रहा हूँ उसकी कोई गारंटी नहीं है, बोट्स में भी वहाँ पे वो।
रिपोर्टर : आप बोल रहे हैं- बोट्स जो हैं, वो सस्ते होते हैं?
मनीष : सस्ते होते हैं।
बैठक के दौरान मनीष ने हमें आश्वासन दिया कि बोट्स का उपयोग करने के लिए हमें दण्डित नहीं किया जाएगा।
रिपोर्टर : और दूसरा यह बताएँ कि कहीं पकड़े तो नहीं जाएँगे हम?
मनीष : नहीं; ऐसा कोई मुद्दा नहीं है।
रिपोर्टर : बोट्स जो करोगे आप हमारे उसमें यूट्यूब की पॉलिसी, इंस्टाग्राम की पॉलिसी या फेसबुक की पॉलिसी का उल्लंघन हो रहा हो कहीं?
मनीष : नहीं हो रहा है। …व्यापक रूप से उपयोग करें।
रिपोर्टर : मतलब?
मनीष : मतलब, अधिकतम लोग इस्तेमाल कर रहे हैं, ये सारी सेवाएँ अधिकतम लोग इस्तेमाल कर रहे हैं।
रिपोर्टर : नहीं, मैं बोट्स की बात कर रहा हूँ।
मनीष : सारी सेवाएँ, सब करते हैं।
रिपोर्टर : ऐसा न हो, कोई ब्लॉक कर दे?
मनीष : नहीं..नहीं…नहीं।
मनीष ने आगे भरोसे के साथ ख़ुलासा किया कि उनके लिए सबसे आसान काम इंस्टाग्राम और फेसबुक पर फॉलोअर्स लाना है।
रिपोर्टर : इंस्टाग्राम पेज भी बना सकते हैं आप?
मनीष : जी, बनेगा; बिलकुल बनेगा।
रिपोर्टर : उसके फॉलोअर्स कैसे आएँगे?
मनीष : हम्म… सबसे आसान काम फेसबुक या इंस्टाग्राम ही है।
रिपोर्टर : वो आसान है। …फेसबुक या इंस्टाग्राम के लिए फॉलोअर्स लाना?
मनीष : वो आसान है; …वो हो जाएगा।
मनीष : सर! आप बोलो, अभी 10 हज़ार फॉलोअर्स डाल दूँगा।
रिपोर्टर : इंस्टाग्राम पर? वो कैसे? …बोट्स?
मनीष : बोट्स भी हैं, अच्छे वाले भी हैं। …मतलब, सबसे आसान होता है। सबसे ज़्यादा मार्केट में ट्रेंड ही यही है। सबसे ज़्यादा लोग जो सर्विसेज इस्तेमाल करते हैं, वो इंस्टाग्राम की ही करते हैं। इंस्टाग्राम आजकल लोगों में काफ़ी फेमस है।
उपरोक्त तीन पात्र सागर की चंद बूँदें मात्र हैं। उनके जैसे बहुत-से लोग फ़र्जी फॉलोअर्स, लाइक्स और कमेंट्स पैदा करने का दावा करते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, ट्विटर, टिकटॉक, यूट्यूब आदि पर नक़ली लाइक, व्यू या कमेंट ख़रीदना सैद्धांतिक रूप से उनकी सेवा की शर्तों के ख़िलाफ़ है। हालाँकि अनुशंसित कम्पनियों जैसी प्रतिष्ठित कम्पनियों से वास्तविक फॉलोअर्स को ख़रीदना उनकी सेवा की अवधि के विरुद्ध बिलकुल भी नहीं है। कोई अपराध नहीं किया जा रहा है। आप किसी क़ानूनी परेशानी में नहीं पड़ेंगे। लेकिन आपको याद रखने की ज़रूरत है कि सोशल मीडिया कम्पनियाँ निजी स्वामित्व में हैं। उनकी साइट का उपयोग करना निजी सम्पत्ति पर होने जैसा है। आपको उनके नियमों का पालन करने की ज़रूरत है, अन्यथा वे आपको अपनी सम्पत्ति का उपयोग करने से रोक सकते हैं।