जी20 के प्रशंसीय क्षण
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि ‘आज का युग युद्ध का नहीं होना चाहिए।’ वास्तव में उनके ये शब्द जी20 शिखर सम्मेलन में इस जटिल चुनौती से निपटने में कूटनीतिक कौशल को दर्शाने के साथ ही वैश्विक व्यवस्था को फिर से आकार देने के लिए भारत की बढ़ती आर्थिक ताक़त, राजनयिक क्षमताओं और नेतृत्व कौशल को प्रदर्शित करते हैं। भारत के अध्यक्ष पद छोडऩे से पहले नवंबर में डिजिटल समीक्षा बैठक आयोजित करने का प्रधानमंत्री मोदी का फ़ैसला जी20 शिखर सम्मेलन के गौरवशाली क्षणों में लिये गये निर्णयों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करेगा।
भारत अमेरिका के साथ जुडऩे में सक्षम रहा है और राष्ट्रपति जो बाइडन की भारत यात्रा वैश्विक और द्विपक्षीय स्तरों पर विश्वास और सहयोग का प्रतिनिधित्व करती है। भारत-मध्य पूर्व-यूरोप गलियारे की घोषणा भी उतनी ही महत्त्वपूर्ण है। रूस को आश्वस्त करने के लिए भारत ने सुनिश्चित किया कि घोषणा में रूसी आक्रामकता का विशिष्ट संदर्भ हटा दिया जाए। जहाँ तक चीन का सवाल है, तो यह अच्छा हुआ कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत के बुलावे पर जी20 शिखर सम्मेलन में नहीं आये। नहीं तो सीमा-विवाद को देखते हुए मोदी-शी के हाथ मिलाने की विपक्ष आलोचना कर सकता था। इसलिए द्विपक्षीय से लेकर वैश्विक स्तर तक भू-राजनीति में भारत के ये सर्वश्रेष्ठ क्षण रहे और इसने वैश्विक व्यवस्था में एक नये अध्याय की शुरुआत की।