जो देश आतंकवाद को औजार की तरह इस्तेमाल कर रहे, कल यह उन पर भी भारी पड़ सकता है: यूएनजीए में मोदी

संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना किसी देश का नाम लिए (पाकिस्तान और चीन) चेतावनी दी कि जो देश आज आतंकवाद को एक औजार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं, कल को यह उन पर भी भारी पड़ सकता है। पीएम ने कहा कि हमें सतर्क रहना होगा कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल कोई देश अपने हितों के लिए न कर सके। मोदी ने इस मौके पर संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर कहा कि इसे खुद में सुधार करना होगा क्योंकि कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

मोदी, जो आज ही अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी से न्यूयॉर्क पहुंचे, ने यूएनजीए में अपने भाषण की शुरुआत में ही कहा – ‘अध्यक्ष पद संभालने के लिए अब्दुल्ला जी को बधाई। यह विकासशील देशों के लिए गौरव की बात है। पिछले डेढ़ साल से हम 100 साल बाद आई सबसे बड़ी महामारी का सामना कर रहे हैं। ऐसी महामारी में जीवन गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देता हूं।’

पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र को लेकर कहा कि भारत के महान दार्शनिक चाणक्य ने सदियों पहले कहा था कि जब सही समय पर सही काम नहीं किया जाता तो समय ही उस काम की सफलता को नाकाम कर देता है। पीएम ने कहा – ‘इसलिए, संयुक्त राष्ट्र को खुद में सुधार करना होगा। कई सवाल खड़े हो रहे हैं। इन सवालों को कोविड, आतंकवाद और अफगान संकट ने और गहरा कर दिया है।’

इस मौके पर मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना उसपर निशाना साधा। उन्होंने कहा – ‘आतंकवाद को टूल की तरह इस्तेमाल करने वाले देशों पर यह भारी पड़ सकता है। हमें सतर्क रहना होगा कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल कोई देश अपने हितों के लिए न कर सके। वहां की महिलाओं और बच्चों को संभालना है। हमें अपना दायित्व निभाना होगा।’

पीएम ने अपने भाषण में कोविड-19 का जिक्र भी किया और कहा कि भारत एक ही दिन में करोड़ों डोज लगाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म दे रहा है। पीएम ने कहा – ‘भारत सीमित संशाधनों के बावजूद वैक्सीन डेवलपमेंट में जी जान से जुटा है। भारत ने पहली डीएनए वैक्सीन डेवलप कर ली है। इसे 12 साल से ऊपर के सभी लोगों को लगा सकते हैं। एक और आरएनए वैक्सीन तैयार की जा रही है। नेजल वैक्सीन भी तैयार की जा रही है। भारत ने दुनिया के जरूरतमंदों को फिर वैक्सीन देना शुरू कर दी है। मैं आज दुनिया के वैक्सीन मैन्युफैक्चरर्स से कहना चाहता हूं। कम मेक वैक्सीन इन इंडिया।’

मोदी ने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि डेमोक्रेसी विद टेक्नोलॉजी। भारतीय मूल के डॉक्टर या प्रोफेशनल्स किसी भी देश में रहें हमारे मूल्य उन्हें मानवता की सेवा करने का लक्ष्य देते रहते हैं। महामारी ने दुनिया को यह भी सबक दिया है कि वैश्विक व्यवस्था को और विकेंद्रित किया जाए। हमारा वैक्सीन प्रयास इसी भावना से प्रेरित है। ग्लोबल चेन वैक्सीनेशन जरूरी है।

पीएम ने लोकतंत्र पर भी अपने भाषण में बात कही – ‘मैं उस देश से आता हूं जिसे मदर ऑफ डेमोक्रेसी कहते हैं। 15 अगस्त को भारत ने अपनी आजादी की 75वें वर्ष में प्रवेश किया है। हमारी विविधता पहचान है। यहां अलग-अलग भाषाएं और संस्कृति हैं। यह भारत के लोकतंत्र की ताकत है कि एक चायवाला चौथी बार इस सत्र को संबोधित कर रहा है।’

मोदी ने हिंद-प्रशांत में खुले व्यापार की वकालत की और कहा – ‘हमारे समंदर हमारी साझी विरासत हैं। इन्हें विस्तार और ताकत के जोर से कब्जा करने से बचाना होगा। दुनिया को एक सुर में आवाज उठानी होगी। सुरक्षा परिषद में भारत की अध्यक्षता के दौर में भारत की पहल इस बारे में इशारा करती है। मैं अपने अनुभव से कह रहा है कि यस डेमोक्रेसी केन डिलीवर।’