यही वजह है कि जिन लोगों को देश की फिक्र है उन्होंने अपनी नौकरियां छोड़ दी हैं. घर छोड़ दिया है. आराम की जिंदगी छोड़ दी है. वे कह रहे हैं कि बहुत हो चुका. अब लोग राजनीति में करियर बनाने नहीं, लोगों की सेवा करने के लिए आ रहे हैं.
अपनी नौकरी के दौरान मैं राजनीतिक वर्ग और व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार से लड़ता रहा. अगर मैं सरकारी अधिकारी रहते हुए ऐसा कर सकता था तो मुझे यकीन है कि अगर मैं चुना गया तो यह काम और भी अच्छे तरीके से कर पाऊंगा. अगर आप ईमानदार हैं, अगर आपको कोई खरीद नहीं सकता और अगर आपकी जनता के लिए काम करने की इच्छा है तो पूरा सिस्टम ठीक हो जाएगा. मुझे यह भी यकीन है कि अगर हम देश में बदलाव लाना चाहते हैं तो हमें जड़ से शुरुआत करनी होगी. बुनियादी स्तर पर ठीक किए बिना इसे राष्ट्रीय स्तर पर ठीक नहीं किया जा सकता.
(अवलोक लांगर से बातचीत पर आधारित.)