उधर पाकिस्तान में सेना पर इमरान ख़ान के पार्टी के हमले बढ़े हैं। आर्मी प्रमुख के पद से रिटायर होने वाले क़मर जावेद बाजवा को जाते-जाते बहुत फ़ज़ीहत झेलनी पड़ी, जब यह ख़ुलासा हुआ कि रिटायर होने से पहले बाजवा और उनका परिवार मालामाल हो गया है।
आरोप के मुताबिक, आर्मी चीफ बाजवा ने ख़ुद के लिए अरबों की दौलत इकट्ठा की। इसके बाद इमरान के नज़दीकी नेता आजम ख़ान स्वाति ने बाजवा पर जबरदस्त हमला करते हुए कहा कि हमारे दुश्मन (भारत) का एक जनरल पांडे, जो आर्मी प्रमुख बनता है, उसकी टोटल सम्पत्ति 29 लाख रुपये है। इस क़ौम को बताकर जाओ तुम्हारी (बाजवा) सम्पत्ति कितनी है? कहाँ से लाये हैं ? मैं पाकिस्तान का शहरी हूँ। तुमसे पूछ रहा हूँ और पूछता रहूँगा उस वक़्त जब तक मुझे जवाब नहीं मिलता। हालाँकि इसका जवाब यह मिला कि बाजवा ने उन्हें गिरफ़्तार करवा दिया।
पाकिस्तान में हालात लगातार ख़राब होते दिख रहे हैं। इमरान ख़ान ने अपनी पार्टी के तमाम सदस्यों के असेम्बली से इस्तीफ़े करवा दिये हैं, ताकि नये चुनाव का दबाव शाहबाज़ सरकार पर बनाया जा सके। यह स्थिति पाकिस्तान को किसी भी तरफ़ ले जा सकती है। लिहाज़ा भारत को चौकन्ना रहना पड़ेगा। पाकिस्तान के साथ रिश्ते बेहतर होने की सम्भावना अब कम दिखती है। शाहबाज़ शरीफ़ पिछले डेढ़ साल में इस दिशा में कुछ नहीं कर पाये हैं। अब मुनीर के सेनाध्यक्ष बनने के बाद भारत बेहतर होने की सम्भावना लगभग न के बराबर है।
नेपाल में घुसपैठ
चीन पाकिस्तान के साथ तो पहले से ही क़दम-से-क़दम मिलाकर चलता रहा है, अब नेपाल में भी उसकी गतिविधियाँ काफ़ी तेज़ होती दिख रही हैं। भारत के लिए चिन्ता की नयी बात नेपाल की ज़मीन पर चीन के निर्माण हैं। नेपाल के कृषि मंत्रालय के एक सर्वे दस्तावेज़ में इस बात का ख़ुलासा हुआ है कि चीन ने उत्तरी नेपाल की सीमा पर 10 जगहों पर 36 हेक्टेयर ज़मीन पर क़ब्ज़ा कर लिया है। रिपोट्र्स के मुताबिक, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने पहली बार सन् 2016 में नेपाल के एक ज़िले में एक पशु चिकित्सा केंद्र बनाया था। ये रिपोट्र्स भी आयी हैं कि फरवरी, 2022 में चीन ने नेपाल पर साझा सीमाओं के अतिक्रमण का आरोप जड़ा था।
नेपाल के आधिकारिक दस्तावेज़ ज़ाहिर करते हैं कि उसके सुदूर पश्चिमी हुमला ज़िले में सीमा चौकी के आसपास चीन नहरें और सडक़ें बनाने का प्रयास कर रहा है। नेपाल चीन पर चीनी सीमा और लालुंग सोंग सीमा क्षेत्र में निगरानी गतिविधियों का आरोप लगा चुका है। चीन की गुंडागर्दी इतनी है कि उसने सीमा पर नेपाली किसानों के पशु चराने का प्रतिबंध लगा दिया है। यही नहीं, आरोप यहाँ तक हैं कि उसने सीमावर्ती क्षेत्रों में हिन्दू और बौद्ध मन्दिरों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के नेपाल में अतिक्रमण की यह हालत है कि चीनी सीमा पर नेपाल के दोलखा, गोरखा, दारचुला, हुमला, सिंधुपालचौक, संखुवासा और रसुवा ज़िलों की ज़मीन पर चीन घुसपैठ कर चुका है। दार्चुला और गोरखा ज़िलों में कुछ गाँव चीन के क़ब्ज़े में हैं। हुम्ला ज़िले और रुई गाँव में तो चीन के दर्जन भर निर्माण खड़े कर दिये हैं। नेपाल के एक बड़े अधिकारी के नेतृत्व ने सरकारी टीम ने अपने गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट पिछले साल सौंपी थी, जिसमें चीन के अतिक्रमण का ज़िक्र है। ज़ाहिर है यह स्थिति भारत के लिए सुखद नहीं है।
चीन में शी का विरोध
इसमें कोई दो-राय नहीं कि शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन के साथ भारत की हाल के महीनों में काफ़ी तल्ख़ी रही है। अब जिनपिंग अपने ही देश में विद्रोह जैसी स्थिति झेल रहे हैं। उनकी चीन में शून्य-कोविड नीति के विरोध में नवंबर के आख़िर में कई प्रमुख शहरों में हजारों लोग सडक़ों पर उतर आये। लोगों में शी के प्रति जबरदस्त ग़ुस्सा दिखा। यह पहली बार है, जब विरोध-प्रदर्शनों में राष्ट्रपति जिनपिंग के मुर्दाबाद के नारे लगे। चीन में ऐसा होना बहुत आश्चर्यजनक बात है। इससे संकेत मिलता है कि लोग घुटन में जीते को तैयार नहीं और उनके तेवर तल्ख़ हो रहे हैं। इससे पहले छात्रों ने बीजिंग के इलीट सिंघुआ विश्वविद्यालय में तालाबंदी के विरोध में रैली की थी और वे ‘लोकतंत्र और क़ानून का शासन’ और ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ जैसे नारे लगा रहे थे।
“भारत सरकार जब आदेश देगी, सेना पीओके पर कार्रवाई करने को तैयार है। पीओके के विषय पर संसद में प्रस्ताव पास हो चुका है। भारतीय सेना सरकार के हर आदेश के लिए पूरी तरह से तैयार है। सरकार जब भी आदेश देगी, सेना अपनी पूरी तैयारी के साथ आगे बढ़ेगी। भारत में घुसपैठ के लिए पाकिस्तानी लॉन्चपैड पर क़रीब 160 आतंकी मौज़ूद हैं। हम उनके मंसूबे कामयाब नहीं होने देंगे।’’
ले. ज. उपेंद्र द्विवेदी
उत्तरी कमांड प्रमुख